दुनियावालों की सुनी होती, तो पापा की ये परियां कभी उड़ न पातीं, समाज के लिए मिसाल हैं ये पिता


‘जा सिमरन जा जी ले अपनी जिंदगी’ से लेकर ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?’ तक फिल्मों में पिता का रूप खासा बदल गया है। एक समय था जब ज्यादातर फिल्मों में पिता को सख्त और बेटियों को बेड़ियों में बांधनेवाला दर्शाया जाता था, जो अपनी इज्जत के लिए बेटी की खुशियों का गला घोंट सकत था। मगर बदलते वक्त के साथ फिल्मों में पिता प्रोग्रेसिव रूप में नजर आने लगे हैं। बदलाव की इन फिल्मी कहानियों का असर असल जिंदगी के पिताओं पर कितना पड़ा ? हमने ये जानना चाहा पापा की परियों से। जब इस पर पड़ताल की, तो पता चला कि ‘पिताजी’ से ‘पा’ तक के संबोधन के सफर में पिता का स्वरूप काफी बदल गया है।

फिल्मों में बदला पिता का स्वरूप
बीते सालों में हिंदी सिनेमा में कई ऐसी फिल्में आईं, जहां पिता प्रोग्रेसिव अंदाज में बेटी साथ देने के लिए चट्टान-सा खड़ा मिला। चाहे वो उसके करियर की बात हो या सेक्सुएलिटी अथवा उसके फैसलों की, पिता अपनी परी का साथ देता नजर आया। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘जनहित में जारी’ में नायिका नुशरत भरूचा के परिवार को जब उसके कॉन्डम सेल्स गर्ल होने का पता चलता है, तो सबसे पहले नायिका को सपोर्ट पिता से ही मिलता है। उससे पहले रिलीज हुई ‘बधाई दो’ में भी भूमि पेडनेकर की लेस्बियन होने की बात को सबसे पहले स्वीकारने वाला शख्स पिता है होता है

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और भी हैं उदाहरण
सुपरहिट फिल्म ‘बरेली की बरफी’ में जहां पापा पंकज त्रिपाठी बेटी कृति सेनन को उसकी तमाम खूबियों-खामियों के साथ अपनाता है, वहीं ‘दृश्यम’ में बाप अजय देवगन बेटी के प्रोटेक्शन के लिए पूरी रणनीति बनाकर उसे बचाता है। ‘अंग्रेजी मीडियम’ में इरफान खान बेटी की विदेश भेजने के लिए दिन-रात एक कर देता है, तो ‘थप्पड़’ में जब तापसी पन्नू को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है, तब पिता ही उसका साथ देता है। ‘गुंजन सक्सेना’ में समाज के घोर विरोध के बावजूद पिता अपनी बेटी को पायलट बना कर ही दम लेता है। इस तरह के फिल्मी पिता आम जिंदगी में पाए जाते हैं या नहीं? इस पर भी हमने एक पड़ताल की है।
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मुझे एयर होस्टेस बनाने के लिए पापा बने वॉचमैन
नालासोपारा में रहने वाली सुचित्रा मिश्रा की सक्सेज स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। वे कहती हैं, ‘तीन भाई-बहनों के साथ मेरा बचपन अभावों के साथ चॉल में बीता। मैं हमेशा से चाहती थी कि मैं एयर होस्टेस बनूं। मेरी इस ख्वाहिश का अक्सर पास-पड़ोस वाले मजाक उड़ाया करते थे, क्योंकि हम लोग काफी गरीब थे और मेरे पिता ड्राइवर की नौकरी किया करते थे। घर की बड़ी बेटी होने के नाते मां मेरी शादी करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती थी, मगर जब मैंने पापा को अपनी विश बताई , तो उन्होंने न केवल मुझे सपोर्ट किया और एयर हॉस्टेस के कोर्स के लिए ड्राइवरी के साथ-साथ वॉचमैन की नौकरी भी की।’
