शख्स नहीं शख्सियत हैं लता मंगेशकर, और शख्सियतें कभी मरा नही करतीं…


Lata Mangeshkar को किसी परिचय की जरूरत नहीं. कुछ लोगों का काम बोलता है लेकिन लता मंगेशकर की आवाज बोलती है, बोलती नहीं बल्कि कानों में खनकती है उनकी आवाज़… लेकिन आज वो आवाज़ चुप हो गई है हमेशा हमेशा के लिए. स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रही. ये जानकर भले कितनी ही ठेस क्यों ना पहुंचे लेकिन ये सत्य है. पर क्या वाकई लता मंगेशकर नहीं रहीं. क्योंकि हमने तो सुना था शख्सियतें कभी मरा नहीं करतीं और लता दीदी शख्स नहीं शख्सियत हैं. 

करीब आने से चलता है शख्सियत का पता, ज़मीं से चांद भी ज़रा सा दिखाई देता है

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भी ऐसी ही शख्सियत हैं जिनके कद का अहसास तब – तब हो जाता है जब जब इनको करीब से जानने से कोशिश की जाती है. देवी देवता कभी दिखते नहीं….पर इस नश्वर संसार में उनकी मौजूदगी का अहसास ये प्रकृति कराती रहती है. लता मंगेशकर भी तो सुरों की देवी हैं और उनकी मौजूदगी का अहसास कराते हैं वो हजारों नगमे जिनमे बहती है सुरों की नदियां. जो उतने ही पवित्र हैं जितनी की गंगा.  

किसी ने खूब कहा है – शख्स तो खुदा ने हम सबको बना दिया शख्सियत खुद से बनो तो कुछ बात बने

लता मंगेशकर ने शख्स से शख्सियत बनने का सफर बखूबी तय किया. 5 साल की उम्र भला क्या होती है जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलने में व्यस्त रहते हैं उस उम्र में लता दीदी सुरों से खेलने लगी थीं. और जब बड़ी हुईं तो सुर, लय और ताल के खेल में माहिर हो गईं. तभी तो एक से बढ़कर एक गाने लता मंगेशकर की आवाज़ में सुनने को मिलने लगे. देशभक्ति की भावना जगाता कोई गाना हो….

या फिर प्यार की ताकत जमाने को दिखानी हो..

दिल कितना पागल है ये भी हमें लता मंगेशकर ने ही बताया.

जीवन के हर अहसास से जुड़ी हैं लता दीदी, तभी तो कह रहे हैं कि लता मंगेशकर यहीं हैं…हमारे बीच और सदियों तक यूं हीं इनके सुरीले नगमें इनके होने का अहसास कराते रहेंगे. कम से कम जब तक सुर हैं, लय है, ताल है तब तक लता मंगेशकर का नाम है.   

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