एनएसई को-लोकेशन घोटाला: सीबीआई ने माइक्रोसॉफ्ट से निराकार ‘योगी’ ईमेल का डेटा मांगा


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सीबीआई ने एनएसई को-लोकेशन घोटाला मामले में निराकार योगी की ईमेल आईडी का डेटा एकत्र लेने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका से संपर्क किया है। एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने सेबी से कहा था कि एक निराकार रहस्यमय “योगी” निर्णय लेने में ईमेल पर उनका मार्गदर्शन कर रहा था।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि केंद्रीय एजेंसी को ईमेल आईडी [email protected] के लिए माइक्रोसॉफ्ट से डेटा की जरूरत है, जिसे कथित तौर पर सुब्रमण्यम द्वारा तत्कालीन एनएसई एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण के साथ संवाद करने के लिए संचालित किया गया था। 

सीबीआई ने गृह मंत्रालय के माध्यम से अमेरिका को अनुरोध भेजा है कि वह मामले में रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के खिलाफ एजेंसी के सबूतों को पुष्ट करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट इंक से उपयोगकर्ता आईडी [email protected] का मेटाडेटा और सामग्री डेटा प्रदान करे।

अधिकारियों ने कहा कि आउटलुक प्लेटफॉर्म जिस पर ईमेल आईडी बनाई गई थी, वह माइक्रोसॉफ्ट की सेवा है और सीबीआई उन ईमेल एक्सचेंजों का विवरण चाहती है जिन्हें ईमेल खातों से हटा दिया गया है, लेकिन कंपनी द्वारा पुनर्प्राप्त किया जा सकता है।

हाल ही में दायर अपने आरोप पत्र में, सीबीआई ने कहा है कि एनएसई के तत्कालीन एमडी और सीईओ रामकृष्ण निराकार योगी से ई-मेल आईडी [email protected] से संवाद कर रहे थे। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सुब्रमण्यम ने 10 मार्च 2013 को ईमेल आईडी बनाई थी ताकि उनकी आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाया जा सके।

क्या है को-लोकेशन स्कैम?
शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

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सीबीआई ने एनएसई को-लोकेशन घोटाला मामले में निराकार योगी की ईमेल आईडी का डेटा एकत्र लेने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका से संपर्क किया है। एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने सेबी से कहा था कि एक निराकार रहस्यमय “योगी” निर्णय लेने में ईमेल पर उनका मार्गदर्शन कर रहा था।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि केंद्रीय एजेंसी को ईमेल आईडी [email protected] के लिए माइक्रोसॉफ्ट से डेटा की जरूरत है, जिसे कथित तौर पर सुब्रमण्यम द्वारा तत्कालीन एनएसई एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण के साथ संवाद करने के लिए संचालित किया गया था। 

सीबीआई ने गृह मंत्रालय के माध्यम से अमेरिका को अनुरोध भेजा है कि वह मामले में रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के खिलाफ एजेंसी के सबूतों को पुष्ट करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट इंक से उपयोगकर्ता आईडी [email protected] का मेटाडेटा और सामग्री डेटा प्रदान करे।

अधिकारियों ने कहा कि आउटलुक प्लेटफॉर्म जिस पर ईमेल आईडी बनाई गई थी, वह माइक्रोसॉफ्ट की सेवा है और सीबीआई उन ईमेल एक्सचेंजों का विवरण चाहती है जिन्हें ईमेल खातों से हटा दिया गया है, लेकिन कंपनी द्वारा पुनर्प्राप्त किया जा सकता है।

हाल ही में दायर अपने आरोप पत्र में, सीबीआई ने कहा है कि एनएसई के तत्कालीन एमडी और सीईओ रामकृष्ण निराकार योगी से ई-मेल आईडी [email protected] से संवाद कर रहे थे। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सुब्रमण्यम ने 10 मार्च 2013 को ईमेल आईडी बनाई थी ताकि उनकी आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाया जा सके।

क्या है को-लोकेशन स्कैम?

शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।



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