Law Minister: अदालतों में क्षेत्रीय व स्थानीय भाषाओं को दें बढ़ावा, रिजिजू बोले- मानसून सत्र में 71 कानून निरस्त होंगे


सार

रिजिजू ने कहा कि वह इस विचार से सहमत नहीं हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील को अधिक सम्मान, ज्यादा केस या ज्यादा फीस मिलना चाहिए। 

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केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने शनिवार को जयपुर में कहा कि निचली अदालतों और हाईकोर्टों में  क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को अंग्रेजी से कम नहीं मानना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसद के मानसून सत्र में 71 कानून निरस्त किए जाएंगे। 
रिजिजू ने जयपुर में आयोजित अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस और निर्णय अंग्रेजी में होते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलना चाहिए। वह इस विचार से सहमत नहीं हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील को अधिक सम्मान’, ज्यादा केस या ज्यादा फीस मिलना चाहिए। कोई भी अदालत केवल विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए। न्याय के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से खुले होने चाहिए।
अदालतों में पांच करोड़ केस लंबित
उन्होंने कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान करीब 71 कानूनों को निरस्त किया जाएगा। देश में लंबित मामले बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामले पांच करोड़ होने जा रहे हैं, लेकिन न्यायपालिका और सरकार के बीच समन्वय से लंबित मामलों को कम किया जा सकता है। कानून मंत्री ने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए।

विस्तार

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने शनिवार को जयपुर में कहा कि निचली अदालतों और हाईकोर्टों में  क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को अंग्रेजी से कम नहीं मानना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसद के मानसून सत्र में 71 कानून निरस्त किए जाएंगे। 

रिजिजू ने जयपुर में आयोजित अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस और निर्णय अंग्रेजी में होते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलना चाहिए। वह इस विचार से सहमत नहीं हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील को अधिक सम्मान’, ज्यादा केस या ज्यादा फीस मिलना चाहिए। कोई भी अदालत केवल विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए। न्याय के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से खुले होने चाहिए।

अदालतों में पांच करोड़ केस लंबित

उन्होंने कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान करीब 71 कानूनों को निरस्त किया जाएगा। देश में लंबित मामले बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामले पांच करोड़ होने जा रहे हैं, लेकिन न्यायपालिका और सरकार के बीच समन्वय से लंबित मामलों को कम किया जा सकता है। कानून मंत्री ने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए।



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