सात साल से सत्ता पर काबिज केजरीवाल: शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और अन्य मुद्दों पर अमर उजाला की पड़ताल, पढ़ें- क्या बोली दिल्ली की जनता


सार

टीम अमर उजाला ने शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन समेत दूसरे क्षेत्रों में किए गए कामों की विस्तार से पड़ताल की है। वहीं, इस मसले में आम लोगों की भी नब्ज टटोली है। पेश है एक रिपोर्ट….

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आम आदमी पार्टी (आप) लगातार सात साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है। वहीं, बतौर मुख्यमंत्री दो साल पहले 16 फरवरी को ही तीसरी बार अरविंद केजरीवाल ने शपथ ली थी। कोविड काल में गुजरा सरकार का मौजूदा कार्यकाल काफी चुनौती भरा रहा। विपक्ष के हंगामे, आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच इस दौरान पिछले कार्यकाल के कामों पर काम चलता है। टीम अमर उजाला ने शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन समेत दूसरे क्षेत्रों में किए गए कामों की विस्तार से पड़ताल की है। वहीं, इस मसले में आम लोगों की भी नब्ज टटोली है। पेश है एक रिपोर्ट….

स्वास्थ्य: मोहल्ले में क्लीनिक, दो बड़े अस्पताल भी
सरकार की प्राथमिकता में शामिल स्वास्थ्य क्षेत्र में दो बड़े बदलाव दिखे। बीते सात सालों में मोहल्लों में क्लीनिक खोले गए। वहीं,  दशक भर बाद दो बड़े अस्पताल की सौगात भी मिली। इतना ही नहीं, फरिश्ते योजना से सरकार से सड़क दुर्घटना में घायल और तेजाब पीड़िताओं को नि:शुल्क इलाज भी मिल रहा है। स्वास्थ्य को तकनीक से जोड़ते हुए सरकार इसी वर्ष अब प्रत्येक मरीज का हेल्थ कार्ड भी देने जा रही है। इन सबके अलावा सरकार ने निर्माण कार्य में स्टील तकनीक का इस्तेमाल कर हजारों करोड़ रुपये के राजस्व की बचत भी की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ही मानें तो बाकी राज्यों की तुलना में दिल्ली के स्वास्थ्य क्षेत्र ने बीते सालों में तरक्की दिखी। उत्तर भारत का सबसे बड़ा चिकित्सीय हब होने के नाते भी दिल्ली ने क्लिनिकल क्षेत्र में काफी उपलब्धियां भी हासिल की हैं। दिल्ली सरकार का भी कहना है कि उन्होंने प्रत्येक निवासी को मोहल्ला क्लीनिक, पॉलीक्लीनिक और सरकारी अस्पतालों का तीन स्तरीय सुरक्षा चक्र दिया है। स्वास्थ्य पर सरकार अपने कुल बजट का 16 फीसदी हिस्सा खर्च कर रही है।

जरूरी फैक्ट्स
. बाकी राज्यों में स्वास्थ्य बजट औसतन 5 फीसदी, लेकिन दिल्ली में तीन गुना से अधिक 16 फीसदी खर्च स्वास्थ्य पर।
. मोहल्ला क्लीनिक में 125 तरह की मुफ्त दवाइयां और 212 लैब में मुफ्त जांच उपलब्ध हैं।
. यदि सरकारी अस्पतालों में 30 दिन के भीतर जांच नहीं होती है, तो मरीज पैनल में शामिल 23 निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों में जांच करा सकता है।
. 1155 सर्जरी के लिए 56 निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती है।
. पांच साल में 1600 बिस्तर बढ़े हैं। वहीं 6836 बिस्तरों वाले सात नए अस्पताल बन रहे हैं।
. साल 2025 तक दिल्ली में कुल बिस्तर की संख्या बढ़कर 20836 होगी।

