Maharashtra Political Crisis: इस तरह चकमा देकर सूरत पहुंचे शिवसेना के बागी, गच्चा खा गई उद्धव की पुलिस व सीआईडी


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महाराष्ट्र में शिवसेना और बागियों के बीच जबर्दस्त सियासी संग्राम जारी है। शिवसेना और 2019 में बनी महाविकास अघाड़ी सरकार अपने गठन के बाद के अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में बागी विधायक महाराष्ट्र पुलिस व उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को गच्चा देकर कैसे सूरत पहुंच गए? उनके गुजरात कूच की भनक राज्य की खुफिया पुलिस को भी कैसे नहीं लगी? इन सवालों के जवाब एक पुलिस अधिकारी ने दिए हैं। 

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी विधायक व निर्दलीय एमएलए मंगलवार 21 जून से मुंबई से गायब हैं। पहले ये गुपचुप ढंग से सूरत पहुंचे और वहां से असम के गुवाहाटी की होटल में पहुंच गए हैं। उन्हें लेकर पिछले पांच दिनों से पूरे देश की सियासत में उबाल आया हुआ है। 

सियासी और सत्ता संग्राम का चरम आना अभी बाकी
महाराष्ट्र में जारी सियासी और सत्ता संग्राम का चरम आना अभी बाकी है। शिवसेना टूटेगी क्या, उद्धव की सीएम कुर्सी बचेगी या जाएगी, कौन होगा नया सीएम, क्या भाजपा के साथ बागी बनाएंगे सरकार, क्या अब शिंदे होंगे सीएम या देवेंद्र फडणवीस के हाथ फिर आएगी कमान, एमवीए का क्या होगा, राज्य में राष्ट्रपति शासन के आसार तो नहीं हैं? विधानसभा भंग तो नहीं करना पड़ेगी, राज्यपाल व डिप्टी स्पीकर क्या फैसले लेंगे? 

सुरक्षा गार्डों व कार्यकर्ताओं की आंखों में झोंकी धूल
ऐसे कई सवालों के बीच सभी के मन में यही सवाल बार बार घुमड़ रहा है कि आखिर मुंबई जैसे महानगर की चाक चौबंद सुरक्षा व खुफिया निगरानी के बीच बागी विधायक कैसे रफूचक्कर हो गए। वे अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ ही कार्यकर्ताओं की भी आंख में धूल झोंकने में कैसे गायब हुए। क्या यह उद्धव सरकार की बड़ी गुप्तचर विफलता नहीं है?

पुलिस अधिकारी ने किया यह दावा
मुंबई के एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि बागी विधायकों ने अपने सुरक्षा अधिकारियों को निजी कारणों से सूरत जाने की बात कही। इसलिए सरकारी मशीनरी को कोई शंका नहीं हुई। उसने उन पर निगरानी भी नहीं रखी, न ही उनकी किसी साजिश या योजना को लेकर पुलिस व सीआईडी को कोई आशंका पैदा हुई। 

महाराष्ट्र में मौजूदा सियासी संकट 20 जून को हुए विधान परिषद के चुनाव के चंद घंटों बाद उभरा। इन चुनावों में विपक्षी भाजपा अपनी ताकत से ज्यादा पांच सीटें जीतने में कामयाब हुई। इसके पहले राज्यसभा चुनाव में भी उसने राज्य के शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा के महाविकास अघाड़ी गठबंधन को पटखनी दी थी। विधान परिषद के नतीजे आने के बाद से शिंदे से शिवसेना का संपर्क नहीं हो पा रहा था। कुछ घंटे बाद वे बागी विधायकों के साथ सूरत में प्रकट हुए थे। 

विस्तार

महाराष्ट्र में शिवसेना और बागियों के बीच जबर्दस्त सियासी संग्राम जारी है। शिवसेना और 2019 में बनी महाविकास अघाड़ी सरकार अपने गठन के बाद के अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में बागी विधायक महाराष्ट्र पुलिस व उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को गच्चा देकर कैसे सूरत पहुंच गए? उनके गुजरात कूच की भनक राज्य की खुफिया पुलिस को भी कैसे नहीं लगी? इन सवालों के जवाब एक पुलिस अधिकारी ने दिए हैं। 

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी विधायक व निर्दलीय एमएलए मंगलवार 21 जून से मुंबई से गायब हैं। पहले ये गुपचुप ढंग से सूरत पहुंचे और वहां से असम के गुवाहाटी की होटल में पहुंच गए हैं। उन्हें लेकर पिछले पांच दिनों से पूरे देश की सियासत में उबाल आया हुआ है। 

सियासी और सत्ता संग्राम का चरम आना अभी बाकी

महाराष्ट्र में जारी सियासी और सत्ता संग्राम का चरम आना अभी बाकी है। शिवसेना टूटेगी क्या, उद्धव की सीएम कुर्सी बचेगी या जाएगी, कौन होगा नया सीएम, क्या भाजपा के साथ बागी बनाएंगे सरकार, क्या अब शिंदे होंगे सीएम या देवेंद्र फडणवीस के हाथ फिर आएगी कमान, एमवीए का क्या होगा, राज्य में राष्ट्रपति शासन के आसार तो नहीं हैं? विधानसभा भंग तो नहीं करना पड़ेगी, राज्यपाल व डिप्टी स्पीकर क्या फैसले लेंगे? 

सुरक्षा गार्डों व कार्यकर्ताओं की आंखों में झोंकी धूल

ऐसे कई सवालों के बीच सभी के मन में यही सवाल बार बार घुमड़ रहा है कि आखिर मुंबई जैसे महानगर की चाक चौबंद सुरक्षा व खुफिया निगरानी के बीच बागी विधायक कैसे रफूचक्कर हो गए। वे अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ ही कार्यकर्ताओं की भी आंख में धूल झोंकने में कैसे गायब हुए। क्या यह उद्धव सरकार की बड़ी गुप्तचर विफलता नहीं है?

पुलिस अधिकारी ने किया यह दावा

मुंबई के एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि बागी विधायकों ने अपने सुरक्षा अधिकारियों को निजी कारणों से सूरत जाने की बात कही। इसलिए सरकारी मशीनरी को कोई शंका नहीं हुई। उसने उन पर निगरानी भी नहीं रखी, न ही उनकी किसी साजिश या योजना को लेकर पुलिस व सीआईडी को कोई आशंका पैदा हुई। 

महाराष्ट्र में मौजूदा सियासी संकट 20 जून को हुए विधान परिषद के चुनाव के चंद घंटों बाद उभरा। इन चुनावों में विपक्षी भाजपा अपनी ताकत से ज्यादा पांच सीटें जीतने में कामयाब हुई। इसके पहले राज्यसभा चुनाव में भी उसने राज्य के शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा के महाविकास अघाड़ी गठबंधन को पटखनी दी थी। विधान परिषद के नतीजे आने के बाद से शिंदे से शिवसेना का संपर्क नहीं हो पा रहा था। कुछ घंटे बाद वे बागी विधायकों के साथ सूरत में प्रकट हुए थे। 



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