मूवी रिव्‍यू: सम्राट पृथ्‍वीराज


फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ (Samrat Prithviraj) के ट्रेलर के रिलीज होने के साथ ही सोशल मीडिया पर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) को इस बात के लिए ट्रोल किया जाने लगा था कि वह इस रोल के लिए सही चॉइस नहीं हैं। इसके बाद फिल्म के निर्माताओं ने इसका दूसरा ट्रेलर भी जारी किया। शायद यही वजह रही कि फिल्म को एडवांस बुकिंग में वैसा रिस्पॉन्स नहीं मिला और पहले दिन अक्षय जैसे बड़े सितारे को देखने सिनेमा में उम्मीद से कम दर्शक पहुंचे। पृथ्‍वीराज चौहान की कहानी कहती ‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ बतौर फिल्‍म (Samrat Prithviraj Review) निराश करती है।

‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ की कहानी
पृथ्वीराज चौहान के बारे में हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है, लेकिन यह फिल्म उनकी कहानी के कुछ हिस्सों से रूबरू करवाती है। फिल्म की कहानी के मुताबिक अजमेर के राजा पृथ्वीराज (अक्षय कुमार) को दिल्ली का राजा बनाया जाना उनके संबंधी और कन्नौज के राजा जयचंद (आशुतोष राणा) को रास नहीं आता। यही नहीं सम्राट पृथ्वीराज खुद से प्रेम करने वाली जयचंद की बेटी संयोगिता (मानुषी छिल्लर) को भी स्वयंवर के मंडप से उठा लाते हैं। इससे अपमानित जयचंद तराइन के पहले युद्ध में पृथ्वीराज के हाथों शिकस्त हासिल कर चुके गजनी के सुलतान मोहम्मद गोरी (मानव विज) को पृथ्वीराज को धोखे से बंदी बनाकर उसे सौंप देने की चाल चलता है। यूं तो सम्राट पृथ्वीराज और मोहम्मद गोरी की लड़ाई को लेकर कईं कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन इस फिल्म के मुताबिक सम्राट पृथ्वीराज, मोहम्मद गोरी को कैसे सबक सिखाते हैं, यह देखने के लिए आपको सिनेमा जाना होगा।

‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ का रिव्‍यू
महज सवा दो घंटे की यह फिल्म सम्राट पृथ्वीराज की कहानी को जल्दबाजी में पेश करती है। फिल्म में तमाम ऐसे सवाल हैं, जिनका आपको जवाब नहीं मिलता। फिल्म में सम्राट पृथ्वीराज के शेरों से लड़ाई के सीन रोमांचक लगते हैं, लेकिन 300 करोड़ से ज्यादा के भारी-भरकम बजट में बनी फिल्म में तराइन के दोनों युद्धों को कुछ ही दृश्यों तक समेट दिया जाना खलता है। निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म को महज सवा दो घंटे में समेट कर विवादों से बचने की खातिर सपाट अंदाज में पेश किया है, लेकिन इस चक्कर में फिल्म उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाती।

फिल्म का स्क्रीनप्ले भी बिखरा हुआ सा महसूस होता है। अक्षय ने सम्राट पृथ्वीराज के रोल में जान डालने की पूरी कोशिश की है, लेकिन महज 40-45 दिनों में अपनी फिल्मों की शूटिंग कर लेने वाले अक्षय से फिल्म में परफेक्शन की उम्मीद करना बेमानी होगा। ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘पद्मावत’ के रणवीर सिंह और ‘जोधा अकबर’ के रितिक रोशन के मुकाबले वह साफतौर पर कमतर दिखते हैं। वहीं फिल्म में मोहम्मद गोरी का रोल करने वाले मानव विज को देखकर एक जोरदार विलेन की कमी साफ तौर पर महसूस होती है।

सम्राट पृथ्‍वीराज का ट्रेलर:

हालांकि संजय दत्त, आशुतोष राणा, सोनू सूद और साक्षी तंवर जैसे मंजे हुए कलाकारों ने अपने रोल को पूरी संजीदगी से जिया है, लेकिन उनके पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। वहीं इस फिल्म से बॉलिवुड में डेब्यू करने वाली विश्व सुंदरी मानुषी छ‍िल्‍लर पर्दे पर एक खूबसूरत गुड़िया जैसी लगी हैं। बेशक ऐक्टिंग के मामले में उन्हें अभी काफी कुछ सीखना है। फिल्म के सेट्स को भव्य बनाने में पानी की तरह पैसा बहाया गया है और सिनेमटोग्रफी भी अच्छी है, लेकिन अफसोस कि डॉ चंद्र प्रकाश द्विवेदी को जोरदार लीड किरदार और विलेन दोनों का ही साथ नहीं मिला और विवादों से बचने के चक्कर में वह इतिहास बनाने का मौका चूक गए।

पर्दे पर भव्यता के मामले में इस फिल्म की संजय लीला भंसाली और आशुतोष गोवारिकर की फिल्मों से तुलना की जाए, तो उसमें भी यह पिछड़ जाती है। फिल्म में महिला सशक्तीकरण का संदेश भी दिया गया, लेकिन वह उतना प्रभावशाली नहीं लगता। बात अगर म्यूजिक की करें, तो सिवाय ‘हरि हर’ के फिल्म के गाने भी आपको प्रभावित नहीं करते। अगर आप ऐतिहासिक फिल्मों के शौकीन हैं, तो फिल्म को सिनेमा जाकर देख सकते हैं, वरना ओटीटी पर आने का इंतजार करें।

image Source

Enable Notifications OK No thanks