President Election: राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से क्यों पीछे हट रहे शरद पवार, जानिए तीन बड़े कारण


राष्ट्रपति चुनाव से पहले बुधवार को विपक्ष की एक बड़ी बैठक हुई। इसमें 17 राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कहा कि अगर एनसीपी प्रमुख शरद पवार हां करें तो उन्हें विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बना दिया जाएगा। शरद पवार के नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट है। 

 फिलहाल शरद पवार इससे इंकार कर रहे हैं। दो दिन पहले शरद पवार ने कहा था कि वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की दौड़ में नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब विपक्ष शरद पवार के नाम पर सहमत है तो वह खुद अपने कदम पीछे क्यों खींच रहे हैं? आखिर ऐसा क्या हुआ जो पवार को उम्मीदवारी से पीछे हटने के लिए मजबूर कर रही है। आइए जानते हैं इसके तीन बड़े कारण…

 

पहले जानिए आज बैठक में क्या हुआ? 

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में शुरू हुई विपक्ष की बैठक में 17 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। इसमें कांग्रेस, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआईएमएल, आरएसपी, शिवसेना, एनसीपी, राजद, सपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जद (एस), डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल और झामुमो शामिल हैं। 

विपक्षी नेताओं ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों में एक आम उम्मीदवार को मैदान में उतारने का संकल्प लिया। बताया जाता है कि इस बैठक में कई दलों ने शरद पवार के नाम का ही सुझाव दिया। हालांकि, पवार ने फिलहाल इस पर कुछ नहीं जवाब दिया है। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक के बाद मीडिया से भी यही बात कही। उन्होंने कहा, ‘अगर शरद पवार तैयार हों तो उन्हें संयुक्त विपक्ष की ओर से प्रत्याशी बना दिया जाएगा। इसके लिए सभी पार्टियां तैयार हैं।’ ममता ने कहा कि शरद पवार अगर इंकार करते हैं तो सभी पार्टियां मिलकर किसी एक नाम को तय करेंगी। आगे जानिए वो तीन कारण जानिए जिसके चलते पवार दावेदारी से पीछे हट रहे…

 

1. आंकड़ों का खेल : लोकसभा में विपक्ष काफी कमजोर है, जबकि राज्यसभा और विधानसभा में मजबूत स्थिति है। हालांकि, अभी पूरा विपक्ष एकजुट नहीं है। ऐसी स्थिति में एनडीए मजबूत दिखाई दे रही है। शरद पवार को मालूम है कि बिना विपक्ष के एकजुट हुए वह राष्ट्रपति चुनाव में जीत नहीं सकते हैं। ऐसे में वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। 

 

2. सरकार से रिश्तों में भी खटास हो सकती है : एक्सपर्ट्स कहते हैं कि शरद पवार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी सम्मान करते हैं। पवार और भाजपा के बड़े नेताओं के रिश्ते भी अच्छे माने जाते हैं। ऐसे में वह राष्ट्रपति के तौर पर खुद की उम्मीदवारी करके अपने रिश्तों को भी खराब नहीं करना चाहते हैं। 

 

3. 2024 चुनाव पर नजर : एनसीपी को अभी तक शरद पवार ही देख रहे हैं। एनसीपी के अंदर भी कई तरह के गुट सक्रिय हैं। इन गुटों को पवार ने ही एकजुट किया हुआ है। पवार केंद्रीय राजनीति में अपनी सक्रियता बढ़ाते हैं तो उनकी अपनी पार्टी में फूट पड़ सकती है। इसका नुकसान उनकी पार्टी को 2024 लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।



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