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अस्पतालों को लेकर उन्होंने काफी बदलाव देखे हैं। 65 वर्षीय आशा का कहना है कि उनके सामने अब तक कई सरकारें आईं लेकिन अस्पतालों को लेकर ऐसा बदलाव कभी नहीं देखा। दवाओं से लेकर अपॉइनमेंट और ऑपरेशन तक के लिए सरकारी अस्पतालों में अब पहले की तरह इतना परेशान नहीं होना पड़ता है। वे खुद अक्सर किसी न किसी की सहायता के लिए इन अस्पतालों में जाती हैं और आसानी से उनकी सुनवाई भी होती है। -कांता खत्री, स्थानीय निवासी, लक्ष्मी नगर
 

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए हैं। सात साल में शिक्षा की तस्वीर को बदल गयी है। दिल्ली सरकार ने अपने कार्यकाल के सात सालों में दिल्ली स्कूल शिक्षा बोर्ड के गठन से लेकर देशभक्ति पाठ्यक्रम, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम शुरु किया है। दिल्ली देश का एकलौता राज्य है, जहां विश्वस्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए पहली स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी स्थापित की गई है। करीब 2.5 लाख बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है।

सरकारी स्कूलों में किए जा रहे बदलाव की गूंज तो विदेशों तक पहुंची है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और 20 हजार नए क्लासरुम दिए। शिक्षकों को देश व विदेश के नामी संस्थानों में भेजकर ट्रेनिंग दिलवाई और स्कूल प्रबंधन समितियों को मजबूत कर अभिभावकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की। स्कूलों में हैप्पीनेस और माइंडफुलनेस क्लास के जरिए बच्चों केतनाव को दूर किया। बच्चों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एंटरप्रेन्योरशिप पाठ्यक्रम, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया।

विश्वस्तरीय शिक्षा देने के लिए दिल्ली स्कूल शिक्षा बोर्ड का गठन कर इंटरनेशनल शिक्षा बोर्ड से समझौता किया। साथ ही बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलों में पिछले 5 वर्षों में 3 एस्ट्रो टर्फ, 5 सिंथेटिक ट्रैक्स और 17 स्वीमिंग पूल बनाए हैं। सरकार खिलाडिय़ों की प्रतिभा निखारने के लिए आर्थिक मदद भी दे रही है।

स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का माहौल बदल गया है। आज दिल्ली अपने कुल बजट का 26 फीसदी पैसा शिक्षा पर खर्च करने वाला देश का इकलौता राज्य है। इस बार करीब 2.5 लाख बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। वर्ष 2015 से पहले सरकारी स्कूल काफी बदहाल थे। स्कूलों में क्लासरूम की हालत जर्जर थी गंदे शौचालय थे, व शिक्षकों की भारी कमी थी।

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दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदल गयी है। सरकारी स्कूल की कायापलट होने से वह निजी स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। स्कूलों की इमारत, कमरे व साफ-सफाई देखकर लगता है कि बच्चा किसी निजी स्कूल में पढ़ रहा हो। संसाधनों के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। सरकारी स्कूल के बच्चे भी फर्राटा अंग्रेजी बोलने लगे हैं उन्हें कई तरह का एक्सपोजर मिला है। -मोहित, स्थानीय निवासी, पूर्वी दिल्ली
 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, 2015 से पहले सर्दियों में प्रदूषण काफी बढ़ जाता था, जिससे दिल्ली गैस चौंबर बन जाती थी। इस वजह से पूरी दिल्ली के निवासियों को प्रदूषण की मार झेलनी पड़ती थी। सरकार बनने के बाद प्रदूषण के खिलाफ चौतरफा युद्ध छेड़ा गया। इस वजह से 2012-14 की तुलना में 2016-18 में दिल्ली के प्रदूषण स्तर में करीब 25 फीसदी की कमी आई। पहले 20-40 दिनों तक दिल्ली प्रदूषण की मार झेला करती थी, जो कि अब घटकर 15 दिन से भी कम हो गई है। प्रदूषण की निगरानी के लिए दिल्ली में 26 निगरानी स्टेशनों के साथ 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की गई है, जहां प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई तरह की कार्रवाई की जाती है। दिल्ली देश का इकलौता राज्य है, जहां सरकार ने सभी ताप विद्युत केंद्र बंद कर दिए हैं। वहीं, 2015 के बाद दिल्ली में 12 फीसदी हरियाली बढ़ी है। सरकार युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध और ग्रीन दिल्ली एप की मदद से प्रदूषण को कम करने की दिशा में दिल्लीवालों की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है।

दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने 2025 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा है। सरकार यह लक्ष्य हासिल भी कर लेगी। यमुना को साफ करने के लिए छह चरण का एक्शन प्लान तैयार है। इसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और विकेन्द्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाना, यमुना को प्रदूषित करने वाले चार नालों नजफगढ़, सप्लीमेंट्री, बारापुला और शाहदरा नाले की इन-सीटू सफाई, औद्योगिक कचरे के खिलाफ सख्त कार्रवाई, जेजे क्लस्टर के नालों को सीवर लाइन से जोड़ना और 100 फीसदी घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ना शामिल है। साथ ही दिल्ली को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यमुना के पानी को एकत्र करने पर काम चल रहा है। इसके लिए पल्ला और वजीराबाद के बीच एक हजार एकड़ में बड़े जलाशय बनाए जा रहे हैं।

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बीते कुछ वर्षों में प्रदूषण को लेकर स्थिति बेहतर हुई है। सर्दी में पहले काफी दिनों तक हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी रहती थी। हालांकि, अब यह कुछ दिनों तक ही रहती है। साथ ही प्रदूषण को लेकर बनाया गया एप भी बहुत उपयोगी है। एप के माध्यम से प्रदूषण को लेकर शिकायत की जा सकती है। इससे खुले में कचरा जलाने के खिलाफ कार्रवाई में मदद मिलती है। -विपिन, स्थानीय निवासी

पहले कार्यकाल से ही दिल्ली सरकार ने मुफ्त पानी व सस्ती बिजली की योजना जारी रखी है। इस वक्त करीब 14.5 लाख परिवारों को पानी के बिल की चिंता तक नहीं है। योजना के तहत उनकी मुफ्त में पानी मिल रहा है। वहीं, सरकारी आंकड़ों में करीब 30.8 लाख लोगों का बिजली बिल जीरो आ रहा है। इस बीच न बिजली का टैरिफ बढ़ा और आपात स्थितियों को छोड़ न ही जल संकट पैदा हुआ। दूसरी तरफ हर घर तक पानी का कनेक्शन देने की योजना पर काम रहा है। अभी तक 89 फीसदी अनधिकृत कालोनियों को पाइप लाइन से जोड़ा गया है। फ्री पानी योजना के लागू होने के बाद 5 लाख से अधिक लोगों ने पानी का नया कनेक्शन लिया है। मुफ्त पानी देने के बावजूद दिल्ली जलबोर्ड के राजस्व में 2014-15 की तुलना में 59 फीसद की वृद्धि हुई है। वहीं, 2025 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा है और हम यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे।

दूसरी तरफ दिल्ली सरकार सत्ता में आने के बाद से ही बिजली पर सब्सिडी दी है। बीते 6 वर्षों से बिजली की टैरिफ में भी बिना वृद्धि नहीं हुई है। बिजली आपूर्ति भी 24 घंटे बिजली मिल रही है। प्रतिमाह 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिल रही है। आंकड़ों के मुतातिब, 2021 में दिल्ली के 30.8 लाख उपभोक्ताओं का हर महीने बिजली का बिल जीरो आया है। वहीं, ऊर्जा के अक्षय स्रोतों के लिए 150 सरकारी स्कूलों में सोलर पैनल्स लगाए हैं। रूफटॉप सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा नीति 2016 का लागू है। 2015 से पहले दिल्ली में 7-8 घंटे पावर कट होती थी। टैरिफ दरों में वृद्धि के चलते आम आदमी की जेब ढीली होती थी। इसलिए बड़े पैमाने पर बिजली चोरी होती थी।

