कमोडिटी की कीमतों में गिरावट भारत को वैश्विक महंगाई के जाल से बचाने में कैसे मददगार, RBI ने क्या कहा?


हाइलाइट्स

रिजर्व बैंक ने अपनी नवीनतम ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट जारी की है.
राहत की बड़ी बात ये है कि इंफ्लेशन अपने ऊपरी लेवल से नीचे आ रहा है.
जून में अमेरिकी मुद्रास्फीति दर बढ़कर 41 साल के उच्च स्तर 9.1 प्रतिशत पर पहुंच गई.

नई दिल्ली. दुनिया के साथ-साथ भारत भी बढ़ती महंगाई से परेशान है. इंफ्लेशन रिजर्व बैंक के ऊपरी तय सीमा से ऊपर बनी हुई है. सबकी निगाहें इस पर टिकी है कि इंफ्लेशन यानी महंगाई कब से कम होगी. हालांकि पिछले कुछ दिनों से कमोडिटी की कीमतों में गिरावट ने थोड़ी राहत के संकेत दिए हैं. इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक मुद्रास्फीति के जाल से बच सकती है. यदि हाल के सप्ताहों में कमोडिटी की कीमतों में नरमी बनी रहती है. साथ ही सप्लाई चेन के दबाव में भी कमी आती है.

केंद्रीय बैंक ने अपनी नवीनतम ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट में कहा है कि हमारे लिए राहत की बड़ी बात ये है कि इंफ्लेशन अपने ऊपरी लेवल से नीचे आ रहा है. हालांकि अभी भी ये हमारी ऊपरी तय सीमा से ऊपर ही है. आरबीआई ने कहा कि मौद्रिक नीति का भी रिस्पॉन्स मिल रहा है.

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आगे महंगाई कम होने का अनुमान
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि मुद्रास्फीति “2022-23 की दूसरी छमाही में धीरे-धीरे कम होने की संभावना है. लिहाजा भारत में बहुत आक्रामक मौद्रिक नीति की संभावना कम हो जाएगी.   इसके  पहले, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने भी कहा था कि मुद्रास्फीति चरम पर होने के संकेत थे. इसलिए कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कठोर नीति की आवश्यकता नहीं रह जाती है.

खराब दौर बीत रहा
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा है कि यदि हाल के सप्ताहों में कमोडिटी कीमतों यानी सोना, चांदी , मेटल और दूसरी वस्तुओं की कीमतों में नजर आई गिरावट जारी रहती है. साथ ही सप्लाई चेन पर बना दबाव कम होता है तो मुद्रास्फीति की सबसे खराब तेजी का दौर पीछे छूट सकता है. फिर हम सुधरती सप्लाई का फायदा उठा सकते हैं.

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इंटरनेशनल माहौल काफी मुश्किल
जून में अमेरिकी मुद्रास्फीति दर बढ़कर 41 साल के उच्च स्तर 9.1 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं भारत ने जून में 7.01 प्रतिशत की खुदरा मुद्रास्फीति दर्ज की, जो मई में 7.04 प्रतिशत और अप्रैल में 7.79 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि इंटरनेशनल माहौल काफी मुश्किल है. हम व्यापार घाटे को लगातार मॉनिटर कर रहे हैं. हम मजबूत रिजर्व बफर के बावजूद बाहरी कर्ज को कम करने पर काम कर रहे हैं.

Tags: Economy, Inflation, RBI, Rbi policy, Supply Chain

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