कर्नाटक में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, मठों को देना पड़ता है 30 प्रतिशत कमीशन: लिंगायत संत का आरोप


बागलकोट (कर्नाटक). लिंगायत समुदाय के एक संत ने सोमवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक (Karnataka)  में व्याप्त भ्रष्टाचार (Corruption) से मठ भी प्रभावित हैं और वे भी स्वीकृत अनुदान प्राप्त करने के लिए 30 प्रतिशत कमीशन देते हैं. इस पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (CM Basavaraj Bommai) ने कहा कि उनकी सरकार संत के आरोपों को ‘बहुत गंभीरता से’ ले रही है. यह आरोप ऐसे समय आया है जब 12 अप्रैल को उडुपी के एक होटल में एक ठेकेदार द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता के एस ईश्वरप्पा ने शनिवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. बेलगावी के रहने वाले ठेकेदार संतोष पाटिल मंगलवार को उडुपी के एक होटल में मृत मिले थे. उन्होंने कुछ हफ्ते पहले ईश्वरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.

पाटिल ने कथित व्हाट्ऐप संदेश में ईश्वरप्पा को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने पिछले महीने शिकायत की थी कि उन्हें हिंडल्गा गांव में 2021 में किए गए सड़क संबंधी कार्य के लिए चार करोड़ रुपये का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. उन्होंने ईश्वरप्पा के सहायकों पर भुगतान के लिए 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया था. शिरहट्टी तालुक के बालेहोसुर मठ के डिंगलेश्वर स्वामीजी ने बागलकोट जिले के बड़गंडी गांव में आयोजित एक रैली के दौरान कहा, ‘यदि किसी स्वामी (संत) के लिए अनुदान स्वीकृत किया जाता है, तो यह 30 प्रतिशत कटौती के बाद मठ में पहुंच पाता है. यह सीधा सच है. अधिकारी आपको स्पष्ट रूप से बताते हैं कि जब तक राशि नहीं काटी जाएगी, तब तक आपकी परियोजना शुरू नहीं होगी.’ संत ने आरोप लगाया कि राज्य में कोई भी सरकारी काम ठीक से नहीं हो रहा है.

स्वामीजी ने दावा किया, ’30 प्रतिशत कमीशन देने संबंधी दयनीय स्थिति है. 30 प्रतिशत भुगतान के बाद ही काम शुरू होता है. कई ठेकेदारों ने अपना काम बंद कर दिया है. केवल बातचीत हो रही है लेकिन कोई विकास नहीं हो रहा है. कई विधायक काम शुरू करने से पहले दर तय करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘उत्तरी कर्नाटक के साथ बड़ा अन्याय हो रहा है. उत्तरी कर्नाटक में कोई व्यवस्था नहीं है. सड़कें, बस सेवाएं, शिक्षा, स्कूल खराब स्थिति में हैं. यहां शिक्षकों की कमी है. सिंचाई कार्य की स्थिति दयनीय हैं.’

लिंगायत संत द्वारा लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘वह (संत) एक महान स्वामीजी हैं. पूरा राज्य इसे जानता है. मैं केवल परम पूजनीय से पूरा विवरण देने का अनुरोध करता हूं. किसने भुगतान किया, किस उद्देश्य के लिए भुगतान किया गया था और किसको भुगतान किया गया था. हम निश्चित रूप से जांच करेंगे और मामले की गहराई में जाएंगे. हम उनके आरोप को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं.’ संत के आरोप से विपक्षी कांग्रेस को सत्ताधारी भाजपा को निशाना बनाने का मौका मिल गया. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा, ‘यह शर्म की बात है कि भाजपा, जो खुद को धर्म का रक्षक कहती है, मठों और मंदिरों के लिए स्वीकृत अनुदान में 30 प्रतिशत कमीशन खा रही है.’

Tags: CM Basavaraj Bommai, Corruption, Karnataka



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