नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल में एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि केरल सहित पांच राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है और अगर हालात को जल्द काबू में नहीं लाया गया तो इनकी हालत भी श्रीलंका जैसी हो सकती है.
अब अन्य राज्यों ने तो इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन केरल ने इस रिपोर्ट को गलत करार दिया है. राज्य के वित्तमंत्री के एन बालागोपाल ने कहा कि उनका राज्य ‘कर्ज के जाल’ में नहीं है. उन्होंने दो टूक कहा कि आरबीआई के जिस लेख में राज्य की वित्तीय हालत पर चिंता जताई गई, वह जमीनी हकीकत से पूरी तरह दूर है. जहां तक केरल का सवाल है, हम कर्ज के जाल में नहीं हैं. हमारे सामने कई अन्य राज्यों की तरह ही वित्तीय मुश्किलें जरूर हैं.
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बालागोपाल ने कहा, आरबीआई ने यह रिपोर्ट तैयार करते समय कोविड-19 और निपाह वायरस के प्रकोप तथा 2018, 2019 में आई बाढ़ के कारण उनके राज्य के सामने आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में नहीं रखा. हमें पूरी उम्मीद है कि इस साल हमारे राज्य के वित्तीय क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी राज्यों की ओर से सालाना खर्च की जाने वाली कुल राशि का 50 फीसदी अकेले 10 राज्य ही इस्तेमाल करते हैं.
आरबीआई की रिपोर्ट से सकते में आ गए 5 राज्य
इससे पहले रिजर्व बैंक ने पांच राज्यों में वित्तीय तनाव पैदा होने पर चिंता जताते हुए सुधारात्मक कदम उठाने का आह्वान किया था. डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की अगुवाई में अर्थशास्त्रियों के एक दल की ओर से तैयार आरबीआई के लेख में कहा गया था कि पांच सबसे अधिक कर्जदार राज्यों – पंजाब, राजस्थान, बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल में गैर-जरूरी चीजों पर खर्च में कटौती करने की जरूरत है.
मुफ्त की योजनाओं ने बढ़ाई मुश्किल
रिपोर्ट में कहा था कि इन पांच राज्यों में पिछले 5 साल से उनकी कमाई के अनुपात में खर्च काफी ज्यादा बढ़ गया है. मुफ्त सब्सिडी वाली योजनाओं के कारण इन राज्यों पर कर्ज की लागत बढ़ती जा रही है, जबकि कोविड-19 महामारी जैसे झटकों की वजह से इनके राजस्व में बड़ी गिरावट आई है. कई राज्य बिजली वितरण कंपनियों के बकाए नहीं चुका पा रहे, जबकि सब्सिडी पर उनकी देनदारी और बढ़ रही है. ये हालात श्रीलंका जैसे संकट की ओर इशारा कर रहे हैं. लिहाजा समय रहते इन राज्यों को अपने गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करनी होगी.
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जीडीपी का 35 फीसदी पहुंच जाएगा कर्ज
आरबीआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि कई राज्यों की राजकोषीय स्थिति बदतर हो गई है. कुछ राज्य पुरानी पेंशन योजनाओं को दोबारा बहाल करने की घोषणा कर चुके हैं जो उनके सामने नए तरीके का वित्तीय संकट पैदा कर सकता है. अनुमान है कि इन राज्यों का कर्ज उनकी जीडीपी के अनुपात में 2025-26 तक 35 फीसदी पहुंच जाएगा. इससे बचने के लिए राज्यों को तत्काल रूप से अपने गैर-जरूरी खर्चे कम करने होंगे और कर्ज को जीडीपी के अनुपात में स्थिर रखना होगा.
रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के बाद पिछले तीन वर्षों सबसे ज्यादा सब्सिडी देने वाले राज्यों में झारखंड, केरल, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. केरल का तो कुल राजस्व का 90 फीसदी हिस्सा देनदारी और सब्सिडी पर खर्च होता है. इससे इन राज्यों में इन्फ्रा व अन्य योजनाओं पर खर्च लगातार घटता जा रहा है.
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Tags: Economic crisis, Reserve bank of india, Subsidy
FIRST PUBLISHED : June 20, 2022, 09:09 IST