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मोबाइल लोन एप घोटाले में एक चीनी नागरिक के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), ओडिशा के डीआईजी जेएन पंकज ने इस मामले की जानकारी दी है।
जेएन पंकज ने बताया कि “ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के अनुरोध पर, आव्रजन ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन) ने अवैध कर्ज एप संचालक चीनी नागरिक और मुख्य आरोपी लिऊ यी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है।”
21 अप्रैल को किया गया था मामला दर्ज
लिऊ यी 21 अप्रैल, 2022 को ईओडब्ल्यू थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की अनेक धाराओं के तहत दर्ज एक मामले में मुख्य आरोपी है।
ईओडब्ल्यू की एक विज्ञप्ति के अनुसार, उसने यी के पांच साथी आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया है और उसकी अवैध गतिविधियों के संबंध में कई राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क में है। ईओडब्ल्यू ने मुंबई, बंगलुरू और दिल्ली में छापे मारे हैं और 6.57 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति के लेनदेन पर रोक लगा दी है।
क्यों जारी किया जाता है लुकआउट सर्कुलर?
लुकआउट सर्कुलर सामान्य रूप से हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर आव्रजन जांच चौकियों को सतर्क करने के लिए जारी किया जाता है ताकि कोई वांछित व्यक्ति देश छोड़ने की कोशिश करे या किसी दूसरे देश से यहां पहुंचे तो उसे पकड़ा जा सके।
भारत में अनेक अवैध डिजिटल ऋण एप चलाने का आरोप
ईओडब्ल्यू के एक बयान के अनुसार, लिऊ भारत में अनेक अवैध डिजिटल ऋण एप चलाता था जिनमें कोको लोन, जोजो लोन गोल्डन, लाइटनिंग लोन, सिल्वर क्रेडिट लोन, गोल्ड कैश लोन, लिटिल बोरो, लोन टैप, क्रेडिट लोन, क्रेडिट बीयर लोन, स्पीडी रूपी लोन, एक्सप्रेस क्रेडिट लोन, क्रेडिट प्लान लोन और रुपी डे लोन आदि हैं।
ईओडब्ल्यू ने कहा कि एक एप डेढ़ लाख से अधिक बार डाउनलोड किया गया और संदेह है कि देशभर में लाखों लोग, खासतौर पर छोटे ऋण की जरूरत वाले निम्न मध्यमवर्गीय लोग कोविड के मुश्किल दौर में धोखाधड़ी के शिकार हुए।
2019 में बंगलुरू से शुरू किया था अवैध धंधा
यी की मूल कंपनी जियानबिंग टेक्नोलॉजी चीन के हांगझोऊ में स्थित है। उसने 2019 में बंगलुरू से भारत में अपना अवैध धंधा शुरू किया था। वह ऑमलेट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक है और परोक्ष रूप से अन्य शेल कंपनियों को नियंत्रित करता है। विज्ञप्ति के अनुसार कम से कम दो और चीनी लोग हैं जिन्होंने घोटाले में यी की मदद की थी।