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‘लोग कहते थे लड़की घर से भाग गई’
झारखंड से मुंबई आकर एक सक्सेसफुल मीडिया पर्सन बनने वाली रोमाना की सफलता के पीछे उसके पापा का ही हाथ था। रोमाना कहती हैं, ‘अगर पापा ने सभी रिश्तेदारों का विरोध करके मुझे मुंबई अकेले नहीं भेजा होता, तो मैं आज यहां नहीं होती। लोग मेरे बारे में बुरी-बुरी बातें बनाया करते थे कि लड़की घर से भाग गई। मगर पापा ने मेरे लिए स्टैंड लिया और मुझे मुंबई आने से पहले अपने पीएफ से पैसे निकाल कर भी दिए।’
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‘लोगों ने कहा- पापा पर बोझ बन जाऊंगी’
ह्यूमन रिसोर्सेज के क्षेत्र में काम करने वाली किशोरी तलाकशुदा है और 8 साल की बेटी की मां हैं। वे कहती हैं, ‘तलाक और बेटी की कस्टडी के लिए मुझे लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, मगर वो मेरे फादर थे, जिन्होंने मेरा साथ दिया। शादी के बाद दो साल तक अब्यूसिव मैरेज में रहने के बाद एक दिन जब मेरे पिता को पता चला कि मेरा हज्बैंड मुझे मारता-पीटता है, तो वे मुझे घर ले आए। लोगों ने लाख कहा कि मैं उन पर बोझ बन जाउंगी, मगर उन्होंने मुझे आत्मनिर्भर बनाया और आज मैं पापा की हेल्प से सिंगल मदर होने के बावजूद अपनी बेटी की परवरिश कर पा रही हूं।’
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डैड को वॉट्स ऐप पर बताई अपने लेस्बियन होने की बात
तीसा बक्शी ने अपने बायसेक्सुअल होने की बात सबसे पहले अपने पिता से शेयर की थी। वे कहती हैं, ‘मैंने उन्हें एक लंबा-चौड़ा वॉट्स ऐप मेसेज लिखा और बताया कि मैं बायसेक्सुअल हूं और इस मुद्दे पर उनसे बात करना चाहती हूं। मैं बहुत डरी हुई थी कि पता नहीं डैड का रिएक्शन क्या होगा? मगर मैं उस वक्त हैरान हो गई, जब उन्होंने वो मेसेज रीड करने के बाद मुझसे पूछा कि मैंने स्कूल का अपना होमवर्क किया या नहीं? मैंने जब उनसे पूछा कि क्या उन्हें मेरे बायसेक्सुअल होने पर कोई प्रॉब्लम नहीं? तो उनका जवाब था, ‘नहीं। ये उतना ही नॉर्मल है, जितना स्ट्रेट होना।’ आज अगर मैं एक नॉर्मल लड़की की तरह डिग्री कॉलेज तक पहुंच गई हूं, तो इसका क्रेडिट मेरे पापा को जाता है।’
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डैड लाए सैनिटरी पैड
आज एक इंरनैशनल स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर के पद पर कार्यरत टीना कहती हैं, ‘अपने जॉब प्रोफाइल के कारण मेरी मॉम को अक्सर ट्रेवल करना पड़ता था, तो स्कूल में जब में जब मुझे पहली बार पीरियड्स हुए तो मेरे डैड ही सैनिटरी पेड लाए और उन्होंने यू ट्यूब पर मुझे डेमो के जरिए इसका इस्तेमाल बताया था। पता नहीं कैसे? मगर ये बात मेरे क्लास के बच्चों को पता चल गई थी और उन्होंने मुझे बुली करना शुरू कर दिया। जब मैंने ये बात पापा को बताई, तो वे स्कूल आए और न केवल मेरी क्लास टीचर से मिले बल्कि मेरी पूरी क्लास की क्लास ले डाली।’
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पिता ने दिए सेक्स चेंज सर्जरी के पैसे
