India-China Standoff: भारत की इस ‘बूस्टर खुराक’ से बौखलाया चीन, इसलिए बॉर्डर पर उड़ा रहा लड़ाकू विमान


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आर्थिक मोर्चे पर लगी चोट और भारत की ‘बूस्टर खुराक’ से ड्रैगन बौखला उठा है। भारत को उकसाने के लिए चीन अपने लड़ाकू विमानों को उस क्षेत्र में उड़ा रहा है, जिसे लेकर दोनों राष्ट्रों के बीच तनाव रहता है। आर्थिक चोट की वजह से चीन ने सेना के टैंकों को बैंकों के बाहर तैनात कर दिया है, ताकि लोग अपना पैसा न निकाल सकें। भारत को मिले Rafael और S-400 मिसाइल प्रणाली, जिसे पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने बूस्टर खुराक का नाम दिया था, इससे चीन भयभीत है। दूसरा, वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (डब्ल्यूडीएमएमए) ने अपनी ‘ग्लोबल एयर पॉवर्स रैंकिंग’ (Global Air Power Ranking 2022) रिपोर्ट में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को चीन की एयरफोर्स के मुकाबले बेहतर रैंक प्रदान की है, जिससे ड्रैगन की परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है।
 

अमेरिका में पिछले दिनों, प्रतिनिधि सभा ने भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली (S400 air defence system) खरीदने के लिए ‘काटसा’ प्रतिबंधों (Caatsa Act) से छूट दिलाने वाले एक संशोधित विधेयक को पारित कर दिया। अब भारत बिना किसी परेशानी या रोक टोक के रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद सकेगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका का ये फैसला भी चीन पर एक कुठाराघात की तरह है, क्योंकि 2014 में एस-400 मिसाइल खरीद चुका ड्रैगन नहीं चाहता था कि इस खतरनाक हथियार से भारतीय सेना भी लैस हो जाए।

भारत से व्यापारिक संबंध तोड़ना नहीं चाहेगा चीन

एयर कमोडोर बीएस सिवाच (रिटायर्ड) ने बताया, चीन अब कई मोर्चों पर घिरता जा रहा है। अपने लोगों के सामने खुद की कमजोरी को छिपाने के लिए वह भारतीय सीमा पर टकराहट शुरू कर देता है। हालांकि चीन इस टकराव को लड़ाई तक ले जा सकता है, ऐसा किसी भी तरह से नजर नहीं आता। आर्थिक मोर्चे पर कमजोर पड़ रहा चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत के साथ पूरी तरह से उसके व्यापारिक संबंध खत्म हो जाएं। भारतीय वायु सेना ने चीन की सेना के उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तैयारी की है। सीमा पर मिग-29 और मिराज 2000 जैसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान तैनात हैं। भारत को रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली मिलना और अब अमेरिका द्वारा इस सिस्टम की खरीद को लेकर अपने प्रतिबंधों से हाथ पीछे खींचना, ये सब बातें भारत की बढ़ती ताकत का संकेत है। भारतीय एयरफोर्स, ताकत के मामले में चीन से आगे निकलती जा रही है। एस-400 रक्षा मिसाइल (S400 air defence system), महज पांच मिनट में ही युद्ध के लिए तैयार हो सकती है। चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारतीय सेना के पास एस-400 मिसाइल होना बहुत जरूरी था। कई तरह की मारक क्षमता और रडार प्रणाली को खुद में समेटे यह ब्रह्मास्त्र, दुनिया भर की उन्नत मिसाइलों में से एक है। इस मिसाइल को जमीन, अत्याधिक ऊंचाई और समुद्री प्लेटफॉर्म से भी छोड़ा जा सकता है।

