वेस्टइंडीज ने जब आखिरी बार टीम इंडिया को भारत में वनडे सीरीज में हराया था, उस वक्त ना तो कप्तान रोहित शर्मा, पूर्व कप्तान विराट कोहली और सीनियर बल्लेबाज शिखर धवन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तो दूर की बात, रणजी ट्रॉफी भी खेलना शुरु नहीं किया था. भारतीय सरजमीं पर कैरेबियाई टीम ने 2002-03 में आखिरी बारी 4-3 के स्कोरलाइन से 7 मैचों की एक रोमांचक सीरीज जीती थी जो मेजबान के हक में भी जा सकती थी, अगर किस्मत ने सौरव गांगुली का साथ दिया होता. खैर, ये आंकड़े इस बात को दिखाते हैं कि मजबूत से मजबूत कैरेबियाई टीम को भारत में वनडे सीरीज जीतना कितना मुश्किल काम रहा है.
इसके बावजूद चेतन शर्मा और उनके साथियों को इतना भय लग रहा है कि घर में खेली जाने वाली सीरीज (IND vs WI Series) में भी चयनकर्ताओं ने सुरक्षात्मक रुख अपनाया. और यही पांरपारिक सोच टीम इंडिया के खेल में भी दिखती है जिसके चलते उसे हाल ही में साउथ अफ्रीका में हार का सामना करना पड़ा था.
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इस सीरीज के लिए विराट कोहली का चयन क्यों
सबसे बड़ा और अहम सवाल ये है कि आखिर इस सीरीज के लिए विराट कोहली का चयन क्यों किया गया? हाल के महीनों में जिस तरह विवादों के घेरे में कोहली आये हैं और जिस तरह का दबाव वो बल्लेबाजी करने के वक्त महसूस कर रहें हैं उससे तो बेहद सामान्य सवाल चयनकर्ताओं के सामने तो यही उठता है कि क्या कोहली को इस सीरीज के लिए आराम नहीं दिया जा सकता था जिसकी इस वक्त उन्हें सख्त जरुरत है. खासकर ये देखते हुए कि जब एक और धाकड़ बल्लेबाज और कप्तान रोहित शर्मा की सीरीज में वापसी हो ही रही थी. कोहली को श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी ही है और आईपीएल में तो वो खेलेंगे ही, ऐसे में अगर सिर्फ एक विंडो कोहली को आराम देने का था तो यही था लेकिन फिलहाल चयनकर्ता और बीसीसीआई का रवैया किंग कोहली के लिए बिलकुल अलग हो चुका है.
दीपक हुडा के साथ अय्यर वाला सलूक तो नहीं होगा!
वड़ोदरा के ऑलराउंडर दीपक हुडा को भारतीय टीम में जगह मिली है. वनडे टीम में लेकिन टी20 टीम में उन्हें चुना नहीं गया है. वहां वेकेंटेश अय्यर को ही ऑलराउंडर के तौर पर टीम में बरकरा रखा गया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि सिर्फ 2 वनडे मैच खिलाने के बाद तय कर लिया गया कि अय्यर 50 ओवर की क्रिकेट के लायक नहीं है? हुडा को भी आईपीएल में पंजाब के लिए उनके खेल को देखते हुए वनडे टीम में चुना गया है और यही गलती चयनकर्ताओं ने अय्यर के सिलसिले में की थी.
ऋतुराज गायकवाड़ के साथ भी अजीब रवैया
कुछ ऐसा ही अजीब रवैया चयनकर्ताओं ने युवा ओपनर ऋतुराज गायकवाड़ के साथ अपनाया है. महाराष्ट्र के इस होनहार खिलाड़ी को वनडे टीम में जगह तो मिली है लेकिन दीपक हुडा की ही तरह इन्हें टी20 टीम से बाहर रखा गया है. ऐसा क्यों? जिस खिलाड़ी को महेंद्र सिंह धोनी ने आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स का भविष्य देखा है, उसकी प्रतिभा में निवेश करने से आखिर भारतीय चयनकर्ता क्यों हिचक रहें हैं? क्या राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में शिखर धवन जैसे अनुभवी और कामयाब सीनियर को आराम देकर गायकवाड़ तो तीनों मैच में खेलने का मौका देंगे और अगर ऐसा इरादा है तो धवन को ब्रेक दिया जा सकता था.
आखिर इतने सीनीयर खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं करना है तो उसे क्यों टीम में रखा जाए. वैसे भी धवन ने तो साउथ अफ्रीका में शानदार खेल दिखाकर ये बता दिया है कि 2023 में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए उनकी दावेदारी को भूल कर भी खत्म नहीं माना जाए.
ईशान किशन को भी मिश्रित संकेत
ईशान किशन के साथ भी चयनकर्ताओं ने मिश्रित संकेत दिए हैं. किशन को साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ वनडे सीरीज मेंम कोई मौका नहीं दिया गया और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया जबकि टी20 टीम में उन्हें रखा गया है. अगर किशन एख बेहद आक्रामक बल्लेबाज हैं, बायें हाथ के हैं औऱ जरुरत पड़ने पर पारी की शुरुआत भी कर सकते हैं तो क्या ये बेहतर नहीं होता कि वेस्ट-इंडीज के खिलाफ़ उनके कौशल की भी परीक्षा ले ली जाती.
कुलदीप यादव की वापसी भी दिलचस्प
कुलदीप यादव की एक बार फिर से वनडे क्रिकेट में वापसी हुई है और हर जानकार इसके लिए तालियां बजाता दिख रहा है. लेकिन, सवाल तो यही है कि पिछले साल 4 वनडे में कुलदीप को सिर्फ 2 विकेट मिले थे और जमकर पिटाई हुई थी. अनफिट होने के चलते कुलदीप आईपीएल 2021 में खेले नहीं थे और 2020 में 5 मैचों में सिर्फ 1 विकेट उन्हें मिले थे. 2019 में भी वो साधारण ही रहे थे.
शायद इसलिए चयनकर्ताओं ने उत्तर-प्रदेश के इस स्पिनर को टी20 में शामिल नहीं किया है लेकिन उन्हें वनडे क्रिकेट में वापसी करायी है. लेकिन, हैरानी की बात है कि कुलदीप के पूराने साथी वरुन चक्रवर्ती को किसी भी टीम में जगह नहीं मिली जो पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा थे. उनकी फिटनेस पर बीसीसीआई ने कुछ नहीं कहा है लेकिन शायद उसी वजह के चलते वरुण वेस्टइंडीज के खिलाफ़ खेलते नहीं दिखेंगे.
चयनकर्ता अब भी पत्थर की लकीर पर चल रहें हैं
कुल मिलाकर देखा जाए तो भारतीय चयनकर्ताओं ने वेस्टइंडीज के खिलाफ़ टीम चुनने के लिए भले ही मैराथन बैठक की हो (करीब 6 घंटे जो कभी शायद वर्ल्ड कप टीम चुनने के लिए भी चयनकर्ता नहीं करते हैं) लेकिन इसके बावजूद उनके फैसलों में निरंतरता और दूरदर्शिता की कमी साफ दिख रही है. पूरी दुनिया जहां वनडे क्रिकेट को लेकर क्रांतिकारी फैसले लेने से हिचक नहीं रही है, प्रयोग करने से डर नहीं रही है वहीं भारतीय क्रिकेट हमेशा की तरह उसी पत्थर की लकीर पर चलने की कोशिश में जुटा है जिसके चलते पिछले एक दशक में सिर्फ एक चैंपियंस ट्रॉफी उनके हाथ लगी है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
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