महंगाई : भारत में बर्तन बार 20 ग्राम हल्का तो अमेरिका में 65 के पैकेट में 60 टिश्यू पेपर, ग्राहकों को भरमाने के दांवपेच अपना रहीं कंपनियां


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भारत में बर्तन धोने का साबुन विम बार 155 से घटाकर 135 ग्राम रह गया है। अमेरिका में क्लीनेक्स कंपनी के 65 के पैकेट में 60 ही टिश्यू पेपर मिल रहे हैं। ब्रिटेन में नेस्ले ने नेस्कैफे अजेरा अमेरिकानो कॉफी का 100 ग्राम का टीन 90 ग्राम का रख छोड़ा। एशिया से लेकर यूरोप और अमेरिका तक में कंपनियां यही चालाकियां कर रही हैं। वजह? बढ़ती महंगाई के बीच भी अपनी लागत घटाना, मुनाफा बढ़ाना और सबसे अहम, ग्राहकों को भरमाए रखना।

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पूरी दुनिया के बाजारों में इस नए चलन में चिप्स और दही से लेकर टॉयलेट पेपर तक नजर आ रहे हैं। ऐसा करके कंपनियां लागत बढ़ने पर भी उत्पाद के दाम बढ़ाने से बच रही हैं। वित्त विश्लेषक कंपनी एस एंड पी ग्लोबल का दावा है कि मई में वैश्विक उपभोक्ता मूल्य वृद्धि 7 प्रतिशत रही, यही हाल सितंबर तक जारी रहेंगे।

उपभोक्ता अधिकार विशेषज्ञ एगर ड्वोर्स्की के अनुसार कंपनियां कीमत न बदलकर उत्पादों का वजन घटाने के चलन पर 10 साल से काम कर रही हैं। वे बताते हैं कि बीते वर्ष के आखिर से इस चलन में तेजी आई। भारत में डाबर इंडिया के कॉरपोरेट प्रवक्ता ब्यास आनंद कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता कीमत को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं, शहरों में कीमत बढ़ाना कंपनियों को आसान लगता है।

आगे : क्या छोटे ही रहेंगे पैकेट
ड्वार्स्की के अनुसार ऐसा बहुत कम होता है कि कंपनियां किसी उत्पाद के पैकेट छोटे करें और बाद में उन्हें बढ़ा दें। वे महंगाई से निपटने के लिए ऐसे कदम उठाती हैं, लेकिन प्रतियोगिता और मुनाफा देखकर इसे बाद में बदलना नहीं चाहतीं।

पढ़ें…कैसे-कैसे तिकड़म भिड़ा रही कंपनियां

  • अमेरिका में कोटनएल अल्ट्रा क्लीन-केयर टॉयलेट पेपर का 340 शीट का रोल 312 शीट का रह गया
  • फोल्जर्स कॉफी ने 51 आउंस के डिब्बे को 43.5 आउंस का किया
  • पेप्सिको कंपनी ने फ्रीटोज स्कूप्स (मकई के चिप्स) के 18 आउंस के पैकेट की जगह ‘पार्टी साइज’ पैकेट लॉन्च किया है जो 15.5 आउंस का है, कीमत भी बढ़ाई
  • गेटोरेड की बोतलें 32 आउंस के बजाय 28 आउंस की रह गईं
  • पी एंड जी ने पैंटिन प्रो-वी कंडीनशर 12 आउंस के बजाय 10.4 आउंस का किया
  • जापान में स्नैक्स कंपनी कालबी ने कई उत्पादों का वजन घटाया और कीमत बढ़ाई।

फायदे में : कंपनियां… और कौन?
एरिजोना राज्य विश्वविद्यालय में सप्लाई चेन मैनेजमेंट प्रोफेसर हितेंद्र चतुर्वेदी के अनुसार, कई कंपनियों के उत्पाद के बाजार मूल्य में से लागत घटाएं तो पाएंगे कि मुनाफा तेजी से बढ़ा। पेप्सिको का उदाहरण देखें, 2021 में उसका कारोबारी मुनाफा 11 प्रतिशत था, लेकिन पहली तिमाही में यह 128 प्रतिशत हो गया है। इसमें मुनाफाखोरी की गंध आती है।           

