President Election: शरद पवार के बाद फारूक अब्दुल्ला भी पीछे हटे, तो क्या विपक्ष से ये होंगे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार?


देश के सबसे सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। भाजपा की नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए गठबंधन में हलचल बढ़ गई है। इस बीच  विपक्ष के दो संभावित उम्मीदवारों ने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के तौर पर अपना नाम अलग कर लिया है। 

पहले एनसीपी के प्रमुख शरद पवार और अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया। ऐसे में सियासी गलियारे में अन्य नामों की चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि इन्हीं में से कोई एक नाम फाइनल हो जाएगा। 

 

विपक्ष ने अब तक क्या-क्या किया?

विपक्ष को एकजुट करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी कोशिशें कर रहीं हैं। 15 जून को ही उन्होंने 22 विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई थी। इसमें 17 दलों के नेता शामिल हुए। दिल्ली और पंजाब की सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी, तेलंगाना की टीआरएस, ओडिशा की बीजेडी, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियों ने खुद को इस बैठक से अलग रखा। 

इसी बैठक के बाद ममता बनर्जी, शरद पवार और विपक्ष के कई नेताओं ने प्रेस को संबोधित किया था। इसमें शरद पवार ने खुद की उम्मीदवारी को नकारते हुए कहा था कि जल्द ही विपक्ष की तरफ से प्रत्याशी का एलान कर दिया जाएगा। वहीं, ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर शरद पवार तैयार हों तो पूरा विपक्ष उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार है। उनके मना करने की स्थिति में अन्य नामों पर विचार किया जाएगा। 

 

फिर फारूक अब्दुल्ला का नाम सामने आया

शरद पवार के मना करने पर फारूक अब्दुल्ला का नाम चर्चा में आ गया। कहा जाने लगा कि अब्दुल्ला को उम्मीदवार बनाकर मुस्लिम कार्ड के साथ-साथ जम्मू कश्मीर को लेकर भावनात्मक दांव भी खेला जाएगा। लेकिन शनिवार (18 जून) को फारूक अब्दुल्ला ने भी खुद को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अलग कर लिया। 

 

फारूक अब्दुल्ला ने बयान जारी कर कहा, ‘मैं भारत के राष्ट्रपति पद के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में अपने नाम के विचार को वापस लेता हूं। मेरा मानना है कि जम्मू-कश्मीर एक महत्वपूर्ण मोड़ से गुजर रहा है और इन अनिश्चित समय में नेविगेट करने में मदद के लिए मेरे प्रयासों की आवश्यकता है।’

आगे उन्होंने कहा, ‘मेरे आगे बहुत अधिक सक्रिय राजनीति है। मैं जम्मू-कश्मीर और देश की सेवा में सकारात्मक योगदान देने के लिए तत्पर हूं। मेरा नाम प्रस्तावित करने के लिए मैं ममता दीदी का आभारी हूं। मैं उन सभी वरिष्ठ नेताओं का आभारी हूं जिन्होंने मुझे अपना समर्थन दिया।’

 

फारूक और शरद पवार ने क्यों इंकार किया?

यूं तो इसके कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण ये है कि विपक्ष अभी भी एकजुट नहीं है। बगैर एकजुट हुए विपक्ष राष्ट्रपति का ये चुनाव नहीं जीत सकता है। ऐसे में शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। भले ही दोनों सत्ताधारी भाजपा के धुर राजनीतिक विरोधी हैं, लेकिन दोनों के रिश्ते भाजपा में काफी अच्छे हैं। खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों का सम्मान करते हैं।  

 

खबर ये भी सामने आ रही है कि विपक्ष के कुछ दलों ने फारूक अब्दुल्ला के नाम पर असहमति भी जताई है। इन दलों का मानना है कि अगर वह फारूक अब्दुल्ला का समर्थन करते हैं तो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा इसका फायदा उठा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि फारूक अब्दुल्ला कई बार विवादित बयान दे चुके हैं। आगे जानिए अब किन नामों पर विचार कर रहा विपक्ष? 

 

गोपाल कृष्ण गांधी : शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला के मना करने के बाद विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए गोपाल कृष्ण गांधी का नाम सबसे आगे चल रहा है। गोपाल कृष्ण राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते हैं। वे पश्चिम बंगाल के गवर्नर और आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए, गोपालकृष्ण गांधी ने कहा, ‘मुझसे पूछा गया है कि अगर मेरे नाम पर आम सहमति बनती है तो क्या मैं ऐसे उम्मीदवार होने पर विचार करूंगा। मैंने कहा है कि मुझे इस महत्वपूर्ण सुझाव के बारे में सोचने के लिए कुछ समय चाहिए।’ 

 

गांधी 2019 में भी विपक्ष की तरफ से संयुक्त तौर पर उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार थे। हालांकि, वह एनडीए के वैंकैया नायडू से चुनाव हार गए थे। 

 



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