मुंबई. सरकार के अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिकॉर्ड कर्ज लेने की योजना के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (Reserve Bank of India) की सरकारी सिक्योरिटीज यानी जी-सेक (G-Secs) में हिस्सेदारी करीब 2 लाख करोड़ रुपये बढ़ सकती है. केंद्रीय बैंक के पास पहले ही 80.8 लाख करोड़ रुपये के बकाया सरकारी बॉन्ड (Government Bonds) में 17 फीसदी हिस्सेदारी है.
एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि बड़े कर्ज कार्यक्रम की वजह से रिजर्व बैंक को कम-से-कम दो लाख करोड़ रुपये के बांड के लिए खरीदार ढूंढने होंगे क्योंकि बैंक सामान्य तौर पर 10 साल से कम के शॉर्ट टर्म के कर्ज का विकल्प चुनते हैं.
ये भी पढ़ें- एयर इंडिया और एयर एशिया के पैसेंजर हो जाएं टेंशन फ्री, अब फ्लाइट कैंसिल होने पर भी कर सकेंगे यात्रा
बजट 2022-23 में केंद्र का ग्रॉस कर्ज रिकॉर्ड 14.3 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. राज्यों के साथ मिलाकर ग्रॉस कर्ज 23.3 लाख करोड़ रुपये और नेट कर्ज 17.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. बजट में अगले वित्त वर्ष में 3.1 लाख करोड़ रुपये के पेमेंट का भी प्रस्ताव है.
सरकार के 80.8 लाख करोड़ रुपये के बकाया बांड में वित्तीय संस्थानों के बाद केंद्रीय बैंक का हिस्सा दूसरे नंबर पर है. बकाया बॉन्ड में सबसे अधिक हिस्सेदार वित्तीय संस्थान हैं.
ये भी पढ़ें- Fixed Deposit : कई बैंकों ने ब्याज दरों में किया है बदलाव, आर्थिक संकट में एफडी तोड़ने से बेहतर अपनाएं ये तरीके, नहीं होगा नुकसान
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी के अंत तक 2061 तक मैच्योर होने वाली सरकारी प्रतिभूतियां 80.8 लाख करोड़ रुपये थीं. इनमें से 37.8 फीसदी सिक्योरिटीज बैंकों के पास, 24.2 फीसदी इंश्योरेंस कंपनियों के पास थीं यानी कुल मिलाकर इनके पास 62 फीसदी सिक्योरिटीज थीं. वहीं केंद्रीय बैंक के पास 17 फीसदी सिक्योरिटीज थीं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: RBI, Reserve bank of india