क्या कोरोना की नई लहर आने वाली है? विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी


नई दिल्ली. देश में कोरोना की रफ्तार एक बार फिर बढ़ने लगी है. पिछले 24 घंटे में करीब 8.5 हजार संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं. ऐसे में कई लोगों को यह डर सता रहा है कि कहीं कोरोना की चौथी लहर तो सामने नहीं है. हालांकि देश के चोटी के विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना संक्रमण में वर्तमान वृद्धि किसी नई लहर की सूचक नहीं है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ‘सेंटर ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी’ के पूर्व निदेशक और विषाणु विज्ञानी टी जैकब जॉन ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के मामले में हालिया बढ़ोतरी ‘‘नयी लहर’’ की सूचक नहीं है, बल्कि स्थानीय स्थर पर मामलों में उतार-चढ़ाव हो रहा है.

विशेषज्ञों ने कोविड-19 के मामलों में मौजूदा वृद्धि के लिए मास्क नहीं पहनने और कम बूस्टर खुराक लेने जैसे कारणों का उल्लेख करते हुए कहा है कि बढ़ोतरी ‘‘नयी लहर’’ की सूचक नहीं है. टी जैकब जॉन ने कहा, वर्तमान वृद्धि सामाजिक मेलजोल और आर्थिक गतिविधियों के कारण हुई है, जिसके परिणामस्वरूप वायरस के प्रसार की अधिक संभावना है.

केरल, महाराष्ट्र में स्थिति चिंताजनक
इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि केरल में सात और मिजोरम में पांच सहित देश के सत्रह जिलों में, साप्ताहिक संक्रमण दर 10 प्रतिशत से अधिक है जबकि केरल में सात और महाराष्ट्र और मिजोरम में चार-चार जिलों समेत देश के कुल 24 जिलों में साप्ताहिक संक्रमण दर पांच से 10 प्रतिशत के बीच है. विषाणु विज्ञानी टी जैकब जॉन ने कहा कि मामलों में मौजूदा वृद्धि किसी उछाल की तरह नहीं है बल्कि एक क्रमिक वृद्धि है जो स्थिर या समान रूप से वितरित नहीं है.

उन्होंने कहा, कुछ राज्यों में मामले बढ़े हैं, जबकि अन्य राज्यों में अलग स्थिति है. उन राज्यों में मुख्य रूप से शहरों में मामले बढ़े हैं, सभी जगह इसका प्रसार नहीं हुआ है. यह पैटर्न एक नयी लहर का सूचक नहीं है, बल्कि स्थानीय स्तर पर मामलों में कमी-वृद्धि हो रही है.

5 प्रतिशत से कम लोगों को बूस्टर डोज
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ‘सेंटर ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी’ के पूर्व निदेशक जॉन ने कहा कि दूसरी खुराक लेने वालों में से पांच प्रतिशत से भी कम लोगों ने बूस्टर खुराक ली है. उन्होंने कहा, इस कम कवरेज के लिए कौन जिम्मेदार है? मैं समझता हूं कि लोग वैक्सीन सुरक्षा को लेकर सरकार पर भरोसा नहीं कर रहे हैं और सरकार को भी इसकी परवाह नहीं है.

उन्होंने इन दावों का खंडन किया कि वृद्धि के लिए नए स्वरूप जिम्मेदार हैं. जॉन ने कहा, अभी मजबूत धारणा यही है कि मामलों में वृद्धि बीए.5 और बीए.4 स्वरूप के कारण हो रही है. दूसरी तरफ वायरस को जब प्रसार के अनुकूल अवसर मिलता है तो यह तेजी से फैलता है.

बीए.4 और बीए.5 के स्वरूप भारत में नहीं
महामारी विज्ञानी और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि भारत की स्थिति स्वाभाविक संक्रमण (देश स्तर पर तीन लहरों) के माध्यम से मिली जुली प्रतिरक्षा की है और लगभग 88 प्रतिशत वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराक मिल गई हैं. लहरिया ने कहा, ओमिक्रोन प्रभावी स्वरूप है तथा ज्यादा संक्रामक बताए जाने वाले ओमिक्रोन के दो नए उप स्वरूप बीए.4 और बीए.5 के उपवंश की भारत में शायद ही मौजूदगी है और वृद्धि में इसकी कोई भूमिका नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘चिंताजनक नए स्वरूप के उभरने का कोई सबूत नहीं है. इन सभी को एक साथ रखते हुए, यह निष्कर्ष निकालना उचित है कि स्थानीय स्तर पर मामलों में बढ़ोतरी देश स्तर पर नयी लहर की शुरुआत नहीं है.

वृद्धि रोकने के लिए नए कदम की जरूरत
बेंगलुरु में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में ‘लाइफकोर्स एपिडेमियोलॉजी’ के प्रमुख गिरिधर आर बाबू ने कहा कि मामलों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन भी छह महीने के भीतर तीन लहरों का सामना कर चुका है. उन्होंने कहा, लहरें कई कारकों से उत्पन्न होती हैं, जिनमें परीक्षण स्तर, मामले निर्धारण आदि शामिल हैं. इसके बजाय, प्रत्येक प्रकोप को तुरंत पहचाना जाना और नियंत्रित किया जाना चाहिए.

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