मौलिन्नोंग: भारत का एक गांव, जिसे मिल चुका है एशिया का सबसे स्वच्छ गांव होने का अवार्ड


मौलिन्नोंग गांव (Mawlynnong Village), मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले (East Khasi Hills District) में स्थित है. यह गांव अपनी स्वच्छता के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. साल 2003 में डिस्कवर इंडिया द्वारा इसे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा भी दिया गया था. यही वजह है कि इसे गॉड्स ओन गॉर्डन (God’s Own Garden) भी कहा जाता है. एक आदर्श गांव की तमाम बातें यहां मौजूद हैं. शत-प्रतिशत साक्षरता दर और महिला सशक्तिकरण के लिए भी मावलिंननॉग गांव की अपनी एक अलग पहचान है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौलिन्नोंग में 900 के करीब लोग रहते हैं. मुख्य तौर पर यहां के लोग कृषि पर ही निर्भर हैं. सुपारी की खेती मुख्य तौर पर किया जाता है. फलों की बात करें तो गर्मी के मौसम में अनानास और लीची भी यहां आसानी से मिल जाते हैं. इतना ही नहीं इन फलों को आस-पास के क्षेत्रों में निर्यात भी किया जाता है. गांव में तीन चर्च हैं क्योंकि यहां ज्यादातर ईसाई धर्म के मानने वाले लोग हैं.

महिला प्रधान गांव

यहां की सबसे खास बात है कि गांव वाले महिलाओं को अधिक अहमियत देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां अधिकतर लोग खासी जनजाति के हैं. इस जनजाति में मातृवंशी समाज की परंपरा रही है. यहां बेटियां अपने मां का उपनाम रखती हैं.  पैतृक संपत्ति, छोटी बेटी को दिया जाता है.

कचरे का होता है सही इस्तेमाल

मावलिननॉन्ग अपनी साफ-सफाई के लिए जाना जाता है. यहां कचरे को बांस से बने कूड़ेदानों में एकत्र किया जाता है और फिर एक गड्ढे में कचरे को दबा दिया जाता है ताकि बाद खाद के रूप में उपयोग किया जा सके. सभी निवासियों का गांव की सफाई में भाग लेना अनिवार्य है. धूम्रपान और पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध है. साथ ही वर्षा जल संचयन पर जोर दिया जाता है.

Tags: Indian Village Stories



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