नई दिल्ली. इंडोनेशिया पाम ऑयल का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके बावजूद वह पाम ऑयल संकट (Indonesia Palm Oil Crisis) से जूझ रहा है. इस समय इंडोनेशिया भीषण महंगाई की चपेट में है. आलम ये है कि वहां पाम ऑयल की कीमतें की सोने की तरह हो गई हैं. बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) ने खाना पकाने के तेल और इसके कच्चे माल के शिपमेंट को रोकने की घोषणा की है. इसके बाद इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल से अगले आदेश तक पाम तेल के निर्यात पर बैन लगा दिया है.
एक वीडियो प्रसारण में जोको विडोडो ने कहा कि पॉलिसी का उद्देश्य घर पर खाद्य प्रोडक्ट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा, “मैं इस पॉलिसी के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन करूंगा ताकि घरेलू बाजार में खाना पकाने के तेल की उपलब्धता प्रचुर और सस्ती हो जाए.”
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इंडोनेशिया द्वारा बैन की घोषणा के बाद अमेरिकी सोया तेल वायदा 3 फीसदी से ज्यादा उछलकर 84.03 सेंट प्रति पाउंड के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. ट्रेड बॉडी सॉल्वेंट एक्ट्रेक्टर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी अतुल चतुर्वेदी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि यह कदम पूरी तरह से अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण है. इस कदम से न केवल सबसे बड़े खरीदार भारत में बल्कि विश्व स्तर पर उपभोक्ताओं को नुकसान होगा, क्योंकि पाम दुनिया का सबसे अधिक खपत वाला तेल है.
इससे पहले जनवरी में इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर बैन लगाया था, हालांकि बैन को मार्च में हटा लिया गया था.
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