39 साल पहले लॉर्ड्स में कपिल सेना ने लहराया तिरंगा, भारत में क्रिकेट बन गया धर्म


नई दिल्ली. 25 जून, 1983…एक ऐसी तारीख जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. ये वो दिन है जिसके बाद भारतीय क्रिकेट पूरी तरह बदल गया. 1980 के दशक में जब भारतीय हॉकी टीम एस्ट्रोटर्फ आने के बाद अपनी चमक खो रही थी, उसी समय 24 साल के युवा कप्तान कपिल देव की अगुवाई भारतीय क्रिकेट टीम नया इतिहास बना रही थी. भारतीय टीम जब वर्ल्ड कप खेलने इंग्लैंड पहुंची तो किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह वर्ल्ड कप का खिताब वापस लेकर लौटेगी. वेस्टइंडीज की टीम पहले दो वर्ल्ड कप की चैंपियन थी. भारत ने लो स्कोरिंग फाइनल मैच में सितारों से सजी कैरेबियन टीम को 43 रन से हराया. यह उस समय का सबसे बड़ा उलटफेर था. टीम इंडिया ने पहली बार आईसीसी टूर्नामेंट का कोई खिताब जीता.

यशपाल शर्मा-रवि शास्त्री की बदौलत भारत ने पहले मुकाबले में वेस्टइंडीज को हराया
भारतीय टीम टूर्नामेंट के दौरान उम्मीदों के विपरीत हैरत अंगेज प्रदर्शन किया. टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीमों को एक के बाद एक धूल चटाई. दिलचस्प बात यह है कि भारतीय टीम ने डिफेंडिंग चैंपियन वेस्टइंडीज को ही हराकर अपना वर्ल्ड कप अभियान शुरू किया. वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मुकाबले में यशपाल शर्मा ने 89 रनों की पारी खेली और भारतीय टीम 262 रन का स्कोर बनाने में सफल रही. उस समय मुकाबले 60 ओवर के होते थे. जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 228 रन ही बना पाई. रवि शास्त्री ने शानदार गेंदबजी करते हुए सिर्फ 26 रन देकर 3 विकेट झटके.

जिम्बाब्वे को वर्ल्ड कप अभियान में दो बार हराया
जिस तरह टीम इंडिया ने पहले मुकाबले में वेस्टइंडीज को हराकर सनसनी मचाई थी, उसी तरह जिम्बाब्वे ने अपने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतवर को शिकस्त दी. भारत ने जिम्बाब्वे के के खिलाफ बारिश से प्रभावित मैच में पहले गेंदबाजी करते हुए सिर्फ उसे 155 रन पर समेट दिया. भारत ने यह मुकाबला पांच विकेट से जीत लिया. हालांकि, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे को हराने के बाद भारत को अगले मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने 162 रनों से करारी शिकस्त दी.

Tags: Icc world cup, Kapil dev, On This Day, World cup 1983

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