गुजरात: आदिवासी इलाकों में कमाल कर सकते हैं केजरीवाल, भाजपा-कांग्रेस से लोगों की नाराजगी बन सकती है आप की ताकत


अमित शर्मा, नई दिल्ली
Published by: Amit Sharma
Updated Sun, 01 May 2022 10:30 PM IST

सार

रविवार को भरूच के आदिवासी इलाके में पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने यहां अपनी पहली जनसभा में ही आदिवासियों की उन समस्याओं को छूने की कोशिश की जिसकी वे लंबे समय से मांग कर रहे हैं।

भरूच में रैली को संबोधित करते अरविंद केजरीवाल

भरूच में रैली को संबोधित करते अरविंद केजरीवाल
– फोटो : पीटीआई

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विस्तार

गुजरात के स्थापना दिवस (1 मई) पर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल भरूच के आदिवासी इलाके में पहुंचे। अपनी पहली जनसभा में ही केजरीवाल ने आदिवासियों की उन समस्याओं को छूने की कोशिश की जिनकी वे लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं। राजनीतिक प्रतिनिधित्व से लेकर रोजगार में उन्हें प्रमुखता दिए जाने के मुद्दे को उन्होंने गंभीरता से उठाया और युवाओं के साथ अपना संबंध जोड़ने की कोशिश की।

उन्होंने पूरे गुजरात के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था बदलने की बात कही और कहा कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल पंजाब तक में खूब लोकप्रिय हो रहा है। उन्होंने आदिवासियों और गुजरात के लोगों से वादा किया कि यदि उन्हें अवसर मिलता है तो वे गुजरात के स्कूलों की दशा बदल देंगे। 

दरअसल, गुजरात के आदिवासियों में यह असंतोष घर कर गया है कि उनके साथ राज्य के राजनीतिक दलों ने ‘अन्याय’ किया है। उन्हें लगता है कि सरकारों ने उनकी जमीनें लेकर विकास के बड़े-बड़े कार्य अवश्य किए हैं लेकिन इसकी कीमत उन्हें अपनी जड़ों से कटकर चुकानी पड़ी है। यह सिलसिला सरदार सरोवर बांध से शुरू हुआ था जो अब तक जारी है। सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर बनी भव्य एकता की मूर्ति के समय भी उनकी आवाज नहीं सुनी गई। 

गुजरात-महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में सामाजिक कल्याण कार्यक्रम चलाने वाली प्रतिभा शिंदे ने अमर उजाला को बताया कि बांध का फायदा देश के बड़े-बड़े इलाकों से लेकर शहरों के हर घर तक को मिला। उनके घर में रोशनी हो गई। लेकिन जिन आदिवासियों की जमीनें लेकर इसका निर्माण किया गया, उनको आज तक कहीं बसाया नहीं गया। 

कभी कांग्रेस का था यहां एकछत्र राज, इस कारण से हुई कमजोर

कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका के कारण यहां के आदिवासियों में उसके प्रति विशेष सम्मान हुआ करता था। यही कारण है कि लंबे समय तक इन इलाकों में एकछत्र जीतती रही थी, लेकिन बाद में सरकारों ने उनकी भावनाओं का ध्यान नहीं रखा। इसका परिणाम हुआ कि कांग्रेस इन इलाकों में धीरे-धीरे कमजोर होने लगी। 

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) अपनी आनुषंगिक संगठनों की मदद से इन क्षेत्रों के लगातार सक्रिय रहा जिसके कारण भाजपा को इन इलाकों में सफलता मिलने लगी। हालांकि, पिछले दो दशक से ज्यादा समय का उनका अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा। अब आदिवासी समुदाय के युवाओं को लगता है कि विकास की दौड़ में वे लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। 

इस मुद्दे के दम पर यहां पर पकड़ मजबूत कर सकते हैं केजरीवाल

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल से निराश युवाओं को कोई भी वह राजनीतिक दल लुभा सकता है जो उनकी भावनाओं को संतुष्ट करने वाली बात करेगा। यही वह मुद्दा है जिसके दम पर केजरीवाल यहां अपनी पकड़ बना सकते हैं। 

आम आदमी पार्टी अभी से आदिवासी युवाओं को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। आदिवासी युवाओं को पार्टी से जोड़कर उन्हें पार्टी की बात आदिवासियों की भाषा में, उन्हीं के युवाओं के जरिये उन तक पहुंचाई जा रही है। एक एनजीओ की तर्ज पर लंबे समय तक काम करने का केजरीवाल का अनुभव उन्हें यहां बढ़ता दिला सकता है। 

भरूच के आदिवासी इलाके में कांग्रेस की सीटों पर आप की नजर

भरूच के जिस आदिवासी इलाके में आज अरविंद केजरीवाल ने जनसभा की है, वहां पर लगभग 27 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को इनमें से 15 सीटों पर सफलता मिली थी। आम आदमी पार्टी की नजर इन्हीं सीटों पर है। इस तरह देखा जाए तो केजरीवाल सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते है। जिस समय अरविंद केजरीवाल इन इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिशों में जुटे हैं, कांग्रेस अब तक अपनी अंतर्कलह से नहीं उबर पाई है। 

कांग्रेस का चुकावी अभियान किसके कंधे पर आगे बढ़ेगा, यह तक साफ नहीं है। कांग्रेस की इस उलझन का आम आदमी पार्टी को फायदा मिल सकता है। आज के शुरूआती दौर में यह तो नहीं कहा जा सकता कि उसे यहां कितनी सीटों पर जीत मिलेगी, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वह गुजरात में भी एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभर सकती है।



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