देश के सबसे सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। इसके लिए भाजपा की नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए गठबंधन में हलचल बढ़ गई है। हालांकि, इस बीच तीसरा मोर्चा भी तैयार होता दिख रहा है, जिसकी अगुआई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं। फिलहाल, तीसरे मोर्चे का भविष्य दिख नहीं रहा है, क्योंकि विपक्ष के कई दल इसकी मुखालफत करने लगे हैं।
दूसरी तरफ हर किसी की नजर राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों के नामों पर टिक गई है। हर कोई कयास लगा रहा है कि एनडीए की तरफ से कौन उम्मीदवार होगा और उसे टक्कर देने के लिए विपक्ष किस नाम को आगे बढ़ाएगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि एनडीए से पहले विपक्ष अपने उम्मीदवार का एलान कर सकता है। ऐसे में समझते हैं राष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित और उन नामों के बारे में भी जानते हैं, जिन्हें विपक्ष उम्मीदवार बना सकता है।
18 जुलाई को चुनाव, 21 को आएंगे नतीजे
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी होगी। वहीं, नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून तय की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 30 जून तक होगी। उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकेंगे। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा, जिसके नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण समारोह होगा।
यूपीए कितनी मजबूत?
कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए के पास अभी दो लाख 59 हजार वैल्यू वाले वोट हैं। इनमें कांग्रेस के अलावा डीएमके, शिवसेना, आरजेडी, एनसीपी जैसे दल शामिल हैं। कांग्रेस के विधायकों के पास 88 हजार 208 वैल्यू वाले वोट हैं। वहीं, सांसदों के वोट की वैल्यू 57 हजार 400 है।
तीसरे मोर्चे का भविष्य कैसा?
मौजूदा समय यूपीए के अलावा तीसरा मोर्चा भी तैयार हो रहा है। अभी इसका पूरा स्वरूप साफ नहीं हुआ है। इनमें पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी, उत्तर प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस, दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी, ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी, केरल की सत्ताधारी पार्टी लेफ्ट, तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस, एआईएमआईएम शामिल हैं। इनके वोट की वैल्यू दो लाख 92 हजार है।
ममता बनर्जी एकजुट कर रहीं विपक्ष
एनडीए और यूपीए में जो दल शामिल नहीं हैं, उन्हें एकजुट करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके लिए वह 15 जून को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में विपक्ष के मुख्यमंत्री और नेताओं के साथ संयुक्त बैठक में शामिल होंगी। ममता ने उन पार्टियों को भी न्यौता भेजा है, जो यूपीए में शामिल हैं। यहां तक कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।