Modi Jammu Visit: जम्मू में आतंकी हमलों से रद्द नहीं होगा दौरा, चाहे ‘इल्हान’ हों या ‘शरीफ’, यह अच्छे से समझ लें


सार

राजनीतिक जानकार, अनिल गौर के अनुसार, अमेरिका और पाकिस्तान चाहते हैं कि भारत में कमजोर पीएम हो। आज जिस तरह से चीन का पाकिस्तान के हर क्षेत्र में हस्तक्षेप है, अमेरिका वैसा ही भारत को देखना चाहता है। जब भारत इन देशों का साथ नहीं देता या उनकी बात नहीं मानता, तो वे हिंदुस्तान को बदनाम करने की साजिश करने लगते हैं…

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 24 अप्रैल को प्रस्तावित जम्मू-कश्मीर यात्रा से 48 घंटे पहले आतंकियों ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। हालांकि मुस्तैद सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया है। दो दिन में दस (स्थानीय एवं विदेशी) आतंकियों को खत्म किया गया है। राजनीतिक एवं सुरक्षा मामलों के जानकार कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) कहते हैं कि जम्मू में ‘आतंकी’ हमलों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा रद्द नहीं होगी।

जब घाटी में बहुत कुछ ठीक हो रहा है तो दुनिया के कई मुल्क परेशान हो उठे हैं। इन्हीं में पाकिस्तान भी है और महाशक्ति अमेरिका भी है। ये ‘खोट’ में दिख रहे हैं, तभी तो पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज ‘शरीफ’ ने ‘कश्मीर’ का मुद्दा उठाने में देर नहीं की। दूसरी तरफ अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य इल्हान उमर, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पहुंच जाती हैं। जेकेपी के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक़, आतंकी हमलों के चलते जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

फिदायीन अटैक की बौखलाहट है, पाक ने रास्ता नहीं छोड़ना है…  

24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस’ पर पीएम मोदी, सांबा जिले के पल्ली गांव में पहुंचेंगे। इस गांव को कार्बनमुक्त सौर पंचायत होने का दर्जा मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी, वहीं से जम्मू-कश्मीर के पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों को संबोधित करेंगे। राजनीतिक एवं सुरक्षा मामलों के जानकार कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) के मुताबिक पीएम की यात्रा से पहले फिदायीन हमला एक बौखलाहट है। पाकिस्तान, आतंक का रास्ता नहीं छोड़ेगा। जम्मू-कश्मीर में यह बताने की जरूरत नहीं है कि वहां कितने विदेशी यानी पाकिस्तान मूल के आतंकी हैं। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के लिए कश्मीर ही मुख्य मुद्दा है। वैसे तो वहां के हर पीएम ने इस मुद्दे पर राजनीति की है, लेकिन अब शहबाज शरीफ को पीएम की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला, तो उन्होंने कश्मीर का राग अलापने में देर नहीं लगाई। शरीफ ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा, दोनों देशों की शांति और विकास के लिए जम्मू-कश्मीर व अन्य विवादित मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए।

भारत की इस नीति से परेशान है ये महाशक्ति

अनिल गौर बताते हैं, कश्मीर में आज अमन चैन है। लगभग 150 आतंकी बचे हैं, वे भी जल्द ही खत्म कर दिए जाएंगे। आतंकियों की फंडिंग के रास्ते तकरीबन बंद हो चुके हैं। इसके बावजूद अमेरिका परेशान है, पाकिस्तान हैरान है। चीन भी इन्हीं के रास्ते पर है। दरअसल, ये देश भारत को अव्यवस्थित करना चाहते हैं। ये नहीं चाहते कि दुनिया के बड़े मामलों में भारत का दखल हो। भारत, एक महाशक्ति बनकर उभरे। अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य इल्हान उमर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पहुंच गई। भारत ने कहा, अमेरिकी कांग्रेस का यह कदम संकीर्ण सोच वाली राजनीति को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची कह चुके हैं, हमने उनकी (इल्हान उमर) भारतीय संघ राज्य क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के एक इलाके में यात्रा की खबरों को देखा है, जो अभी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। इस क्रम में हमारी क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता का उल्लंघन होता है। तब हम समझते हैं कि यह यात्रा निंदनीय है। कश्मीर में शांति बहाली से अमेरिका भी खुश नहीं है।