इंडिया की पहली ट्रांसजेंडर मॉडल-ऐक्ट्रेस निकी चावला को सेक्स चेंज की सर्जरी के पैसे उनके पिता ने दिए थे। वे कहती हैं, ‘मुझे समझने में मेरे पिता को थोड़ा समय लगा, मगर जब उन्हें अहसास हुआ कि मेरी आत्मा लड़की की है। उन्होंने देखा कि मैं किसी गलत रास्ते पर नहीं हूं, सलून में नौकरी कर रही हूं जब मैंने अपना लड़की बनने का पक्का इरादा अपने पापा को बताया, तो वे न केवल मेरे साइकियाट्रिस्टसे मिले बल्कि उन्होंने मुझे सेक्स चेंज की सर्जरी के कई लाख रुपये भी दिए। आज भले वे जीवित नहीं हैं, मगर मुझे एक नया जन्म देने का श्रेय उन्हीं को जाता है।’
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पापा के सपोर्ट से पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी में स्ट्रॉन्ग बन पाईं ये बेटियां
हालिया रिलीज ‘जनहित में जारी’ में कॉन्डम बेचने वाली सेल्स गर्ल की बोल्ड भूमिका को निभाने वाली नुसरत भरूचा ने बताया, ‘मेरा परिवार और खास तौर पर मेरे पिता हमेशा से प्रोग्रेसिव विचारों के रहे। सैनिटरी पैड हो या कॉन्डम अथवा ड्रिंक करने की बात, मैं हमेशा से इसे अपने डैड के साथ शेयर करने की हिम्मत कर पाई। मुझे लगता है आज अगर मैं रील और रियल लाइफ में एक स्ट्रॉन्ग लड़की बन पाई हूं, तो अपने पापा के कारण।’
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अनुराग कश्यप हर मुद्दे पर बेटी से करते हैं बात
स्वरा भास्कर भी बता चुकी हैं कि कैसे उनके पिता ने उनके पीरियड्स से जुड़े डर को दूर किया था। जाने-माने फिल्मकार अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप यदि आज अपने यूट्यूब चैनल पर न्यूडिटी, सेक्स लाइफ, पीरियड्स और बॉयफ्रेंड पर खुलकर बात कर पाती हैं, तो इसका श्रेय कहीं न कहीं अनुराग कश्यप के लिबरल और प्रोग्रेसिव अप्रोच को जाता है। पिछले साल वे अपनी बेटी के यूट्यूब चैनल पर आकर तमाम टैबू कहलाने वाले विषयों पर बात करके खूब ट्रोल हुए थे, मगर इसका असर उन्होंने अपने और अपनी बेटी पर नहीं पड़ने दिया। टैबू कहलाने वाले मुद्दे हों या जिंदगी बदल देने वाले फैसले, इन पिताओं ने बेटियों का हाथ नहीं छोड़ा।
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रिक्शा चलाने वाले पिता की बेटी बनी ब्यूटी क्वीन
अब पिछले साल मिस इंडिया रनर अप का खिताब जीतने वाली मान्या सिंह को ही ले लीजिए। अगर रिक्शा चलाने वाले उनके पिता ने उनका साथ न दिया होता, तो मान्या के सर पर वो ताज न सजता, ठीक उसी तरह तोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने वाली महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल के पिता को जब लोग ‘लड़की को निक्कर पहनाकर खिला रहा है’ की फब्तियां सुननी पड़ीं, तो इस तांगा चलाने वाले पिता ने लोगों के तानों को नजरअंदाज करके बेटी का हौसला बढ़ाया और कहा था, ‘तुम अपने दिल की खुशी तक खेलो’ वाकई यदि समाज के दबाव में उन्होंने रानी को ब्याह दिया होता, तो देश मैडल जीतने वाली एक ब्राइट खिलाड़ी से हमेशा के लिए वंचित रह जाता।

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