न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 16 Feb 2022 10:28 PM IST
सार
सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने खास तौर पर बैंक कर्ज के कथित हेरफेर और जनता के धन के शोधन के मामलों पर जांच केंद्रित की है।
एबीजी शिपयार्ड घोटाले के मामले में ईडी की एंट्री।
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विस्तार
प्रवर्तन निदेशालय ने कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी के मामले में एबीजी शिपयार्ड कंपनी और उससे जुड़े अधिकारियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि इससे पहले सीबीआई ने जांच के बाद एबीजी पर केस दर्ज किया था। इसे देश में बैंक धोखाधड़ी का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है।
ईडी ने यह मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की अलग-अलग धाराओं के तहत दर्ज किया है। जांचकर्ताओं ने सीबीआई की ओर से दायर शिकायत और फॉरेन्सिक ऑडिट के आधार पर यह कदम उठाया। सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने खास तौर पर बैंक कर्ज के कथित हेरफेर और जनता के धन के शोधन के मामलों पर जांच केंद्रित की है। इसके अलावा ईडी इस अपराध में शामिल कंपनी के अधिकारियों और बाकी लोगों की भी जांच कर रहा है।
गौरतलब है कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड कंपनी के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल तथा आठ अन्य लोगों के खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी किया है। एजेंसी ने कहा कि आरोपी भारत में हैं। अधिकारियों ने बताया कि मामले के आरोपी देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकें, इसके लिए नोटिस जारी किए गए हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने भी 2019 में मुख्य आरोपी के खिलाफ एलओसी प्रक्रिया शुरू की थी।
क्या है पूरा मामला?
सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल व अन्य लोगों के खिलाफ बैंकों के एक समूह (कंसोर्शियम) के साथ करीब 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया है।
एजेंसी ने तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया तथा एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं। ये आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत लगाए गए हैं। सीबीआई ने अपनी जांच जारी रखते हुए 12 फरवरी को 13 स्थानों पर छापेमारी की थी। अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें कई ठोस दस्तावेज मिले हैं, जिनमें कंपनी के खाते शामिल हैं और उनकी जांच की जा रही है।
बैंक ने सबसे पहले आठ नवंबर, 2019 को एक शिकायत दर्ज कराई, जिस पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने 12 मार्च, 2020 को कुछ स्पष्टीकरण देने को कहा था। बैंक ने उसी साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज कराई थी। सीबीआई ने डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद शिकायत पर कार्रवाई की और सात फरवरी 2022 को प्राथमिकी दर्ज की।
उन्होंने कहा कि अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा किए गए फॉरेंसिक ऑडिटसे पता चला है कि 2012-17 के बीच, आरोपियों ने मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों में शामिल हुए। यह सीबीआई द्वारा दर्ज बैंक धोखाधड़ी का सबसे बड़ा मामला है। एजेंसी के अनुसार कि कोष का इस्तेमाल बैंकों द्वारा जारी किए गए उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया।