Maharashtra Political Crisis: शिवसेना में बगावत से भाजपा को क्या उम्मीदें, जानें कैसे बदल सकते हैं सत्ता के समीकरण?


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महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायकों की बगावत के बाद सत्ता के समीकरण को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। अब तक करीब दो दर्जन विधायकों के बागी होने की खबरें हैं। सरकार के खेमे से अगर 24 विधायक कम होते हैं तब भी सत्तापक्ष के पास कुल 145 विधायकों का समर्थन रहेगा। जो सामान्य बहुमत का आंकड़ा है। दूसरी ओर ये भी अटकलें हैं कि बागियों द्वारा उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा को समर्थन देने की शर्त रखी जा सकती है। 

महाराष्ट्र में सरकार बचाने के क्या रास्ते हैं? सरकार बदलने का क्या गणित है? क्या कांग्रेस में भी बगावत हो सकती है? 

महाराष्ट्र में सरकार बचाने के क्या रास्ते हैं?
सत्ता पक्ष के साथ इस वक्त 169 विधायकों का समर्थन है। इनमें से 24 विधायक बागी बताए जा रहे हैं। इस स्थिति में सत्ता पक्ष के पास 145 विधायकों का समर्थन बना रहेगा। विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा भी 145 ही है। वहीं, अगर बागी शिवसेना विधायकों का आंकड़ा 24 ही रहता है तो शिवसेना से अलग होने पर इन विधायकों की सदस्यता जा सकती है।
 दरअसल, शिवसेना के कुल 56 विधायक हैं। किसी धड़े को पार्टी से अलग होने के लिए दो तिहाई यानी कम से कम 38 विधायक होने जरूरी है। बागी विधायक कर्नाटक और मध्य प्रदेश वाला फॉर्मूला भी अपना सकते हैं। यानी, ये विधायक इस्तीफा देकर अलग हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 263 हो जाएगी। इस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 132 हो जाएगा। इस स्थिति में उद्धव ठाकरे सरकार के लिए सरकार बचाना आसान हो जाएगा। 

सरकार बदलने का क्या गणित है?
एकनाथ शिंदे 26 विधायकों के बागी होने का दावा कर रहे हैं। इसमें कुछ निर्दलीय विधायक भी हैं। इसके साथ ही भाजपा निर्दलीय और अन्य छोटे दलों के कुल 13 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। इस स्थिति में भाजपा के 106 विधायकों को मिलाकर भाजपा के पक्ष में संख्याबल 145 हो जाएगा। जो बहुमत का आंकड़ा है। 
इस मामले में पेंच ये हैं कि शिवसेना के 26 विधायक अगर बागी होते हैं तो उनके लिए अपनी सदस्यता बचाना मुश्किल होगा। भाजपा दावा कर रही है कि शिवसेना के 35 विधायक उनके संपर्क में हैं। ऐसे में अगर बागी गुट तीन और विधायकों को अपने पाले में कर लेता बागी गुट को मान्यता मिल जाएगी। ऐसे में भाजपा के सरकार बनाने का रास्ता खुल जाएगा। 
 
क्या कांग्रेस में भी बगावत हो सकती है? 
कांग्रेस विधायकों के नाराज होने की खबरें अक्सर आती रही हैं। मार्च महीने में कांग्रेस के 25 विधायकों के उद्धव सरकार से नाराजगी की खबरें आईं थीं। इन विधायकों ने सोनिया गांधी से मिलने का समय भी मांगा था। इन विधायकों ने सरकार के मंत्रियों पर उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम को लागू करने के अनुरोधों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।  
 
कहां से शुरू हुआ खेल?
महाराष्ट्र में सियासी खेल राज्यसभा चुनावों से शुरू हुआ। राज्यसभा चुनावों में 113 विधायकों के समर्थन वाली भाजपा को 123 वोट पड़े थे। सोमवार को हुए विधान परिषद चुनाव में भाजपा को 134 विधायकों का समर्थन हासिल हुआ। भाजपा अपने पांचों उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रही। इसके उलट शिवसेना को अपने 55 विधायकों व समर्थक निर्दलीय विधायकों के बावजूद सिर्फ 52 वोट मिले।

