Congress Chintan Shivir: सोनिया का मोदी पर हमला, कहा- लोग डर और असुरक्षा के साये में, अल्पसंख्यक बन रहे निशाना


कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय नव संकल्प चिंतन शिविर का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में सोनिया ने नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी और उनके साथियों का मंत्र है मिनिमम गवर्नमेंट मैक्जिमम गवर्नमेंट और इसका मतलब है कि देश को ध्रुवीकरण की स्थायी स्थिति में रखना। अल्पसंख्यकों के प्रति क्रूरता दिखाना और राजनीतिक विरोधियों को धमकाना। जवाहरलाल नेहरू समेत अन्य नेताओं के योगदान, त्याग और उपलब्धियों को भुलाया जा रहा है। महात्मा गांधी के हत्यारों को महिमामंडित किया जा रहा है। 

सोनिया ने इस अवसर पर पार्टी के प्रतिनिधियों को खुले दिमाग से बातचीत करने और मजबूत संगठन व एकता का साफ संदेश जनता तक ले जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि शिविर एक अवसर है, जब हम भाजपा और आरएसएस के सहयोगी संगठनों की नीतियों की वजह से देश के सामने आई चुनौतियों पर, राष्ट्रीय चुनौतियों पर चिंतन और हमारे पार्टी संगठन पर सार्थक आत्मचिंतन करें। उन्होंने यह भी कहा कि यह हमारे सामने आ रही चुनौतियों से निपटने और संगठनात्मक बदलावों को लागू करने का अवसर है।  शिविर में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित करीब 430 कांग्रेसजन भाग ले रहे हैं।

 

मोदी पर बरसी सोनिया 

गांधी ने कहा कि यह दर्दनाक रूप से साफ हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगियों के बार-बार बोले जाने वाले मैक्जिमम गवर्नमेंट, मिनिमम गवर्नमेंट के जुमले का आशय क्या है। इसका मतलब है कि देश को ध्रुवीकरण की स्थायी अवस्था में बनाए रखना। लोगों को लगातार डर और असुरक्षा के माहौल में रखना। इसका मतलब है कि अल्पसंख्यकों पर क्रूरता करना और उनके साथ अत्याचार करना, जो हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा है और हमारे गणराज्य के बराबरी से नागरिक हैं। इसका मतलब है कि हमारी सदियों पुरानी बहुलतावाद का इस्तेमाल कर हमें बांटना और एकता और विविधता के सावधानीपूर्वक बनाए गए ताने-बाने को उध्वस्त करना। इसका मतलब है कि राजनीतिक विरोधियों को धमकाना और उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना। उन्हें जेल में डालना और इसके लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करना। संवैधानिक संस्थाओं को अवमूल्यन हो रहा है। 

अपनों को भी दी नसीहत

सोनिया ने यह भी कहा कि हमें सुधारों की सख्त जरूरत है। असाधारण परिस्थितियों का मुकाबला असाधारण तरीके से ही किया जा सकता है। इस बात के प्रति मैं पूरी तरह सचेत हूं। हर संगठन को न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि बढ़ने के लिए भी समय-समय पर अपने अंदर परिवर्तन लाने होते हैं। रणनीति में बदलाव, सुधार और रोजाना काम करने के तरीके में परिवर्तन लाना पड़ता है। यह सबसे बुनियादी मुद्दा है। यह शिविर इस दिशा में एक प्रभावशाली कदम है। पार्टी ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है। अब समय है कर्ज उतारने का। हमें अपनी निजी आकांक्षाओं को संगठन हितों के अधीन रखना होगा। मैं आप सबसे आग्रह करती हूं कि अपने विचार खुलकर रखे। मगर बाहर सिर्फ एक ही संदेश जाना चाहिए संगठन की मजबूती, दृढ़निश्चय और एकता का संदेश। हाल ही में मिली नाकामयाबियों से हम बेखबर नहीं हैं। न ही हम बेखबर हैं उस संघर्ष की कठिनाइयों से, जिनसे हमें जीतना है।  



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