Investment Tips: क्या आपका म्यूचुअल फंड निवेश नुकसान में है? तो जानिए अपनी कैपिटल बचाने के सटीक तरीके


हाइलाइट्स

म्‍यूचुअल फंड के माध्‍यम से इक्विटी मार्केट में निवेश को अन्‍य तरीकों से ज्‍यादा जोखिमरहित माना जाता है.
बाजार में गिरावट के दौरान भी अगर निवेशक निवेश बरकरार रखता है तो उसे लॉन्‍ग टर्म में फायदा होता है.
नुकसान से बचने के लिए निवेश में विविधता होनी आवश्‍यक है.

नई दिल्‍ली. जब आप इक्विटी मार्केट (Equity Market) या इससे संबंधित इनवेस्‍टमेंट टूल्‍स में निवेश करते हैं तो फायदे के साथ-साथ नुकसान होने की संभावना भी रहती है. अगर निवेशक ने जैसा सोचकर निवेश किया है और वैसा न हो तो इनवेस्‍टर अपनी मूल पूंजी (कैपिटल) भी खो सकता है. हालांकि यह भी एक हकीकत है कि हाई रिस्‍क निवेश शानदार रिटर्न भी देता है.

ऐसे निवेशक जो कम जोखिम उठाकर इक्विटी मार्केट में निवेश (Investing In Equity Market)  करना चाहते हैं उनके लिए म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) एक बेहतरीन इनवेस्‍टमेंट टूल है. लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि म्‍यूचुअल फंड में घाटा नहीं होता. इसमें भी निवेश कई बार नुकसान में चला जाता है. लेकिन, म्‍यूचुअल फंड निवेश के घाटे को दूर किया जा सकता है. इसके लिए कुछ बातों का ध्‍यान रखना पड़ता है.

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निरंतर निवेश
इक्विटी मार्केट में कमाई का मूल मंत्र है ‘निरंतर और विविध निवेश’ (Invest regularly and invest diversified). शेयर बाजार में मंदी के दौर में अपनी पूंजी को सुरक्षित रखना काफी महत्‍वपूर्ण हो जाता है, ताकि आपका निवेश और रिटर्न प्रभावित न हो. जी बिज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इपिसिलोन मनी के सीईओ अभिषेक देव का कहना है कि बाजार में अस्थिरता उन निवेशकों की परम मित्र है जो दीर्घावधि निवेश करते हैं. ऐसे ही जो लोग निरंतर निवेश करते हैं, उनके मंदी में दोनों हाथ में लड्डू होते हैं. निरंतर निवेश एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में ज्‍यादा यूनिट जोड़ने का अवसर प्रदान करता है जब बाजार में गिरावट आती है.

मंदी में खरीदारी करके वह अपने एवरेज कॉस्‍ट को घटा सकता है. अभिषेक का कहना है कि आज सारा विश्‍व आपस में जुड़ चुका है. विश्‍व में कहीं घटित एक घटना का असर भी भारतीय बाजार पर हो सकता है. ऐसा यूएस फेड द्वारा ब्‍याज दरों में वृद्धि करने और यूक्रेन संकट के कारण हो भी चुका है. अभिषेक का कहना है कि बाजार में आगे क्‍या होगा, इसकी भविष्‍यवाणी करना बहुत मुश्किल है. इसलिए मंदी के प्रभाव को कम करने का एक ही तरीका है कि इसका सामना करने के लिए तैयार रहें और बाजार गिरावट में भी निवेश करते रहें.

निवेश में विविधता
अपनी पूंजी को एक ही जगह लगाना समझदारी नहीं है. निवेश में हमेशा विविधिकरण होना चाहिए. सभी फाइनेंशियल प्‍लानर्स का कहना है कि निवेशक को अपनी पूंजी एसेट क्‍लास, इक्विटी, फिक्‍स्‍ड इनकम, सोने और विदेशी सिक्‍योरिटीज में लगानी चाहिए. निवेश में विविधिकरण होने से फायदा यह होता है कि जब एक एसेट क्‍लास में नुकसान होता है तो आपका इसके अलावा कहीं किया गया दूसरा निवेश अच्‍छा रिटर्न दे रहा होता है. इस तरह आपका पोर्टफोलियो नुकसान से बच जाता है.

अभिषेक का कहना है कि एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मार्केट के झटके सहने मे ज्‍यादा सक्षम होता है. अगर आपने अपनी सारी पूंजी इक्विटी जैसी एक ही एसेट क्‍लास में लगा रखी है तो आपको भारी घाटा होने की संभावना बहुत होती है. इसलिए आपको हमेशा अपनी पूंजी को अलग-अलग जगह निवेश करना चाहिए.

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SIP से निवेश
एसआईपी से निवेश करना सबसे सुरक्षित निवेश है. जब बाजार में मंदी होती है तो यह अपने पोर्टफोलियो में ज्‍यादा यूनिट जोड़ने का सबसे बेहतरीन तरीका है. जब आप इक्विटी मार्केट में सिप के माध्‍यम से निवेश करते हैं तो यह अस्थिरता से मुकाबला करने में आपकी बहुत मदद करता है. इससे लॉन्‍ग टर्म में निवेशक बढिया मुनाफा कमा सकता है. यहां यह जानना जरूरी है कि इक्विटी मार्केट ने दस साल की अवधि में कभी नेगेटिव रिटर्न नहीं दिया है.

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