HBD Azim Premji : कहानी बड़े दिमाग और विशाल दिल वाले बिजनेसमैन की, जिसने wipro को बनाया आईटी क्षेत्र की दिग्‍गज


हाइलाइट्स

24 जुलाई, 1945 को अजीम का जन्म एक बिजनेसमैन के घर हुआ था.
1979 में उन्‍होंने कंपनी का पहला कंप्‍यूटर बनाया और बिक्री शुरू की.
साल 2000 तक विप्रो न्‍यूयॉर्क के स्‍टॉक एक्‍सचेंज में लिस्‍टेड हो गई.

नई दिल्‍ली. अजीम प्रेमजी (Azim Premji) भारत की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें लोग बिजनेसमैन के तौर पर कम और परोपकारी दानवीर के रूप में ज्यादा जानते हैं. प्रेमजी भारत की टॉप IT कंपनियों में से एक विप्रो (Wipro) के फाउंडर हैं. आज ऐसी ही महान शख्सियत का 77वां जन्‍मदिन है जिसका दिमाग जितना बड़ा था, दिल उससे भी विशाल.

24 जुलाई, 1945 को अजीम का जन्म एक बिजनेसमैन के घर हुआ था. उनके पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी एक नामी चावल कारोबारी थे. बर्मा (अब म्यांमार) में उनका चावल का बड़ा बिजनेस था, जिसके चलते उन्हें राइस किंग ऑफर बर्मा (Rice King of Burma) कहा जाता था. वो बर्मा (अब म्यांमार) से भारत आए और गुजरात में रहने लगे. गुजरात में भी उन्होंने चावल का कारोबार शुरू किया और उन्हें भारत के बड़े चावल कारोबारियों में गिना जाने लगा.

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अग्रेजों की नीतियों की वजह से अजीम के पिताजी ने साल 1945 में चावल का कारोबार छोड़ वनस्पति घी बनाने का काम शुरू किया और वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रॉडक्ट्स लिमिडेट (Western Indian Vegetable Products Limited) के नाम से कंपनी बनाई, जो कपड़े धोने का साबुन भी बनाती थी. 1966 में हाशिम प्रेमजी के निधन के बाद 21 वर्षीय अजीम प्रेमजी ने कंपनी की जिम्‍मेदारी संभाली. अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर आए अजीम प्रेमजी ने इसे फास्‍ट मूविंग कंज्‍यूमर गुड्स (एफएमसीजी) के रूप में स्‍थापित किया.

1977 में सरकार के साथ किस्‍मत भी बदल गई
यह साल 1977 था जब देश में जनता पार्टी की सरकार आई और आईटी कंपनी आईबीएम को देश छोड़ने के लिए बोल दिया गया. इंजीनियरिंग डिग्री हासिल किए अजीम प्रेमजी ने इस अवसर को दोनों हाथों लपका और कंप्‍यूटर हार्डवेयर की राह पकड़ ली. 1979 में उन्‍होंने कंपनी का पहला कंप्‍यूटर बनाया और अपने उत्‍पादों की बिक्री शुरू की. दो दशक में ही विप्रो देश की सबसे बड़ी कंप्‍यूटर निर्माता कंपनी बन गई. अमेरिकी कंपनी सेंटीनेल कंप्‍यूटर से तकनीक हासिल कर अपने कारोबार को और उन्‍नत बनाया. साल 2000 तक विप्रो न्‍यूयॉर्क के स्‍टॉक एक्‍सचेंज में लिस्‍टेड हो गई. देखते ही देखते यह देश में आईटी क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई.

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4 लाख करोड़ का मार्केट कैप बनाया
जुलाई, 2022 में जारी आंकड़ों के अनुसार, विप्रो अभी दुनिया की 556वीं सबसे ज्‍यादा वैल्‍यू वाली कंपनी है. इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 29.85 अरब डॉलर (करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये) है. अक्‍तूबर 2021 में कंपनी का मार्केट कैप 4 लाख करोड़ रुपये पार कर गया था और ऐसा करने वाली यह देश की तीसरी आईटी कंपनी थी. कंपनी के पास देश-विदेश में कुल 2,31,671 कर्मचारी हैं. उन्‍होंने अपने दिमाग और विजन से तेल-साबुन बनाने वाली कंपनी को आईटी क्षेत्र का दिग्‍गज बना दिया.

2001 से शुरू हुई दान की यात्रा, कारोनाकाल में दिए 9,713 करोड़
अजीम प्रेमजी ने अपना कारोबार स्‍थापित करने के बाद जरूरतमंदों के बारे में सोचना शुरू किया और साल 2001 में 998 करोड़ रुपये का पहला दान देकर द अजीम प्रेमजी फाउंडेशन बनाया. साल 2019 में विप्रो के 34 फीसदी शेयर भी फाउंडेशन को दान कर दिया. कोरोनाकाल में उन्‍होंने 9,713 करोड़ रुपये का दान किया, जो देश में सबसे ज्‍यादा है. 2020-21 में हर दिन 22 करोड़ रुपये दान में दिए.

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