Monkeypox: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन, संक्रमित होने पर 21 दिनों तक रोज होगी निगरानी


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दुनिया के विभिन्न देशों में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस खतरनाक वायरस के बढ़ते खतरे के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी गाइडलाइन जारी कर दी है। गौरतलब है कि भारत में अभी तक इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है। फिर भी भारत सरकार एहतियात बरत रही है। मंत्रालय ने गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। 

गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क में आने के बाद 21 दिनों की अवधि के लिए हर रोज निगरानी की जानी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के मामले को कंफर्म माना जाएगा। गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि मंकीपॉक्स के लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग ही मान्य होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर कोई मामला सामने आता है तो राज्यों और जिलों में बने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत सैंपल को आईसीएमआर-एनआईवी के पुणे स्थित शीर्ष लैब में भेजा जाएगा जहां उसकी जांच होगी। इसके अलावा मंत्रालय की गाइडलाइन में बीमार और उसकी देखभाल, डायग्नोसिस, केस मैनेजमेंट आदि पर ध्यान देने की बात कही गई है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन में मरीजों की देखभाल और नए मामलो की पहचान पर भी जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि बीमारी के वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने पर रोकने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सतर्कता बढ़ाने पर दिया था जोर
कई देशों में मंकीपॉक्स के मामलों के बीच 20 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया था। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हवाईअड्डे और बंदरगाह के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया था। मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा के इतिहास वाले किसी भी बीमार यात्री को अलग करने और नमूने जांच के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल4 सुविधा को भेजने के निर्देश दिए गए थे। स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को भारत में स्थिति पर कड़ी नजर रखने और निगरानी करने का निर्देश दिया था।

ब्रिटेन, अमेरिका सहित कई देशों में मामले 
ब्रिटेन, अमेरिका पुर्तगाल, स्पेन और कुछ अन्य यूरोपीय देशों से मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और ये लगातार बढ़ता जा रहा है। मनुष्यों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के समान लेकिन हल्के होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, चकत्ते और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ मनुष्यों में प्रकट होता है और इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं। मंकीपॉक्स आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक स्व-सीमित बीमारी है। यह भी गंभीर हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हाल के दिनों में मृत्यु अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है।

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दुनिया के विभिन्न देशों में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस खतरनाक वायरस के बढ़ते खतरे के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी गाइडलाइन जारी कर दी है। गौरतलब है कि भारत में अभी तक इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है। फिर भी भारत सरकार एहतियात बरत रही है। मंत्रालय ने गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। 

गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क में आने के बाद 21 दिनों की अवधि के लिए हर रोज निगरानी की जानी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के मामले को कंफर्म माना जाएगा। गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि मंकीपॉक्स के लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग ही मान्य होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर कोई मामला सामने आता है तो राज्यों और जिलों में बने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत सैंपल को आईसीएमआर-एनआईवी के पुणे स्थित शीर्ष लैब में भेजा जाएगा जहां उसकी जांच होगी। इसके अलावा मंत्रालय की गाइडलाइन में बीमार और उसकी देखभाल, डायग्नोसिस, केस मैनेजमेंट आदि पर ध्यान देने की बात कही गई है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन में मरीजों की देखभाल और नए मामलो की पहचान पर भी जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि बीमारी के वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने पर रोकने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सतर्कता बढ़ाने पर दिया था जोर

कई देशों में मंकीपॉक्स के मामलों के बीच 20 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया था। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हवाईअड्डे और बंदरगाह के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया था। मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा के इतिहास वाले किसी भी बीमार यात्री को अलग करने और नमूने जांच के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल4 सुविधा को भेजने के निर्देश दिए गए थे। स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को भारत में स्थिति पर कड़ी नजर रखने और निगरानी करने का निर्देश दिया था।

ब्रिटेन, अमेरिका सहित कई देशों में मामले 

ब्रिटेन, अमेरिका पुर्तगाल, स्पेन और कुछ अन्य यूरोपीय देशों से मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और ये लगातार बढ़ता जा रहा है। मनुष्यों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के समान लेकिन हल्के होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, चकत्ते और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ मनुष्यों में प्रकट होता है और इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं। मंकीपॉक्स आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक स्व-सीमित बीमारी है। यह भी गंभीर हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हाल के दिनों में मृत्यु अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है।



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