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मुफ्त बिजली-पानी के साथ दिल्ली के लोगों को बुनियादी सुविधा की भी जरूरत है। 200 यूनिट बिजली कम खर्च करने वालों की बड़ी आबादी को सरकार की इस पहल से मुफ्त बिजली मिल रही है। इसी तरह मुफ्त पानी का लाभ भी एक बड़ा तबका ले रहा है। जहां तक सोसायटी की बात है तो वहां पानी का फिक्स चार्ज है और पानी का मीटर लगाने पर कई गुणा ज्यादा पानी बिल भरना पड़ता है। सरकार को जर्जर हालत में पड़े सड़क व सार्वजनिक परिवहन पर भी ध्यान देना चाहिए। प्रदूषण की समस्या हर सात परेशानी का सबब बना रहता है। इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है। खुलेआम शराब पीने वालों पर भी पाबंदी होनी चाहिए। क्योंकि इससे महिलाओं को परेशान होना पड़ता है। -मधुलिका गुप्ता, स्थानीय निवासी, मुखर्जी नगर

सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार आगे बढ़ रही है। सीएनजी के साथ ई-वाहनों का बेड़ा बढ़ाने की भी सरकार की योजना है। इसके लिए ई-वाहन नीति लागू किया गया है। वहीं, चार्जिंग सुविधा का भी तेजी से विस्तार हो रहा है। 2015 में दिल्ली परिवहन के बसों के बेड़े में दिल्ली नगर निगम(डीटीसी)और क्लस्टर बसों की 5659 बसें थी, अब बढ़कर यह संख्या 6660 हो गई हैं। दिल्ली, ओपन ट्रांजिट डाटा प्लेटफॉर्म लांच करने वाला देश का पहला बड़ा राज्य बन गया। सभी बसों का वास्तविक समय जीपीएस पर उपलब्ध है जबकि टिकट बुकिंग के लिए एप भी लांच किया गया। 

दिल्ली के परिवहन बेड़े में ई-बसों सहित कुल 2930 बसें शामिल होनी हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए बसों में मार्शल तैनात किए गए हैं। वन दिल्ली एप लॉन्च करने वाला दिल्ली देश का इकलौता राज्य है। ईवी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली में देश का सबसे प्रगतिशील ईवी नीति लाई गई है। दिल्ली में ईवी वाहनों के लिए 169 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों में 377 चार्जिंग पॉइंट हैं जबकि दूसरे वाहनों को ईवी में स्वीच करने के लिए वर्कशाप, ई-ऑटो मेला, वेबिनार जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अगस्त 2021 में दिल्ली, परिवहन संबंधी सभी सेवाओं को ऑनलाइन(फेसलेस) करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सड़क हादसों को कम करने के लिए दुर्घटना संभावित स्थानों की पहचान कर, जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। सड़क सुरक्षा के लिहाज से सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से दिल्ली को परिवहन सेवाओं के लिहाज से लोगों के और सुरक्षित बनाया जाएगा।

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दिल्ली में कोरोना काल की तरह अगर बसों में बैठने की सुविधा हो तो यात्रियों के लिए सहूलियतें बढ़ जाएंगी। इससे न भीड़भाड़ में जेब कटने का खतरा रहेगा और यात्रियों को कम खर्च में अधिक दूरी तक सफर का मौका मिल सकेगा। बसों की फिलहाल कम हैं, लेकिन इसमें बढ़ोतरी के बाद यात्रियों को अधिक इंतजार नहीं करना होगा। इलेक्ट्रिक बसों के चलने से गंतव्य तक पहुंचने के लिए सफर में और सुविधाएं होंगी। मेट्रो, ऑटो, टैक्सी या ई रिक्शा की तुलना में कम किराया में बसों में अधिक दूरी तय कर सकते हैं। -हैदर अली, स्थानीय निवासी, वजीराबाद