विस्तार

भारत में बर्तन धोने का साबुन विम बार 155 से घटाकर 135 ग्राम रह गया है। अमेरिका में क्लीनेक्स कंपनी के 65 के पैकेट में 60 ही टिश्यू पेपर मिल रहे हैं। ब्रिटेन में नेस्ले ने नेस्कैफे अजेरा अमेरिकानो कॉफी का 100 ग्राम का टीन 90 ग्राम का रख छोड़ा। एशिया से लेकर यूरोप और अमेरिका तक में कंपनियां यही चालाकियां कर रही हैं। वजह? बढ़ती महंगाई के बीच भी अपनी लागत घटाना, मुनाफा बढ़ाना और सबसे अहम, ग्राहकों को भरमाए रखना।

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पूरी दुनिया के बाजारों में इस नए चलन में चिप्स और दही से लेकर टॉयलेट पेपर तक नजर आ रहे हैं। ऐसा करके कंपनियां लागत बढ़ने पर भी उत्पाद के दाम बढ़ाने से बच रही हैं। वित्त विश्लेषक कंपनी एस एंड पी ग्लोबल का दावा है कि मई में वैश्विक उपभोक्ता मूल्य वृद्धि 7 प्रतिशत रही, यही हाल सितंबर तक जारी रहेंगे।

उपभोक्ता अधिकार विशेषज्ञ एगर ड्वोर्स्की के अनुसार कंपनियां कीमत न बदलकर उत्पादों का वजन घटाने के चलन पर 10 साल से काम कर रही हैं। वे बताते हैं कि बीते वर्ष के आखिर से इस चलन में तेजी आई। भारत में डाबर इंडिया के कॉरपोरेट प्रवक्ता ब्यास आनंद कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता कीमत को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं, शहरों में कीमत बढ़ाना कंपनियों को आसान लगता है।

आगे : क्या छोटे ही रहेंगे पैकेट

ड्वार्स्की के अनुसार ऐसा बहुत कम होता है कि कंपनियां किसी उत्पाद के पैकेट छोटे करें और बाद में उन्हें बढ़ा दें। वे महंगाई से निपटने के लिए ऐसे कदम उठाती हैं, लेकिन प्रतियोगिता और मुनाफा देखकर इसे बाद में बदलना नहीं चाहतीं।

पढ़ें…कैसे-कैसे तिकड़म भिड़ा रही कंपनियां

  • अमेरिका में कोटनएल अल्ट्रा क्लीन-केयर टॉयलेट पेपर का 340 शीट का रोल 312 शीट का रह गया
  • फोल्जर्स कॉफी ने 51 आउंस के डिब्बे को 43.5 आउंस का किया
  • पेप्सिको कंपनी ने फ्रीटोज स्कूप्स (मकई के चिप्स) के 18 आउंस के पैकेट की जगह ‘पार्टी साइज’ पैकेट लॉन्च किया है जो 15.5 आउंस का है, कीमत भी बढ़ाई
  • गेटोरेड की बोतलें 32 आउंस के बजाय 28 आउंस की रह गईं
  • पी एंड जी ने पैंटिन प्रो-वी कंडीनशर 12 आउंस के बजाय 10.4 आउंस का किया
  • जापान में स्नैक्स कंपनी कालबी ने कई उत्पादों का वजन घटाया और कीमत बढ़ाई।

फायदे में : कंपनियां… और कौन?

एरिजोना राज्य विश्वविद्यालय में सप्लाई चेन मैनेजमेंट प्रोफेसर हितेंद्र चतुर्वेदी के अनुसार, कई कंपनियों के उत्पाद के बाजार मूल्य में से लागत घटाएं तो पाएंगे कि मुनाफा तेजी से बढ़ा। पेप्सिको का उदाहरण देखें, 2021 में उसका कारोबारी मुनाफा 11 प्रतिशत था, लेकिन पहली तिमाही में यह 128 प्रतिशत हो गया है। इसमें मुनाफाखोरी की गंध आती है।           



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