नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude oil price) का भाव लगातार बढ़ रहा है. दुनिया का तीसरा सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत अपनी जरूरतों का 85 फीसदी तेल खरीदता है. ऐसे में महंगा क्रूड आय़ात बिल के मोर्चे पर भारत को झटका दे सकता है. इससे व्यापारा घाटा भी बढ़ेगा.
इन झटकों से बचने और आम आदमी को राहत देते के लिए सरकार अपने रणनीतिक ऑयल रिजर्व का इस्तेमाल कर सकती है. नवंबर में सरकार ने ऑयल रिजर्व से 50 लाख बैरल तेल निकालने का फैसला किया था. इसमें से अब तक 35 लाख बैरल तेल निकाला जा चुका है. रूस के यूक्रेन पर हमला (Attack on Ukraine) करने की वजह से 24 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड सात वर्ष के सर्वकालिक उच्च स्तर 105.58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.
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वैश्विक बाजारों में सरकार की नजर
पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि भारत सरकार वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर करीब से नजर रख रही है. इससे बदलती भू-राजनीतिक परिस्थिति के परिणाम स्वरूप ऊर्जा की आपूर्ति संबंधी व्यवधानों के बारे में पता चल सके. मौजूदा आपूर्ति स्थिर कीमतों पर जारी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत उचित कदम उठाने के लिए तैयार है.
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उपभोक्ता मूल्य पर असर का जिक्र नहीं
बयान में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि का उपभोक्ता मूल्य पर क्या असर होगा, इसके बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया. इसमें कहा गया है कि भारत रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार से तेल जारी करने की पहल का समर्थन करने, बाजार में उतार-चढ़ाव को कम करने और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए भी प्रतिबद्ध है.
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50 लाख बैरल तेल जारी करने पर सहमति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए भारत ने अमेरिका, जापान और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर पिछले वर्ष नवंबर में अपने आपातकालीन भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करने पर सहमति जताई थी. तब कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 82-84 डॉलर प्रति बैरल थी. बयान में यह नहीं कहा गया कि भारत कच्चा तेल कितनी मात्रा में जारी करेगा.
प्रतिदिन 50 लाख बैरल कच्चा तेल बेचता है रूस
रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. रूस से हर रोज 50 लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात होता है. यूरोप की 48 और एशियाई देशों की 42 फीसद निर्भरता रूस पर ही है. इसलिए रूस से आयात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. फिलहाल दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी भी रूस के साथ खड़ा दिख रहा.
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