कहीं होली का रंग फीका न कर दे रूस-यूक्रेन युद्ध, Refined oil सहित कई खाद्य तेलों के रेट में आया जबरदस्त उबाल


नई दिल्ली. यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे युद्ध (Ukraine Russia War) का असर अब कूकिंग ऑयल (Cooking Oil) पर भी दिखने लगा है. इस लड़ाई ने विश्व के कई देशों के अर्थव्यवस्था पर गहरा चोट दिया है. इस लड़ाई का असर भारत में भी अब दिखने लगा है. देश के कई हिस्सों में सरसों तेल (Mustard Oil), रिफाइंड ऑयल (Refined oil) के दाम बढ़ ही नहीं रहे हैं बल्कि बाजार से गायब भी हो रहे हैं. किराना बाजार (Kirana Mandi) से जुड़े कारोबारी की मानें तो होली (Holi) से पहले कुकिंग ऑयल (Edible Oil) की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रिफाइंड तेलों में दिख रही है. इनमें सोयाबीन तेल, सूर्यमुखी तेल और पॉम ऑयल (Palm Oil) भी शामिल हैं.

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ का मानना है कि हाल ही में देश और विदेश में उपजे ऐसे कई बड़े कारण हैं, जिसकी वजह से खाने के तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने की खबरों के बीच स्थानीय मार्केट में भी इन तेलों के दाम बढ़ने लगे. कारोबारियों का कहना है कि बीते दस दिनों में रिफाइंड तेलों की सबसे अधिक कीमत बढ़ी है. वहीं, बीते कुछ दिनों से इसका स्टॉक भी कम हो रहा है. कूकिंग ऑयल की बात करें तो बीते दो हफ्ते में ही इसके रेट प्रति लीटर 20 से 30 रुपये तक बढ़ गए हैं. इसके साथ ही देसी घी से लेकर वनस्पति घी के दामों में भी 25 से 30 रुपये प्रति लीटर तक इजाफा देखने को मिला है.

cooking oil price, soyabean oil price, sarson tel ki keemat, palm oil price, mustered oil price, edible oil price, India, palm oil, palm oil imports, soyoil, SEA, soyoil imports, import tax on crude palm oil, vegetable oil, fooding oil, russia ukarine war, commodity News, पाम तेल, फूड ऑयल, वनस्पति तेल, सोयाबीन तेल दाम, सरसों तेल दाम, पॉम ऑयल दाम, खाद्य तेल, कूकिंग ऑयल, एडिटबल ऑयल, महंगाई, होली, रूस यूक्रेन वार, रुस युक्रेन की लड़ाई का असर भारत में, कमोडिटीज न्यूज

भारत में रिफाइंड तेल दूसरे मुल्कों से आयात किया जाता है. 

रिफाइंड तेल का दाम क्यों बढ़ा?
गौरतलब है कि भारत में रिफाइंड तेल दूसरे मुल्कों से आयात किया जाता है. हालांकि, केन्द्र सरकार ने पॉम ऑयल में 10 फीसदी तक आयात शुल्क कम कर दिया था, लेकिन कुछ नए कारणों के चलते इस राहत से भी कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा. भारत खाद्य तेलों के उत्पादन में काफी पीछे है. कुल खपत का करीब 60 फीसदी हिस्सा भारत विदेशों से आयात करता है. इनमें पॉम ऑयल को छोड़ दें तो शेष रिफाइंड तेलों में से ज्यादातर तेल अर्जेंटीना, ब्राज़ील और यूक्रेन से आता है. पाम ऑयल मलेशिया और इंडोनेशिया से भी आता है. इसी तरह सनफ्लावर रिफाइंड ऑयल की बात करें तो इसमें 90 फ़ीसदी से अधिक आयात निर्भरता रूस और यूक्रेन पर है. अब युद्ध की वजह से इन दोनों देशों से आयात बिल्कुल बंद हो गए हैं.

ये भी पढ़ें: अब लोहे और इस्पात के निर्माण में भी प्लास्टिक कचरे के उपयोग का बनेगा रोडमैप 

सेंट्रल आर्गनाइजेशन फोर ऑयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड के मुताबकि रूस और यूक्रेन युद्ध भड़कने के पहले से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिफाइंड तेल के दाम बढ़ने लगे थे. सबसे सस्ता बिकने वाला पॉम ऑयल के भी इन दिनों भाव बढ़े हुए हैं. कभी सरसों तेल से आधी कीमत पर बिकने वाला पॉम आयल अभी विदेश से ही सरसों तेल के मुकाबले प्रति किलो 10-15 रुपये महंगा आ रहा है. बीते 25 फरवरी से तीन मार्च के बीच इसके दाम में 200 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है. इसी वजह से सोयाबीन, सूर्यमुखी समेत सभी तरह के खाद्य तेल के दाम बढ़ने लगे हैं.

Tags: Cooking, Edible oil, Edible oil price, Oil markets, Russia ukraine war

image Source

Enable Notifications OK No thanks