Excise Duty : डीजल-पेट्रोल पर राज्यों के पास 2 से 3 रुपये कीमत घटाने का मौका, महाराष्ट्र कमा रहा सबसे ज्यादा मुनाफा


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देश के ज्यादातर राज्यों के पास अभी भी मूल्यवर्धित कर (वैट) में कमी करने का अवसर है। अगर ये राज्य ऐसा करें तो इससे डीजल के दाम में 2 रुपये और पेट्रोल में 3 रुपये की कमी हो सकती है। हालांकि महाराष्ट्र के पास दोनों पर 5 रुपये प्रति लीटर कम करने का मौका है।

कुछ समय पहले जब एक्साइज ड्यूटी बढ़ी थी, तब राज्य तेल की बिक्री पर 49,229 करोड़ रुपये वैट के रूप में कमाते थे। इसी महीने जब इसमें कमी की गई तो इससे इनकी कमाई पर 15,021 करोड़ रुपये का असर हुआ। इसके बाद भी ये राज्य 34,208 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं। 

एसबीआई की रिपोर्ट में दावा
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि जब केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाती है तो राज्यों का राजस्व बढ़ जाता है और जब घटाती है तो इसमें कमी आती है। रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सबसे ज्यादा वैट कमा रहा है। उसके बाद गुजरात और तेलंगाना हैं। महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पेट्रोल पर औसत वैट 29.6 फीसदी है। 

महंगाई कम करने के लिए घटी एक्साइज ड्यूटी
केंद्र सरकार ने ऊंची महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल पर 8 और डीजल पर 6 रुपये की एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। इसके बाद कुछ राज्यों ने वैट में मामूली कमी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ये राज्य कीमतें कम कर दें तो इससे इनको कोई घाटा नहीं होगा।

साथ ही जब केंद्र सरकार ड्यूटी घटाती है तो अपने आप राज्यों का राजस्व कम हो जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है, क्योंकि वित्तवर्ष 2020 को छोड़कर बाकी वर्षों में इनकी उधारी काफी कम रही है। इससे वे कर को समाहित कर सकते हैं।  

जीएसटी के दायरे में लाने से दूर होंगी दिक्कतें 
रिपोर्ट के मुताबिक, तेल के कर ढांचे की जटिलता को कम करने और इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव से राजस्व को स्थिर करने के लिए इसे जीएसटी में लाना चाहिए। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इससे केंद्र सरकार को 20 हजार करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट को छोड़ना होगा। 

केवल असम को हो रहा है घाटा
रिपोर्ट के अनुसार, इस समय केवल असम को घाटा हो रहा है। यह राज्य पहले 188 करोड़ फायदा कमाता था। ड्यूटी घटने के बाद इसे 311 करोड़ रुपये का असर हुआ यानी 125 करोड़ रुपये का इसे घाटा हो रहा है। वैट से सबसे ज्यादा फायदा 5,510 करोड़ रुपये महाराष्ट्र कमा रहा है जबकि गुजरात 4,808 करोड़ रुपये कमा रहा है। तेलंगाना 3,212 करोड़, तमिलनाडु  2,554 करोड़, आंध्र प्रदेश 2,546 करोड़ और कर्नाटक 2,238 करोड़ रुपये फायदा कमा रहा है। 

फायदा कमाने वाले प्रमुख राज्य

       
       
       
       
       
       
       
       
राज्य                            ड्यूटी बढ़ने पर फायदा        ड्यूटी घटने के बाद असर            कुल मुनाफा
यूपी                                3,375                                1,097                                    2,278
उत्तराखंड                        365                                    77                                        288
पंजाब                            2,213                                363                                     1,850
जम्मू-कश्मीर                 648                                    140                                      508
हिमाचल प्रदेश                544                                    25                                        519
हरियाणा                        2,678                                510                                        2,168
दिल्ली                            965                                210                                        756

(आंकड़े करोड़ रुपये में)

देश के ज्यादातर राज्यों के पास अभी भी मूल्यवर्धित कर (वैट) में कमी करने का अवसर है। अगर ये राज्य ऐसा करें तो इससे डीजल के दाम में 2 रुपये और पेट्रोल में 3 रुपये की कमी हो सकती है। हालांकि महाराष्ट्र के पास दोनों पर 5 रुपये प्रति लीटर कम करने का मौका है।

कुछ समय पहले जब एक्साइज ड्यूटी बढ़ी थी, तब राज्य तेल की बिक्री पर 49,229 करोड़ रुपये वैट के रूप में कमाते थे। इसी महीने जब इसमें कमी की गई तो इससे इनकी कमाई पर 15,021 करोड़ रुपये का असर हुआ। इसके बाद भी ये राज्य 34,208 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं। 

एसबीआई की रिपोर्ट में दावा

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि जब केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाती है तो राज्यों का राजस्व बढ़ जाता है और जब घटाती है तो इसमें कमी आती है। रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सबसे ज्यादा वैट कमा रहा है। उसके बाद गुजरात और तेलंगाना हैं। महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पेट्रोल पर औसत वैट 29.6 फीसदी है। 

महंगाई कम करने के लिए घटी एक्साइज ड्यूटी

केंद्र सरकार ने ऊंची महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल पर 8 और डीजल पर 6 रुपये की एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। इसके बाद कुछ राज्यों ने वैट में मामूली कमी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ये राज्य कीमतें कम कर दें तो इससे इनको कोई घाटा नहीं होगा।

साथ ही जब केंद्र सरकार ड्यूटी घटाती है तो अपने आप राज्यों का राजस्व कम हो जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है, क्योंकि वित्तवर्ष 2020 को छोड़कर बाकी वर्षों में इनकी उधारी काफी कम रही है। इससे वे कर को समाहित कर सकते हैं।  

जीएसटी के दायरे में लाने से दूर होंगी दिक्कतें 

रिपोर्ट के मुताबिक, तेल के कर ढांचे की जटिलता को कम करने और इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव से राजस्व को स्थिर करने के लिए इसे जीएसटी में लाना चाहिए। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इससे केंद्र सरकार को 20 हजार करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट को छोड़ना होगा। 

केवल असम को हो रहा है घाटा

रिपोर्ट के अनुसार, इस समय केवल असम को घाटा हो रहा है। यह राज्य पहले 188 करोड़ फायदा कमाता था। ड्यूटी घटने के बाद इसे 311 करोड़ रुपये का असर हुआ यानी 125 करोड़ रुपये का इसे घाटा हो रहा है। वैट से सबसे ज्यादा फायदा 5,510 करोड़ रुपये महाराष्ट्र कमा रहा है जबकि गुजरात 4,808 करोड़ रुपये कमा रहा है। तेलंगाना 3,212 करोड़, तमिलनाडु  2,554 करोड़, आंध्र प्रदेश 2,546 करोड़ और कर्नाटक 2,238 करोड़ रुपये फायदा कमा रहा है। 

फायदा कमाने वाले प्रमुख राज्य

       
       
       
       
       
       
       
       


राज्य                            ड्यूटी बढ़ने पर फायदा        ड्यूटी घटने के बाद असर            कुल मुनाफा

यूपी                                3,375                                1,097                                    2,278

उत्तराखंड                        365                                    77                                        288

पंजाब                            2,213                                363                                     1,850

जम्मू-कश्मीर                 648                                    140                                      508

हिमाचल प्रदेश                544                                    25                                        519

हरियाणा                        2,678                                510                                        2,168

दिल्ली                            965                                210                                        756

(आंकड़े करोड़ रुपये में)



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