वायुसेना की ताकत के मामले में भारत से पीछे है चीन …

भारतीय वायुसेना ने चीन, जापान और फ्रांस जैसे शक्तिशाली देशों को पीछे छोड़ दिया है। पिछले दिनों जारी हुई वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (डब्ल्यूडीएमएमए) की ‘ग्लोबल एयर पॉवर्स रैंकिंग’ रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। साल 2022 की रैकिंग में डब्लूडीएमएमए ने भारतीय वायु सेना को चीन, जापान और फ्रांस की एयरफोर्स से ऊपर रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वायु सेना ने अपनी शक्ति को काफी ज्यादा बढ़ा लिया है। डब्ल्यूडीएमएमए की रिपोर्ट में 98 देशों की एयरफोर्स पावर का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अलावा यह संगठन, दुनिया की 124 हवाई सेवाओं को भी कवर करता है। वायु सेना की ताकत का सही विश्लेषण करने के लिए यह संगठन, आधुनिकीकरण, आक्रमण करने की क्षमता, लड़ाई के दौरान लॉजिस्टिक सपोर्ट और रक्षा क्षमता आदि पहलुओं की पड़ताल करता है। ग्लोबल एयर पॉवर्स रैंकिंग (2022) में अमेरिका की वायु सेना, पहले स्थान पर है।

ये है भारतीय वायु सेना की बढ़ती ताकत का राज

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के पास मौजूदा समय में 1645 विमान बताए गए हैं। इनमें से 632 लड़ाकू जहाज हैं। इनमें प्रमुख तौर से राफेल, सुकोई, मिग-21 बीआईएस, जगुआर,  मिग-29 यूपीजी (मल्टीरोल) व तेजस आदि शामिल हैं। वायु सेना में एमआई-17/171  (मध्यम-लिफ्ट)-223, एचएएल ध्रुव (मल्टीरोल)-91, एसए 316/एसए319 (उपयोगिता)-77, एमआई-25/25/35 (गनशिप/परिवहन)-15, एएच-64ई (हमला)-8, सीएच-47एफ (मध्यम लिफ्ट)-6, एमआई-26 (भारी लिफ्ट)-1 व एसए 315 (लाइट यूटिलिटी)-17 जैसे हेलीकॉप्टर भी मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार, साथ ही भारतीय वायु सेना के बेड़े में एएन-32 (सामरिक)-104, एचएस 748 (उपयोगिता)-57, डोर्नियर 228 (यूटिलिटी)-50, आईएल-76 एमडी/एमकेआई (रणनीतिक)-17 और सी-17 (रणनीतिक/सामरिक)-11 सहित सी-130जे (सामरिक)-11 ट्रांसपोर्टर जहाज भी शामिल हैं। ग्लोबल एयरपॉवर रिपोर्ट में इंडियन एयरफोर्स का छठा स्थान है।

दूसरा स्थान भी अमेरिका को मिला है, रूस का नंबर तीसरा

अमेरिका स्टेट एयरफोर्स को 242.9 प्वाइंट के साथ पहला स्थान मिला है। यूएस नेवी, जिसके पास खुद का एयरफोर्स सिस्टम है, उसे 142.4 प्वाइंट मिले हैं। रूस की वायु सेना को 114.2 प्वाइंट दिए गए हैं। अमेरिकन आर्मी एविएशन को 112.6 प्वाइंट, यूएस की मरीन कॉर्प्स को 85.3 प्वाइंट और भारतीय वायु सेना को 69.4 प्वाइंट दिए गए हैं। खास बात ये है कि चीन की वायुसेना को 63.8 प्वाइंट मिले हैं। जापान की वायु सेना को 58.1 प्वाइंट, इस्राइल की एयरफोर्स को 58.0 प्वाइंट व फ्रांस एयरफोर्स को 56.3 प्वाइंट दिए गए हैं। यहां बता दें कि इस सूची में जहां बाकी देशों की केवल एयरफोर्स शामिल की गई है, वहीं अमेरिका की तीनों सेनाओं की एयरफोर्स को अलग-अलग रैंक दी गई है।