इसके अलावा दूसरे क्षेत्र में भी इस दौरान काम हुए हैं। आज डोरस्टेप डिलीवरी में 300 सेवाएं शामिल हैं। सरकार का दावा है कि पूरे देश में सबसे अधिक न्यूनतम मजदूरी दिल्ली में दी जा रही है। तीर्थयात्रा योजना के तहत करीब 41,000 बुजुर्गों ने अलग-अलग धार्मिक स्थलों की यात्रा की है। दिल्ली सरकार इस वक्त शहीदों के परिवारों को एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि देती है। स्टार्ट अप पॉलिसी के साथ कोविड काल में रोजगार के मौके पैदा करने की कई कदम उठाए गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, 2019-21 के बीच दिल्ली में 5,000 से अधिक स्टार्टअप जोड़े गए। सरकार ने वायदा किया है कि 2047 तक दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर के बराबर होगी। इसके लिए 2021-22 के बजट में दिल्ली 2047 का विजन पेश किया था। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। 7 साल में दिल्ली में करीब 2.75 लाख कैमरे लगाए हैं और 1.40 लाख कैमरे और लगाने जा रहे हैं। इससे आंकड़ा 4.15 लाख पहुंच जाएगा। 

राजनीतिक सफर भी रहा जारी
दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के  बाद आम आदमी पार्टी का राजनीतिक सफर भी जारी रहा। इस वक्त दिल्ली मॉडल के सहारे आप राष्ट्रीय फलक पर जाने की कोशिश कर रही है। पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और सीमित तौर पर उत्तर प्रदेश में चुनावी रण में दो-दो हाथ करने उतरी है। पार्टी उम्मीद जता रही है कि प्रदर्शन बेहतर रहेगा। पंजाब के आप को खासी आस है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलकर दिल्ली सरकार ने पिछले सात सालों में दिल्ली के विकास के लिए कई अहम कदम उठाए। आजादी के 75 साल बाद ही सही, देश के हर एक बच्चे को समान व अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का बाबा साहब का सपना दिल्ली में पूरा हो रहा है।

शिक्षा स्वास्थ में क्रांतिकारी बदलाव: केजरीवालदिल्ली में सरकार में आते ही हमने शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए। हमने सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और 20 हजार नए क्लास रूम दिए। शिक्षकों को देश व विदेश के नामी संस्थानों में भेजकर ट्रेनिंग दिलवाई और स्कूल प्रबंधन समितियों को मजबूत कर अभिभावकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की। इसके बाद स्वास्थ्य पर फोकस करने का निर्णय लिया। हमने अपने सभी सरकारी अस्पतालों में दिल्लीवालों का पूरा इलाज मुफ्त कर दिया। एक क्रोसीन की टेबलेट से लेकर 70-80 लाख रुपए तक का ऑपरेशन भी हो तो वो मुफ्त किया जाता है। हर निवासी को हमने मोहल्ला क्लीनिक, पॉलीक्लीनिक और सरकारी अस्पतालों का तीन स्तरीय सुरक्षा चक्र दिया। आज हम स्वास्थ्य पर 16 फीसद बजट खर्च कर रहे हैं, जबकि देश के बाकी राज्यों में यह औसतन 5 फीसद है। दूसरी तरफ हर घर में नल से पानी पहुंचाने को लेकर दृढ़संकल्प है। इस वक्त पानी माफिया से दिल्ली मुक्त है। वहीं, 14.5 लाख लोगों को अब पानी के बिल की चिंता नहीं। 2025 तक दिल्लीवासी यमुना में डुबकी लगा सकेंगे। जबकि बिना टैरिफ बढ़ाए दिल्लीवालों फ्री बिजली दे रहे हैं। अब लोग सुरक्षित और महिलाएं मुफ्त में बसों में यात्रा कर रही हैं। वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में भी तेजी से काम हुआ है। ईमानदार राजनीति की वजह से ही आज पूरे देश में केजरीवाल मॉडल को पहचान मिली है। पूरे देश में सबसे अधिक न्यूनतम मजदूरी दिल्ली में है। 41000 से अधिक बुजुर्ग मुफ्त में तीर्थ यात्रा कर चुके हैं। हर शहीद के परिवार को दिल्ली सरकार एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि देती है। रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 2047 तक सिंगापुर के बराबर होगी। सबसे अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने वाला दिल्ली दुनिया का नंबर वन शहर है। -अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार

