अमेरिका की तरह क्या भारत में भी खत्म हो सकती है ब्रोकरेज फीस? जानिए जेरोधा के Nithin Kamath ने क्या दिया जवाब


नई दिल्ली. अमेरिका में शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय किसी तरह के ब्रोकरेज फीस (Brokerage Fees) का भुगतान नहीं करना पड़ता है. हालांकि, भारत में शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय ब्रोकरेज फीस सहित तमाम तरह के दूसरे चार्जेज और फीस का भुगतान करना जरूरी है. इस बीच, लोग सोशल मीडिया पर अक्सर ब्रोकरेज फीस को घटाए जाने या उसे शून्य करने की मांग करते रहते हैं. अमेरिका की तरह क्या भारत में भी ऐसा संभव है?

देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्रोकिंग फर्म जेरोधा (Zerodha) के सीईओ एवं को-फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) ने इस संबंध में जवाब दिया है. ट्वीट की एक सीरीज में उन्होंने कई यूजर्स के इस सवाल के जवाब में कहा कि कई लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या ब्रोकरेज फीस अमेरिका की तरह शून्य हो सकती है? क्यों नहीं कोई एक मंथली ब्रोकरेज प्लान लाया जाता है, जिसके तहत यूजर्स को अनलिमिटेड ट्रेडिंग की सुविधा दी जाए?

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भारत बढ़ सकती है फीस

नितिन कामत ने कहा कि भारत में कम होने की जगह भविष्य में ब्रोकरेज संबंधी चार्जेज और बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका में ब्रोकर्स कई ऐसे तरीकों से भी कमाते हैं, जिनकी सेबी (SEBI) यहां अनुमति नहीं देता है. वहां, ब्रोकर्स को ऑर्डर फ्लो के लिए पेमेंट मिलता है, क्योंकि वे कस्टमर्स ऑर्डर को बेचते हैं. यहां ऐसा नहीं करना संभव नहीं है. इसके अलावा, अमेरिका में ब्रोकर्स सिक्योरिटी लेडिंग के जरिए कमाते हैं. भारत के विपरीत वहां स्टॉक को स्ट्रीट या ब्रोकर्स के नाम से रखा जाता है और वे उन्हें उधार देकर पैसे कमा सकते हैं.

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वर्किंग कैपिटल के लिए कर सकते हैं इस्तेमाल

कामत का कहना है कि अमेरिका में ब्रोकर्स को फ्लोटिंग आय मिलती है. भारत में हर तिमाही के अंत में सेटलमेंट के तहत कस्टमर्स के डीमैट खाते में निष्क्रिय राशि वापस भेज दी जाती है, जबकि लेकिन अमेरिका में फंड ब्रोकर्स के पास बने रहते हैं. वे न केवल इस पर ब्याज कमाते हैं, बल्कि इसका इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल के लिए भी करते हैं.

भारत सबसे अच्छा रेगुलेटेड मार्केट

उन्होंने ट्वीट में कहा कि उनका मानना है कि अमेरिका की तरह भारत में ब्रोकरेज फीस कभी जीरो नहीं हो सकती है. हालांकि, निवेशकों की सुरक्षा के लिहाज से भारत अब तक दुनिया का सबसे अच्छा रेगुलेटेड मार्केट है. यहां निवेश पर अन्य देशों के मुकाबले जोखिम काफी कम रहता है. निवेशकों का पैसा डूबने का खतरा कम होता है.

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