यूक्रेन-रूस विवाद पर बोले जयशंकर : कई संकटों से जूझ रही दुनिया, सोवियत पश्चात की राजनीति में है जड़ें


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Wed, 23 Feb 2022 10:29 AM IST

सार

यूक्रेन के डोनेत्सक व लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने व वहां अपनी सेना भेजने के राष्ट्रपति पुतिन के फैसले से रूस-यूक्रेन तथा अमेरिका नीत पश्चिमी देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। 

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मौजूदा रूस-यूक्रेन संकट को लेकर बेबाक व बड़ी बात कही है। फ्रांस के पेरिस स्थित एक संगठन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया कई संकटों से जूझ रही है। यूक्रेन संकट की जड़ें सोवियत संघ के पश्चात की विश्व राजनीति व नाटो के विस्तार से जुड़ी हैं। 

यूक्रेन के डोनेत्सक व लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने व वहां अपनी सेना भेजने के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले से रूस-यूक्रेन तथा अमेरिका नीत पश्चिमी देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज जिन संकटों में घिरी हुई है, उनसे विश्व व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं। 

इससे पूर्व जयशंकर ने फ्रेंच अखबार ‘ला फिगारो’ से बातचीत में कहा था कि यूक्रेन के मौजूदा हालात पिछले 30 सालों के जटिल घटनाक्रमों की श्रृंखला से जुड़े हैं। अधिकांश देश इस संकट का राजनीतिक समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत व फ्रांस इसके हल के लिए सक्रिय हैं और इसका कूटनीतिक समाधान चाहते हैं।

जयशंकर से पूछा गया था कि भारत ने यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना के जमावड़े की निंदा क्यों नहीं की? इस पर जयशंकर ने कहा कि असल सवाल यह है कि क्या आप एक अच्छा समाधान खोजने में जुटे हैं या आप मौन रहने से संतुष्ट हैं? भारत अन्य देशों के साथ और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दायरे में रूस से बात कर सकता है। वह फ्रांस की तरह पहल कर सकता है। 

अमेरिका ने भी बीते दिनों उम्मीद जताई थी कि भारत यूक्रेन संकट से निपटने में उसकी और पश्चिमी देशों की मदद करेगा। जयशंकर ने इसे लेकर अपनी संतुलित प्रतिक्रिया दी है। फ्रेंच इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल रिलेशंस (IFRI) को संबोधित करते हुए जयशंकर ने लगातार मजबूत होते भारत-फ्रांस संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक और साइबर जगत से महासागर तक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भरोसेमंद साझेदार साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि 75 साल पहले भारत की आजादी के बाद से फ्रांस व भारत के संबंध अब तक के सबसे मजबूत दौर में हैं।

क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा क्वाड 
जयशंकर ने पेरिस स्थित आईएफआरआई को संबोधित करते हुए कहा कि क्वाड का उदय वर्ष 2004 में हुआ था। उस वक्त सुनामी से निपटने में समन्वय से राहत कार्यों में प्रभावी मदद मिली थी। यह संगठन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। क्वाड के पीछे मूल विचार यह है कि चारों देश मिलकर एक दूसरे की मदद करेंगे और मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते कायम करेंगे। 

विस्तार

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मौजूदा रूस-यूक्रेन संकट को लेकर बेबाक व बड़ी बात कही है। फ्रांस के पेरिस स्थित एक संगठन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया कई संकटों से जूझ रही है। यूक्रेन संकट की जड़ें सोवियत संघ के पश्चात की विश्व राजनीति व नाटो के विस्तार से जुड़ी हैं। 

यूक्रेन के डोनेत्सक व लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने व वहां अपनी सेना भेजने के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले से रूस-यूक्रेन तथा अमेरिका नीत पश्चिमी देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज जिन संकटों में घिरी हुई है, उनसे विश्व व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं। 

इससे पूर्व जयशंकर ने फ्रेंच अखबार ‘ला फिगारो’ से बातचीत में कहा था कि यूक्रेन के मौजूदा हालात पिछले 30 सालों के जटिल घटनाक्रमों की श्रृंखला से जुड़े हैं। अधिकांश देश इस संकट का राजनीतिक समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत व फ्रांस इसके हल के लिए सक्रिय हैं और इसका कूटनीतिक समाधान चाहते हैं।

जयशंकर से पूछा गया था कि भारत ने यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना के जमावड़े की निंदा क्यों नहीं की? इस पर जयशंकर ने कहा कि असल सवाल यह है कि क्या आप एक अच्छा समाधान खोजने में जुटे हैं या आप मौन रहने से संतुष्ट हैं? भारत अन्य देशों के साथ और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दायरे में रूस से बात कर सकता है। वह फ्रांस की तरह पहल कर सकता है। 

अमेरिका ने भी बीते दिनों उम्मीद जताई थी कि भारत यूक्रेन संकट से निपटने में उसकी और पश्चिमी देशों की मदद करेगा। जयशंकर ने इसे लेकर अपनी संतुलित प्रतिक्रिया दी है। फ्रेंच इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल रिलेशंस (IFRI) को संबोधित करते हुए जयशंकर ने लगातार मजबूत होते भारत-फ्रांस संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक और साइबर जगत से महासागर तक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भरोसेमंद साझेदार साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि 75 साल पहले भारत की आजादी के बाद से फ्रांस व भारत के संबंध अब तक के सबसे मजबूत दौर में हैं।

क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा क्वाड 

जयशंकर ने पेरिस स्थित आईएफआरआई को संबोधित करते हुए कहा कि क्वाड का उदय वर्ष 2004 में हुआ था। उस वक्त सुनामी से निपटने में समन्वय से राहत कार्यों में प्रभावी मदद मिली थी। यह संगठन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। क्वाड के पीछे मूल विचार यह है कि चारों देश मिलकर एक दूसरे की मदद करेंगे और मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते कायम करेंगे। 



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