अमेरिका के थिंक टैंक, भारत को नंबर दो पर देख रहे हैं

दुनिया के कई देश, भारत की गुटनिरपेक्ष नीति से खुश नहीं हैं। अमेरिकी थिंक टैंक यह बात अच्छे से समझते हैं कि चीन के बाद भारत का ही नंबर है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों से यह बात स्वीकार की गई है। भारत एक तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक एवं सैन्य शक्ति है। जिस तरह से चीन, कभी अमेरिका के दबाव में नहीं आया, आज उसी रास्ते पर भारत है। अमेरिका जैसे कई देश केवल इसलिए परेशान हैं कि भारत, पाकिस्तान की तरह खुद को उनके हाथों में नहीं सौंपता। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटा तो कई देश इस फैसले पर सवाल उठाने लगे। आज वही कश्मीर जब दोबारा से तरक्की के रास्ते पर चल पड़ा, तो उन देशों से यह बर्दाश्त नहीं हो रहा। अमेरिकी थिक टैंक मानते हैं कि आने वाले समय में जब भारत, चीन के समकक्ष आएगा तो उनकी नीतियां आगे नहीं बढ़ सकेंगी। भारत ने सदैव अपनी स्वतंत्र पॉलिसी का अनुसरण किया है। हमारा देश कभी, किसी के प्रभाव में नहीं आया। पिछले दिनों रूस और यूक्रेन की लड़ाई में भारत ने किसी का साथ नहीं दिया। अमेरिका को अंदरखाते, बहुत हद तक भारत का यह फैसला पसंद नहीं आया।

अमेरिका चाहता है कि भारत में कमजोर पीएम हो

राजनीतिक जानकार, अनिल गौर के अनुसार, अमेरिका और पाकिस्तान चाहते हैं कि भारत में कमजोर पीएम हो। आज जिस तरह से चीन का पाकिस्तान के हर क्षेत्र में हस्तक्षेप है, अमेरिका वैसा ही भारत को देखना चाहता है। जब भारत इन देशों का साथ नहीं देता या उनकी बात नहीं मानता, तो वे हिंदुस्तान को बदनाम करने की साजिश करने लगते हैं। जम्मू-कश्मीर का आतंकवाद, इसी साजिश का हिस्सा है। देश को बदनाम करने के लिए कभी मुस्लिमों का नाम आगे कर दिया जाता है तो कभी कश्मीर का। अगर पाकिस्तान यह सोचता है कि इन आतंकी हमलों से पीएम मोदी का जम्मू दौरा रद्द हो जाएगा तो वह बड़ी गलतफहमी में है। सुरक्षा बलों को यह जरूर देखना चाहिए कि ये आतंकी कश्मीर से आए हैं या उन्होंने सीमा पार से ताजा घुसपैठ की है। भारत को भी थोड़ा सिस्टम ठीक करना होगा। अगर सीमा पार से घुसपैठ हुई है तो वहां जरूरी कदम उठाने होंगे। जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर और अंडर ग्राउंड वर्कर को तलाशना होगा। इसके लिए जम्मू कश्मीर पुलिस और आईबी को अपनी सतर्कता बढ़ानी चाहिए।

जम्मू-कश्मीर में अब डेढ़ सौ सक्रिय आतंकी बचे हैं

सुरक्षा बलों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में लगभग 150 आतंकवादी सक्रिय हैं। इनमें से 75 विदेशी आतंकी हैं। इन आतंकियों में करीब डेढ़ दर्जन स्थानीय युवक भी शामिल हैं। ये सभी युवा तीन-चार माह पहले ही आतंकी संगठनों का हिस्सा बने हैं। हालांकि आतंकियों की यह संख्या ज्यादातर कश्मीर में ही बताई जाती है। जब इन्हें जम्मू क्षेत्र में वारदात करनी होती है तो वे यहीं से चले जाते हैं। इस वर्ष नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के दो बड़े प्रयास हुए हैं। एक कश्मीर में और दूसरा जम्मू में हुआ था। सैन्य बलों ने दोनों ही प्रयासों को विफल कर दिया। नए साल पर घुसपैठ के दौरान कुपवाड़ा में एक पाकिस्तानी आतंकवादी मारा गया था। एक आतंकी जिंदा पकड़ लिया गया।

पुंछ जिले में सीमा पार से आतंकवादियों ने घुसपैठ करने की कोशिश की थी, जिसे सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर भी घुसपैठ के चक्कर में एक आतंकवादी मारा गया था। शुक्रवार सुबह जम्मू में मारे गए दो आतंकियों के पास से सैटेलाइट फोन, हैंड ग्रेनेड व दो एके 47 राइफल बरामद हुई हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एडीजी मुकेश सिंह का कहना था कि यह हमला विदेशी आतंकियों द्वारा किया गया है। हालांकि अभी इनकी पहचान की जा रही है। प्रारंभिक जांच में ये विदेशी आतंकी लग रहे हैं। इस फिदायीन हमले में पांच जवान घायल हुए हैं। इनमें से दो जवान जम्मू कश्मीर पुलिस के हैं और तीन जवान सीआईएसएफ के हैं। सीआईएसएफ के एक एएसआई शहीद हो गए हैं। दोनों ही आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हुए थे। इनका मकसद सुरक्षा बलों के कैंप पर हमला करना था।

विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 24 अप्रैल को प्रस्तावित जम्मू-कश्मीर यात्रा से 48 घंटे पहले आतंकियों ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। हालांकि मुस्तैद सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया है। दो दिन में दस (स्थानीय एवं विदेशी) आतंकियों को खत्म किया गया है। राजनीतिक एवं सुरक्षा मामलों के जानकार कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) कहते हैं कि जम्मू में ‘आतंकी’ हमलों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा रद्द नहीं होगी।

जब घाटी में बहुत कुछ ठीक हो रहा है तो दुनिया के कई मुल्क परेशान हो उठे हैं। इन्हीं में पाकिस्तान भी है और महाशक्ति अमेरिका भी है। ये ‘खोट’ में दिख रहे हैं, तभी तो पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज ‘शरीफ’ ने ‘कश्मीर’ का मुद्दा उठाने में देर नहीं की। दूसरी तरफ अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य इल्हान उमर, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पहुंच जाती हैं। जेकेपी के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक़, आतंकी हमलों के चलते जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

फिदायीन अटैक की बौखलाहट है, पाक ने रास्ता नहीं छोड़ना है…  

24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस’ पर पीएम मोदी, सांबा जिले के पल्ली गांव में पहुंचेंगे। इस गांव को कार्बनमुक्त सौर पंचायत होने का दर्जा मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी, वहीं से जम्मू-कश्मीर के पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों को संबोधित करेंगे। राजनीतिक एवं सुरक्षा मामलों के जानकार कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) के मुताबिक पीएम की यात्रा से पहले फिदायीन हमला एक बौखलाहट है। पाकिस्तान, आतंक का रास्ता नहीं छोड़ेगा। जम्मू-कश्मीर में यह बताने की जरूरत नहीं है कि वहां कितने विदेशी यानी पाकिस्तान मूल के आतंकी हैं। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के लिए कश्मीर ही मुख्य मुद्दा है। वैसे तो वहां के हर पीएम ने इस मुद्दे पर राजनीति की है, लेकिन अब शहबाज शरीफ को पीएम की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला, तो उन्होंने कश्मीर का राग अलापने में देर नहीं लगाई। शरीफ ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा, दोनों देशों की शांति और विकास के लिए जम्मू-कश्मीर व अन्य विवादित मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए।

भारत की इस नीति से परेशान है ये महाशक्ति

अनिल गौर बताते हैं, कश्मीर में आज अमन चैन है। लगभग 150 आतंकी बचे हैं, वे भी जल्द ही खत्म कर दिए जाएंगे। आतंकियों की फंडिंग के रास्ते तकरीबन बंद हो चुके हैं। इसके बावजूद अमेरिका परेशान है, पाकिस्तान हैरान है। चीन भी इन्हीं के रास्ते पर है। दरअसल, ये देश भारत को अव्यवस्थित करना चाहते हैं। ये नहीं चाहते कि दुनिया के बड़े मामलों में भारत का दखल हो। भारत, एक महाशक्ति बनकर उभरे। अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य इल्हान उमर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पहुंच गई। भारत ने कहा, अमेरिकी कांग्रेस का यह कदम संकीर्ण सोच वाली राजनीति को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची कह चुके हैं, हमने उनकी (इल्हान उमर) भारतीय संघ राज्य क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के एक इलाके में यात्रा की खबरों को देखा है, जो अभी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। इस क्रम में हमारी क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता का उल्लंघन होता है। तब हम समझते हैं कि यह यात्रा निंदनीय है। कश्मीर में शांति बहाली से अमेरिका भी खुश नहीं है।

