Monsoon Session : अंटार्कटिका महाद्वीप में अब भारतीयों पर लागू होगा भारत का कानून, लोकसभा में विधेयक पारित


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अंटार्कटिका महाद्वीप में भारतीय अभियानों पर भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय कानून के बदले भारतीय कानून लागू होगा। विभिन्न अभियानों के लिए परमिट के जरिए इस महाद्वीप पर जाने वाले भारतीय नागरिकों पर भारतीय कानून लागू करने के लिए शुक्त्रस्वार को लोकसभा में भारतीय अंटार्कटिका बिल पारित किया गया। इस बिल में इस महाद्वीप के लिए अंटार्कटिका शासन और पर्यावरण संरक्षण समिति बनाने और नियमों को तोडने की स्थिति में जुर्माने और सजा का प्रावधान किया गया है।

बिल के प्रावधानों के मुताबिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। बिल में परिमिट जारी करने की शर्त और महाद्वीप में पर्यावरण और पर्यावरणीय पारिस्थिति को नुकसान से बचाने, महाद्वीप के वातावरण को संरक्षित करने के लिए कई तरह के प्रावाधन किए गए हैं। भविष्य में बनने वाला अंटार्कटिका कानून उन लोगों पर लागू होगा जो परमिट के तहत अंटार्कटिक में भारतीय अभियान का हिस्सा होंगे। इसमें परमाणु कचरे के निष्पादन, यहां की मिट्टी वहां ले जाने पर पूरी तरह से रोक और इसका उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

चार दशक बाद अपना कानून
अंटार्कटिका साफ पानी का दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत होने के साथ दुर्लभ जीव-जंतुओं का घर है।  दुनिया ने पर्यावरण संतुलन कायम रखने के लिए इस महाद्वीप को बचाने की सुध 1959 में ली। तब 12 देशों ने अंटार्कटिका संधि पर हस्ताक्षर किए। भारत ने इस संधि पर 1981 में हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर के चार दशक बाद भारत इस महाद्वीप के लिए अपना कानून ला रहा है।

भारत ने पूरे किए हैं 40 अभियान
अंटार्कटिका में भारत के तीन शिविर दक्षिण गंगोत्री, मैत्री ओर भारतीय शिविर हैं। संधि पर हस्ताक्षर के बाद भारत ने इस महाद्वीप में चालीस सफल वैज्ञानिक अभियान पूरे किए हैं। फिलहाल मैत्री और भारती पूरी तरह से तो गंगोत्री शिविर आंशिक रूप से कार्यरत हैं।

बिल में ये हैं प्रावधान

  • खुदाई, उत्पखनन, खनिज संशाधनों के संग्रह वैज्ञानिक शोध तक सीमित
  • शोध के लिए भी लेनी होगी पूर्वानुमति
  • किसी भी तरह के जीव, पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध
  • दूसरी जगहों से पशु-पक्षी, पेड़-पौधे को अंटार्कटिका में ले जाना प्रतिबंधित

विस्तार

अंटार्कटिका महाद्वीप में भारतीय अभियानों पर भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय कानून के बदले भारतीय कानून लागू होगा। विभिन्न अभियानों के लिए परमिट के जरिए इस महाद्वीप पर जाने वाले भारतीय नागरिकों पर भारतीय कानून लागू करने के लिए शुक्त्रस्वार को लोकसभा में भारतीय अंटार्कटिका बिल पारित किया गया। इस बिल में इस महाद्वीप के लिए अंटार्कटिका शासन और पर्यावरण संरक्षण समिति बनाने और नियमों को तोडने की स्थिति में जुर्माने और सजा का प्रावधान किया गया है।

बिल के प्रावधानों के मुताबिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। बिल में परिमिट जारी करने की शर्त और महाद्वीप में पर्यावरण और पर्यावरणीय पारिस्थिति को नुकसान से बचाने, महाद्वीप के वातावरण को संरक्षित करने के लिए कई तरह के प्रावाधन किए गए हैं। भविष्य में बनने वाला अंटार्कटिका कानून उन लोगों पर लागू होगा जो परमिट के तहत अंटार्कटिक में भारतीय अभियान का हिस्सा होंगे। इसमें परमाणु कचरे के निष्पादन, यहां की मिट्टी वहां ले जाने पर पूरी तरह से रोक और इसका उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

चार दशक बाद अपना कानून

अंटार्कटिका साफ पानी का दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत होने के साथ दुर्लभ जीव-जंतुओं का घर है।  दुनिया ने पर्यावरण संतुलन कायम रखने के लिए इस महाद्वीप को बचाने की सुध 1959 में ली। तब 12 देशों ने अंटार्कटिका संधि पर हस्ताक्षर किए। भारत ने इस संधि पर 1981 में हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर के चार दशक बाद भारत इस महाद्वीप के लिए अपना कानून ला रहा है।

भारत ने पूरे किए हैं 40 अभियान

अंटार्कटिका में भारत के तीन शिविर दक्षिण गंगोत्री, मैत्री ओर भारतीय शिविर हैं। संधि पर हस्ताक्षर के बाद भारत ने इस महाद्वीप में चालीस सफल वैज्ञानिक अभियान पूरे किए हैं। फिलहाल मैत्री और भारती पूरी तरह से तो गंगोत्री शिविर आंशिक रूप से कार्यरत हैं।

बिल में ये हैं प्रावधान

  • खुदाई, उत्पखनन, खनिज संशाधनों के संग्रह वैज्ञानिक शोध तक सीमित
  • शोध के लिए भी लेनी होगी पूर्वानुमति
  • किसी भी तरह के जीव, पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध
  • दूसरी जगहों से पशु-पक्षी, पेड़-पौधे को अंटार्कटिका में ले जाना प्रतिबंधित



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