चीन के विरोध का मतलब, सीमा पर टेंशन

एयर कमोडोर बीएस सिवाच (रिटायर्ड) के अनुसार, चीन बहुत दिनों से कांटा चुभाने का प्रयास कर रहा है। वर्ष 2020 में गलवां घाटी की झड़प में भले ही हमारे बीस जवान शहीद हो गए, लेकिन चीन को एक बड़ा सबक दे दिया गया था। उसके बाद भी चीन अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। कोर कमांडर स्तर की बैठकों के कई दौर चले हैं, लेकिन ठोस नतीजा सामने नहीं आ सका। वो कुछ तो बड़ा गेम प्लान कर रहा है। चीन, अपनी इन्हीं हरकतों से दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि वही सुपर पावर है। अगर कोई पंगा लेगा, तो वह दोगुनी ताकत से उस देश को तंग करना शुरू कर देता है। खास बात ये है कि वह पंगा भी खुद ही लेता है। ये एक तरह से ड्रैगन की धमकी है। अगर चीन के बॉर्डर से लगता देश उसके विरोध में कुछ करता है तो वह सीमा पर टेंशन पैदा करने लगता है।

वक्त बदल गया है, आज चीन को महंगी पड़ सकती है लड़ाई

आज वक्त बदल चुका है। भारत कई मायने में शक्तिशाली होता जा रहा है। एयर कमोडोर बीएस सिवाच (रिटायर्ड) कहते हैं, चीन कई देशों को परेशान करने का प्रयास कर रहा है। ताइवान के साथ भी यही कर रहा है। जापान और वियतनाम को भी वह अपने लिए खतरा समझता है। वह जानबूझ कर सीमा विवाद का हल नहीं करना चाहता। दूसरे देशों पर हमले का भय बनाए रखता है। भारतीय वायु सेना पूरी तरह से चीन का मुकाबला करने में सक्षम है। चीन के लड़ाकू विमान, दोनों देशों की सीमा के उस हिस्से से गुजर रहे हैं, जहां पर टकराव रहता है। जून में चीन के एक लड़ाकू विमान ने पूर्वी लद्दाख में ऐसे ही एक विवादित प्वाइंट के निकट उड़ान भरी थी। चुमार सेक्टर में एलएसी पर भी कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स ‘सीबीएम’ का उल्लंघन देखने को मिला। जे-11 सहित चीनी वायु सेना के बेड़े में शामिल दूसरे लड़ाकू विमान, वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब उड़ान भर रहे हैं। 10 किलोमीटर के कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स (सीबीएम) लाइन के उल्लंघन के मामले सामने आए हैं। इंडियन एयरफोर्स अलर्ट है और एक्टिव भी है। हर घटना का बहुत बारिकी से विश्लेषण हो रहा है। एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली, भले ही चीन ने इसे छह सात वर्ष पहले हासिल कर लिया था, लेकिन आज भारत के पास भी यह प्रणाली आ चुकी है। इसकी तैनाती के स्थान से चीन परेशान हो गया है। आज वक्त बदल चुका है। चीन अगर अपनी हरकतों को लड़ाई की ओर ले जाता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

ध्यान भटकाने के लिए सीमा पर तनाव पैदा करता है चीन

चीन के आर्थिक हालात खराब हैं। वह अपने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सीमा पर कोई न कोई विवाद खड़ा कर देता है। रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, जैसे पाकिस्तान के साथ कुछ न कुछ चलता रहता है, ऐसे ही चीन की हरकत भी बंद नहीं हो सकती। चीन के साथ भारत का बड़े पैमाने पर व्यापार होता रहा है। वह उसे नहीं खोना चाहता। चीन में बैंकों के सामने टैंक खड़े हो जाते हैं, इसका मतलब समझा जा सकता है। वहां की अंदरुनी स्थिति बहुत खराब हो रही है। इसके चलते वह दूसरे देशों को परेशान करना शुरू कर देता है। वह अपने लोगों से कहता है कि चीन के पास एडवांस फाइटर है। चीन, तरक्की तो कर रहा है, भारत को उससे हर मोर्चे पर सतर्क रहने की जरूरत है। भारत को मिलिट्री, सरकार और कूटनीतिक स्तर, तीनों मोर्चों पर बात करते रहना चाहिए। भारत के दो पड़ोसी हैं और दोनों ही शरारती हैं। भारतीय सेना, चीन को मुंहतोड़ जवाब दे सकती है।