 

भाजपा: हर मोर्चे पर विफल रही है दिल्ली सरकार
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि सरकार ने स्वास्थ व रोजगार पर तो निराश किया ही साथ ही दिल्ली को शराब कारोबार की राजधानी बना दिया है। सरकार के दूसरे शासन की शुरुआत दिल्ली दंगों से हुई। कोविड काल में दिल्ली ने देखा कि वर्ल्ड क्लास स्वास्थ सेवाओं का दावा करने वाली सरकार ऑक्सीजन तक मुहैया नहीं करा पाई। ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने में लगी रही। शिक्षा, पर्यावरण व परिवहन के दावे भी फेल हो गए। एक भी नया स्कूल या कॉलेज नहीं खोला गया। दिल्ली जलबोर्ड का 60000 करोड़ रूपए का घोटाला हो या फिर डयूसिब के घोटाले दिल्ली की जनता ने इतना भ्रष्टाचार पहले कभी नही देखा। नगर निगम को आर्थिक रुप से पंगु बनाने की हर तरह से कोशिश की गई। जबिकि दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आम आदमी पार्टी की सरकार के दो साल पूरे होने पर कहा कि विकास से पूरी तरह दिल्ली वंचित रही। दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी, मैली यमुना और पब्लिक ट्रांसपोर्ट धराशायी रहा। दिल्ली को कोरोना काल में असहाय हालत में छोड़ दिया गया। हर मोर्चे पर दिल्ली सरकार पूरी तरह असफल साबित हुई।

कांग्रेस: बदहाली की तरफ बढ़ती जा रही है दिल्ली
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल कुमार ने केजरीवाल सरकार के सात साल को दिल्ली के लिए बदहाली का कार्यकाल बताया है। बुनियादी सुविधाएं धीरे धीरे बिगड़ती जा रही हैं। बात चाहे पानी की हो या परिवहन की, दिल्लीवासियों की परेशानी कम नहीं हुई है। बेरोजगारी चरम पर होने के बाद भी युवाओं के लिए नए अवसर मुहैया करने के बजाय नई आबकारी नीति को लागू करने से दिल्ली नशे की राजधानी बनने की तरफ अग्रसर है। कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का खामियाजा लोगों को जान गंवाकर भुगतना पड़ा तो हालात को सामान्य बनाने में भूमिका निभाने के बजाय आम आदमी पार्टी के नेता दूसरे राज्यों में विकास के झूठे वादे कर रहे हैं।अब केवल प्रचार और प्रसार करने वाली सरकार रह गई है। सात वर्ष पहले भ्रष्टाचार, जनलोकपाल और नशामुक्ति की बात करने वाली सरकार का ध्यान अब दूसरी तरफ है। ठेके पर कार्यरत शिक्षक हो या दूसरे वर्ग, अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सरकार का रवैया कुछ इस तरह का है कि मांगों पर कार्रवाई तो सरकार के नुमाइंदों को इन्हें सुनने की भी फुर्सत नहीं है।

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आम आदमी पार्टी (आप) लगातार सात साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है। वहीं, बतौर मुख्यमंत्री दो साल पहले 16 फरवरी को ही तीसरी बार अरविंद केजरीवाल ने शपथ ली थी। कोविड काल में गुजरा सरकार का मौजूदा कार्यकाल काफी चुनौती भरा रहा। विपक्ष के हंगामे, आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच इस दौरान पिछले कार्यकाल के कामों पर काम चलता है। टीम अमर उजाला ने शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन समेत दूसरे क्षेत्रों में किए गए कामों की विस्तार से पड़ताल की है। वहीं, इस मसले में आम लोगों की भी नब्ज टटोली है। पेश है एक रिपोर्ट….

