Input Tax Credit: मासिक टैक्स भुगतान फॉर्म में हो सकता है बदलाव, फर्जी बिलों पर लगेगी रोक


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जीएसटी परिषद मासिक टैक्स भुगतान फॉर्म जीएसटीआर-3बी में बदलाव पर विचार कर सकती है। इसमें बिक्री रिटर्न से संबंधित आपूर्ति के आंकड़े और कर भुगतान का एक कॉलम शामिल होगा, जिसमें बाद में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। परिषद की अगली बैठक 28-29 जून को चंडीगढ़ में होगी। 

जीएसटीआर-3बी फॉर्म में बदलाव से से नकली बिलों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। विक्रेताओं द्वारा जीएसटीआर-1 में कई बार ज्यादा बिक्री दिखाई जाती है और इसके आधार पर सामान खरीदार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करता है। जबकि जीएसटीआर-3 बी में कम बिक्री दिखाई जाती है ताकि जीएसटी कम देना पड़े। अभी के जीएसटीआर-3 बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का विवरण खुद तैयार होता है। अधिकारियों के मुताबिक, इस बदलाव से जीएसटीआर-3 बी में उपयोगकर्ता की ओर से कम जानकारी देनी होगी और फाइलिंग की प्रक्रिया भी आसान होगी। 

कई तरह के बदलाव संभव 
एएमआरजी के एसोसिएट भागीदार रजत मोहन ने बताया कि इस बैठक में यात्री परिवहन सेवाएं, आवास सेवाएं, हाउस कीपिंग और क्लाउड किचन सेवा देने वाले ई-कॉमर्स ऑपरेटर के लिए टैक्स फाइलिंग में बदलाव हो सकता है। ये कंपनियां अब अलग-अलग कॉलम में अपने जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3 बी में आपूर्तिकर्ताओं की ओर से जानकारी देने के लिए जवाबदेह होंगी। इसमें उबर, स्विगी और जोमैटो जैसी कंपनियां भी दायरे में आएंगी। 

स्पष्टीकरण देगी काउंसिल
इसी के साथ काउंसिल कुछ मामलों में स्पष्टीकरण भी दे सकती है। इसमें सोविनियर्स में दिए गए विज्ञापन पर जीएसटी 5 फीसदी लगेगा या 18 फीसदी,  इस पर भी स्पष्टीकरण आएगा। प्रिंट मीडिया में विज्ञापन पर 5 फीसदी जीएसटी लागू है और इसी आधार पर सोविनियर्स पर भी 5 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है।

विस्तार

जीएसटी परिषद मासिक टैक्स भुगतान फॉर्म जीएसटीआर-3बी में बदलाव पर विचार कर सकती है। इसमें बिक्री रिटर्न से संबंधित आपूर्ति के आंकड़े और कर भुगतान का एक कॉलम शामिल होगा, जिसमें बाद में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। परिषद की अगली बैठक 28-29 जून को चंडीगढ़ में होगी। 

जीएसटीआर-3बी फॉर्म में बदलाव से से नकली बिलों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। विक्रेताओं द्वारा जीएसटीआर-1 में कई बार ज्यादा बिक्री दिखाई जाती है और इसके आधार पर सामान खरीदार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करता है। जबकि जीएसटीआर-3 बी में कम बिक्री दिखाई जाती है ताकि जीएसटी कम देना पड़े। अभी के जीएसटीआर-3 बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का विवरण खुद तैयार होता है। अधिकारियों के मुताबिक, इस बदलाव से जीएसटीआर-3 बी में उपयोगकर्ता की ओर से कम जानकारी देनी होगी और फाइलिंग की प्रक्रिया भी आसान होगी। 

कई तरह के बदलाव संभव 

एएमआरजी के एसोसिएट भागीदार रजत मोहन ने बताया कि इस बैठक में यात्री परिवहन सेवाएं, आवास सेवाएं, हाउस कीपिंग और क्लाउड किचन सेवा देने वाले ई-कॉमर्स ऑपरेटर के लिए टैक्स फाइलिंग में बदलाव हो सकता है। ये कंपनियां अब अलग-अलग कॉलम में अपने जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3 बी में आपूर्तिकर्ताओं की ओर से जानकारी देने के लिए जवाबदेह होंगी। इसमें उबर, स्विगी और जोमैटो जैसी कंपनियां भी दायरे में आएंगी। 

स्पष्टीकरण देगी काउंसिल

इसी के साथ काउंसिल कुछ मामलों में स्पष्टीकरण भी दे सकती है। इसमें सोविनियर्स में दिए गए विज्ञापन पर जीएसटी 5 फीसदी लगेगा या 18 फीसदी,  इस पर भी स्पष्टीकरण आएगा। प्रिंट मीडिया में विज्ञापन पर 5 फीसदी जीएसटी लागू है और इसी आधार पर सोविनियर्स पर भी 5 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है।



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