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आर्थिक मोर्चे पर लगी चोट और भारत की ‘बूस्टर खुराक’ से ड्रैगन बौखला उठा है। भारत को उकसाने के लिए चीन अपने लड़ाकू विमानों को उस क्षेत्र में उड़ा रहा है, जिसे लेकर दोनों राष्ट्रों के बीच तनाव रहता है। आर्थिक चोट की वजह से चीन ने सेना के टैंकों को बैंकों के बाहर तैनात कर दिया है, ताकि लोग अपना पैसा न निकाल सकें। भारत को मिले Rafael और S-400 मिसाइल प्रणाली, जिसे पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने बूस्टर खुराक का नाम दिया था, इससे चीन भयभीत है। दूसरा, वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (डब्ल्यूडीएमएमए) ने अपनी ‘ग्लोबल एयर पॉवर्स रैंकिंग’ (Global Air Power Ranking 2022) रिपोर्ट में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को चीन की एयरफोर्स के मुकाबले बेहतर रैंक प्रदान की है, जिससे ड्रैगन की परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है।

 

अमेरिका में पिछले दिनों, प्रतिनिधि सभा ने भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली (S400 air defence system) खरीदने के लिए ‘काटसा’ प्रतिबंधों (Caatsa Act) से छूट दिलाने वाले एक संशोधित विधेयक को पारित कर दिया। अब भारत बिना किसी परेशानी या रोक टोक के रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद सकेगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका का ये फैसला भी चीन पर एक कुठाराघात की तरह है, क्योंकि 2014 में एस-400 मिसाइल खरीद चुका ड्रैगन नहीं चाहता था कि इस खतरनाक हथियार से भारतीय सेना भी लैस हो जाए।

भारत से व्यापारिक संबंध तोड़ना नहीं चाहेगा चीन

एयर कमोडोर बीएस सिवाच (रिटायर्ड) ने बताया, चीन अब कई मोर्चों पर घिरता जा रहा है। अपने लोगों के सामने खुद की कमजोरी को छिपाने के लिए वह भारतीय सीमा पर टकराहट शुरू कर देता है। हालांकि चीन इस टकराव को लड़ाई तक ले जा सकता है, ऐसा किसी भी तरह से नजर नहीं आता। आर्थिक मोर्चे पर कमजोर पड़ रहा चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत के साथ पूरी तरह से उसके व्यापारिक संबंध खत्म हो जाएं। भारतीय वायु सेना ने चीन की सेना के उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तैयारी की है। सीमा पर मिग-29 और मिराज 2000 जैसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान तैनात हैं। भारत को रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली मिलना और अब अमेरिका द्वारा इस सिस्टम की खरीद को लेकर अपने प्रतिबंधों से हाथ पीछे खींचना, ये सब बातें भारत की बढ़ती ताकत का संकेत है। भारतीय एयरफोर्स, ताकत के मामले में चीन से आगे निकलती जा रही है। एस-400 रक्षा मिसाइल (S400 air defence system), महज पांच मिनट में ही युद्ध के लिए तैयार हो सकती है। चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारतीय सेना के पास एस-400 मिसाइल होना बहुत जरूरी था। कई तरह की मारक क्षमता और रडार प्रणाली को खुद में समेटे यह ब्रह्मास्त्र, दुनिया भर की उन्नत मिसाइलों में से एक है। इस मिसाइल को जमीन, अत्याधिक ऊंचाई और समुद्री प्लेटफॉर्म से भी छोड़ा जा सकता है।



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