स्वास्थ्य: मोहल्ले में क्लीनिक, दो बड़े अस्पताल भी

सरकार की प्राथमिकता में शामिल स्वास्थ्य क्षेत्र में दो बड़े बदलाव दिखे। बीते सात सालों में मोहल्लों में क्लीनिक खोले गए। वहीं,  दशक भर बाद दो बड़े अस्पताल की सौगात भी मिली। इतना ही नहीं, फरिश्ते योजना से सरकार से सड़क दुर्घटना में घायल और तेजाब पीड़िताओं को नि:शुल्क इलाज भी मिल रहा है। स्वास्थ्य को तकनीक से जोड़ते हुए सरकार इसी वर्ष अब प्रत्येक मरीज का हेल्थ कार्ड भी देने जा रही है। इन सबके अलावा सरकार ने निर्माण कार्य में स्टील तकनीक का इस्तेमाल कर हजारों करोड़ रुपये के राजस्व की बचत भी की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ही मानें तो बाकी राज्यों की तुलना में दिल्ली के स्वास्थ्य क्षेत्र ने बीते सालों में तरक्की दिखी। उत्तर भारत का सबसे बड़ा चिकित्सीय हब होने के नाते भी दिल्ली ने क्लिनिकल क्षेत्र में काफी उपलब्धियां भी हासिल की हैं। दिल्ली सरकार का भी कहना है कि उन्होंने प्रत्येक निवासी को मोहल्ला क्लीनिक, पॉलीक्लीनिक और सरकारी अस्पतालों का तीन स्तरीय सुरक्षा चक्र दिया है। स्वास्थ्य पर सरकार अपने कुल बजट का 16 फीसदी हिस्सा खर्च कर रही है।

जरूरी फैक्ट्स

. बाकी राज्यों में स्वास्थ्य बजट औसतन 5 फीसदी, लेकिन दिल्ली में तीन गुना से अधिक 16 फीसदी खर्च स्वास्थ्य पर।

. मोहल्ला क्लीनिक में 125 तरह की मुफ्त दवाइयां और 212 लैब में मुफ्त जांच उपलब्ध हैं।

. यदि सरकारी अस्पतालों में 30 दिन के भीतर जांच नहीं होती है, तो मरीज पैनल में शामिल 23 निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों में जांच करा सकता है।

. 1155 सर्जरी के लिए 56 निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती है।

. पांच साल में 1600 बिस्तर बढ़े हैं। वहीं 6836 बिस्तरों वाले सात नए अस्पताल बन रहे हैं।

. साल 2025 तक दिल्ली में कुल बिस्तर की संख्या बढ़कर 20836 होगी।

पब्लिक बोली

अस्पतालों को लेकर उन्होंने काफी बदलाव देखे हैं। 65 वर्षीय आशा का कहना है कि उनके सामने अब तक कई सरकारें आईं लेकिन अस्पतालों को लेकर ऐसा बदलाव कभी नहीं देखा। दवाओं से लेकर अपॉइनमेंट और ऑपरेशन तक के लिए सरकारी अस्पतालों में अब पहले की तरह इतना परेशान नहीं होना पड़ता है। वे खुद अक्सर किसी न किसी की सहायता के लिए इन अस्पतालों में जाती हैं और आसानी से उनकी सुनवाई भी होती है। -कांता खत्री, स्थानीय निवासी, लक्ष्मी नगर

 



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