पंजाब में मान का मंत्रिमंडल: इकलौती महिला मंत्री के लिए क्या AAP ने अपने ही बनाए नियम तोड़े?


इलेक्शन डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Sun, 20 Mar 2022 09:53 AM IST

सार

आम आदमी पार्टी का नियम था कि एक परिवार के एक से ज्यादा सदस्य पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ सकते। 2021 में इस नियम में नए लोगों के लिए बदलाव किया गया, जबकि पुराने नेताओं पर पहले के नियम ही लागू होने की बात कही गई थी। 

अरविंद केजरीवाल और डॉ. बलजीत कौर

अरविंद केजरीवाल और डॉ. बलजीत कौर
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की कैबिनेट के 10 मंत्रियों ने शनिवार को पद और गोपनियता की शपथ ली। इनमें इकलौती महिला मंत्री डॉ. बलजीत कौर भी शामिल थीं। दरअसल, डॉ. बलजीत कौर के पिता प्रो. साधु सिंह आम आदमी पार्टी के टिकट पर 2014 में सांसद चुने गए थे। 2019 में भी वह पार्टी के प्रत्याशी रहे, लेकिन चुनाव हार गए। इस बार विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी यानी डॉ. बलजीत कौर को श्री मुक्तसर साहिब की मलौट सीट से प्रत्याशी बनाया गया था। वे 40 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत गईं। प्रो. साधु आम आदमी पार्टी के पुराने सदस्य हैं और आप के नियम के अनुसार एक परिवार के एक से अधिक सदस्य चुनाव नहीं लड़ सकते। 

क्या हैं नियम?  

आम आदमी पार्टी के गठन के दौरान नियम बनाया गया था कि एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्यों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। 2021 में पार्टी से जुड़ने वाले नए सदस्यों के लिए इस नियम में बदलाव किया गया था। तब फैसला हुआ था कि पार्टी के टिकट पर एक परिवार के एक से ज्यादा सदस्य चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी के नेता और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री ने इसका एलान किया था। उन्होंने कहा था कि यह नया नियम केवल पार्टी के नए सदस्यों पर लागू होगा। पुराने नेताओं पर पुराना नियम ही लागू होगा। 

डॉ. बलजीत पर कौन सा नियम लागू होता है?

डॉ. बलजीत कौर के पिता प्रो. साधु पार्टी के पुराने नेता हैं। 2014 और फिर 2019 में वे लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में उन पर पुराना नियम ही लागू होता है। मतलब नियम के अनुसार चूंकि वे खुद चुनाव लड़ते रहे हैं, ऐसे में उनके परिवार का कोई सदस्य आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ सकता। 

कौन हैं डॉ. बलजीत?

पंजाब की नई कैबिनेट में डॉ. बलजीत कौर इकलौती महिला मंत्री हैं। बलजीत पेशे से डॉक्टर हैं। 18 साल तक सरकारी अस्पताल में सेवाएं दीं। 46 साल की डॉ. बलजीत श्री मुक्तसर साहिब की मलौट सीट से विधायक चुनी गईं हैं। उन्होंने अकाली दल के प्रत्याशी हरप्रीत सिंह को 40 हजार से भी ज्यादा मतों से हराया है। चुनाव के दौरान भी वह लोगों का इलाज करती रहीं। आम आदमी पार्टी से टिकट मिलते ही उन्होंने चिकित्सक पद से इस्तीफा दे दिया था और पहली बार में ही चुनाव जीत गईं। डॉ. कौर आंखों की सर्जन हैं। सरकारी अस्पताल में रहते हुए उन्होंने 17 हजार से ज्यादा ऑपरेशन किए हैं।



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