विस्तार

महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायकों की बगावत के बाद सत्ता के समीकरण को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। अब तक करीब दो दर्जन विधायकों के बागी होने की खबरें हैं। सरकार के खेमे से अगर 24 विधायक कम होते हैं तब भी सत्तापक्ष के पास कुल 145 विधायकों का समर्थन रहेगा। जो सामान्य बहुमत का आंकड़ा है। दूसरी ओर ये भी अटकलें हैं कि बागियों द्वारा उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा को समर्थन देने की शर्त रखी जा सकती है। 

महाराष्ट्र में सरकार बचाने के क्या रास्ते हैं? सरकार बदलने का क्या गणित है? क्या कांग्रेस में भी बगावत हो सकती है? 

महाराष्ट्र में सरकार बचाने के क्या रास्ते हैं?

सत्ता पक्ष के साथ इस वक्त 169 विधायकों का समर्थन है। इनमें से 24 विधायक बागी बताए जा रहे हैं। इस स्थिति में सत्ता पक्ष के पास 145 विधायकों का समर्थन बना रहेगा। विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा भी 145 ही है। वहीं, अगर बागी शिवसेना विधायकों का आंकड़ा 24 ही रहता है तो शिवसेना से अलग होने पर इन विधायकों की सदस्यता जा सकती है।

 दरअसल, शिवसेना के कुल 56 विधायक हैं। किसी धड़े को पार्टी से अलग होने के लिए दो तिहाई यानी कम से कम 38 विधायक होने जरूरी है। बागी विधायक कर्नाटक और मध्य प्रदेश वाला फॉर्मूला भी अपना सकते हैं। यानी, ये विधायक इस्तीफा देकर अलग हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 263 हो जाएगी। इस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 132 हो जाएगा। इस स्थिति में उद्धव ठाकरे सरकार के लिए सरकार बचाना आसान हो जाएगा। 

सरकार बदलने का क्या गणित है?

एकनाथ शिंदे 26 विधायकों के बागी होने का दावा कर रहे हैं। इसमें कुछ निर्दलीय विधायक भी हैं। इसके साथ ही भाजपा निर्दलीय और अन्य छोटे दलों के कुल 13 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। इस स्थिति में भाजपा के 106 विधायकों को मिलाकर भाजपा के पक्ष में संख्याबल 145 हो जाएगा। जो बहुमत का आंकड़ा है। 

इस मामले में पेंच ये हैं कि शिवसेना के 26 विधायक अगर बागी होते हैं तो उनके लिए अपनी सदस्यता बचाना मुश्किल होगा। भाजपा दावा कर रही है कि शिवसेना के 35 विधायक उनके संपर्क में हैं। ऐसे में अगर बागी गुट तीन और विधायकों को अपने पाले में कर लेता बागी गुट को मान्यता मिल जाएगी। ऐसे में भाजपा के सरकार बनाने का रास्ता खुल जाएगा। 

 

क्या कांग्रेस में भी बगावत हो सकती है? 

कांग्रेस विधायकों के नाराज होने की खबरें अक्सर आती रही हैं। मार्च महीने में कांग्रेस के 25 विधायकों के उद्धव सरकार से नाराजगी की खबरें आईं थीं। इन विधायकों ने सोनिया गांधी से मिलने का समय भी मांगा था। इन विधायकों ने सरकार के मंत्रियों पर उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम को लागू करने के अनुरोधों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।  

 

कहां से शुरू हुआ खेल?

महाराष्ट्र में सियासी खेल राज्यसभा चुनावों से शुरू हुआ। राज्यसभा चुनावों में 113 विधायकों के समर्थन वाली भाजपा को 123 वोट पड़े थे। सोमवार को हुए विधान परिषद चुनाव में भाजपा को 134 विधायकों का समर्थन हासिल हुआ। भाजपा अपने पांचों उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रही। इसके उलट शिवसेना को अपने 55 विधायकों व समर्थक निर्दलीय विधायकों के बावजूद सिर्फ 52 वोट मिले।



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