अमेरिका के थिंक टैंक, भारत को नंबर दो पर देख रहे हैं

दुनिया के कई देश, भारत की गुटनिरपेक्ष नीति से खुश नहीं हैं। अमेरिकी थिंक टैंक यह बात अच्छे से समझते हैं कि चीन के बाद भारत का ही नंबर है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों से यह बात स्वीकार की गई है। भारत एक तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक एवं सैन्य शक्ति है। जिस तरह से चीन, कभी अमेरिका के दबाव में नहीं आया, आज उसी रास्ते पर भारत है। अमेरिका जैसे कई देश केवल इसलिए परेशान हैं कि भारत, पाकिस्तान की तरह खुद को उनके हाथों में नहीं सौंपता। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटा तो कई देश इस फैसले पर सवाल उठाने लगे। आज वही कश्मीर जब दोबारा से तरक्की के रास्ते पर चल पड़ा, तो उन देशों से यह बर्दाश्त नहीं हो रहा। अमेरिकी थिक टैंक मानते हैं कि आने वाले समय में जब भारत, चीन के समकक्ष आएगा तो उनकी नीतियां आगे नहीं बढ़ सकेंगी। भारत ने सदैव अपनी स्वतंत्र पॉलिसी का अनुसरण किया है। हमारा देश कभी, किसी के प्रभाव में नहीं आया। पिछले दिनों रूस और यूक्रेन की लड़ाई में भारत ने किसी का साथ नहीं दिया। अमेरिका को अंदरखाते, बहुत हद तक भारत का यह फैसला पसंद नहीं आया।

अमेरिका चाहता है कि भारत में कमजोर पीएम हो

राजनीतिक जानकार, अनिल गौर के अनुसार, अमेरिका और पाकिस्तान चाहते हैं कि भारत में कमजोर पीएम हो। आज जिस तरह से चीन का पाकिस्तान के हर क्षेत्र में हस्तक्षेप है, अमेरिका वैसा ही भारत को देखना चाहता है। जब भारत इन देशों का साथ नहीं देता या उनकी बात नहीं मानता, तो वे हिंदुस्तान को बदनाम करने की साजिश करने लगते हैं। जम्मू-कश्मीर का आतंकवाद, इसी साजिश का हिस्सा है। देश को बदनाम करने के लिए कभी मुस्लिमों का नाम आगे कर दिया जाता है तो कभी कश्मीर का। अगर पाकिस्तान यह सोचता है कि इन आतंकी हमलों से पीएम मोदी का जम्मू दौरा रद्द हो जाएगा तो वह बड़ी गलतफहमी में है। सुरक्षा बलों को यह जरूर देखना चाहिए कि ये आतंकी कश्मीर से आए हैं या उन्होंने सीमा पार से ताजा घुसपैठ की है। भारत को भी थोड़ा सिस्टम ठीक करना होगा। अगर सीमा पार से घुसपैठ हुई है तो वहां जरूरी कदम उठाने होंगे। जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर और अंडर ग्राउंड वर्कर को तलाशना होगा। इसके लिए जम्मू कश्मीर पुलिस और आईबी को अपनी सतर्कता बढ़ानी चाहिए।

जम्मू-कश्मीर में अब डेढ़ सौ सक्रिय आतंकी बचे हैं

सुरक्षा बलों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में लगभग 150 आतंकवादी सक्रिय हैं। इनमें से 75 विदेशी आतंकी हैं। इन आतंकियों में करीब डेढ़ दर्जन स्थानीय युवक भी शामिल हैं। ये सभी युवा तीन-चार माह पहले ही आतंकी संगठनों का हिस्सा बने हैं। हालांकि आतंकियों की यह संख्या ज्यादातर कश्मीर में ही बताई जाती है। जब इन्हें जम्मू क्षेत्र में वारदात करनी होती है तो वे यहीं से चले जाते हैं। इस वर्ष नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के दो बड़े प्रयास हुए हैं। एक कश्मीर में और दूसरा जम्मू में हुआ था। सैन्य बलों ने दोनों ही प्रयासों को विफल कर दिया। नए साल पर घुसपैठ के दौरान कुपवाड़ा में एक पाकिस्तानी आतंकवादी मारा गया था। एक आतंकी जिंदा पकड़ लिया गया।

पुंछ जिले में सीमा पार से आतंकवादियों ने घुसपैठ करने की कोशिश की थी, जिसे सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर भी घुसपैठ के चक्कर में एक आतंकवादी मारा गया था। शुक्रवार सुबह जम्मू में मारे गए दो आतंकियों के पास से सैटेलाइट फोन, हैंड ग्रेनेड व दो एके 47 राइफल बरामद हुई हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एडीजी मुकेश सिंह का कहना था कि यह हमला विदेशी आतंकियों द्वारा किया गया है। हालांकि अभी इनकी पहचान की जा रही है। प्रारंभिक जांच में ये विदेशी आतंकी लग रहे हैं। इस फिदायीन हमले में पांच जवान घायल हुए हैं। इनमें से दो जवान जम्मू कश्मीर पुलिस के हैं और तीन जवान सीआईएसएफ के हैं। सीआईएसएफ के एक एएसआई शहीद हो गए हैं। दोनों ही आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हुए थे। इनका मकसद सुरक्षा बलों के कैंप पर हमला करना था।



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