MP Muncipal Election Results: क्या मध्यप्रदेश में ओवैसी ने भाजपा को फायदा पहुंचाया? क्या कहते हैं आंकड़े


मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनावों के नतीजे आ गए हैं। नगर निगमों में भाजपा को नुकसान हुआ और कांग्रेस-आप को लाभ। दोनों के दावे-प्रतिदावे तेज हो गए हैं। इस शोर के बीच दबे पांव असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने भी मध्यप्रदेश में पार्षदी की सात सीटें जीतकर आमद दर्ज करा दी है। भले ही संख्या बड़ी न हो, पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ओवैसी की मौजूदगी महत्वपूर्ण रहने वाली है। 

ओवैसी और उनकी पार्टी के इतिहास की बात करें तो महाराष्ट्र में भी इसी तरह उन्होंने एंट्री मारी थी। औरंगाबाद में पहले महापालिका की सीटों पर कब्जा किया था और अब हैदराबाद के बाद अगर कहीं उनके पास सांसद है तो वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही है। ऐसे में उनकी राजनीति को समझने वाले मध्यप्रदेश में उनकी आमद को लंबी लड़ाई बता रहे हैं। 

 

पहले जानते हैं ओवैसी को मध्यप्रदेश में क्या मिला? 

यूं तो ओवैसी की पार्टी को पार्षदी की सात सीटें मिली हैं। तीन खरगोन में, दो जबलपुर में और एक-एक खंडवा और बुरहानपुर में। इसके साथ ही खंडवा और बुरहानपुर में पार्टी के मेयर कैंडिडेट तीसरे स्थान पर रहे। इन दोनों ही जगहों पर भाजपा की जीत को कहीं न कहीं AIMIM ने प्रभावित किया है। 

  • बुरहानपुर में भले ही भाजपा की माधुरी पटेल ने कांग्रेस की शहनाज बानो को 542 वोट से हराया है, उनकी जीत का श्रेय त्रिकोणीय मुकाबले को दिया जा रहा है। AIMIM की शाइस्ता सोहैल हाशमी ने 10 हजार से अधिक वोट हासिल किए, जिसने भाजपा की जीत की राह साफ की। बुरहानपुर में AIMIM ने 14 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक पर जीत हासिल की। पार्टी के रफीक अहमद ने कड़े मुकाबले में निर्दलीय उम्मीदवार शहजाद नूर को वार्ड 2 में 156 वोट से हराया। 
  • खंडवा में भी AIMIM के मेयर कैंडिडेट ने भाजपा उम्मीदवार को जीत में मदद की। AIMIM की कैंडिडेट कनीज-बी ने 9601 वोट हासिल किए। छोटे नगर निगम में यह आंकड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है। खंडवा में AIMIM ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक पर जीत हासिल की। पार्टी की शकीरा बिलाल ने वार्ड 14 में कांग्रेस की नूरजहां बेगम को 285 वोट से हराया। इतना ही नहीं, कम से कम सात वार्ड में AIMIM के कैंडिडेट की मौजूदगी की वजह से हार-जीत को प्रभावित किया। 
  • जबलपुर में AIMIM ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा और दो पर जीत हासिल की। पार्टी शमा परवीन ने वार्ड 49 से कांग्रेस की उम्मीदवार साइमा वसीम को 1,527 वोट से हराया। इसी तरह वार्ड 51 में समरीन ने कांग्रेस की शबनम फिरदौस को 209 वोट से हराया। दो वार्ड में पार्टी दूसरे स्थान पर रही। वार्ड 75 में पार्टी के मोहम्मद आरिफ को कांग्रेस के सामने हार का सामना करना पड़ा, पर उनकी हार 300 से भी कम वोटों की थी। 
  • खरगोन में हाल ही में सांप्रदायिक तनाव हुआ था। वहां पार्टी ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए पार्षदी की तीन सीट हासिल की है। AIMIM की अरुणा बाई ने खरगोन नगर परिषद के वार्ड 2 में जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा की सुनीता देवी को 31 वोट से हराया। अरुणा बाई अनुसूचित जाति से आती हैं और डॉ. बाबासाहब अम्बेडर के बारे में ओवैसी के विचारों से प्रभावित होकर ही उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी। वार्ड 15 से शकील खान और वार्ड 27 से शबनम भी जीते हैं। 

क्यों महत्वपूर्ण है ओवैसी की मौजूदगी?

  • महाराष्ट्र में AIMIM की सफलता की बात करें तो आधार बना था दलित-मुस्लिम कॉम्बिनेशन। खरगोन में AIMIM की दलित हिंदू उम्मीदवार की जीत से आप इसे समझ सकते हैं। अगर इसे बुनियाद समझा जाए तो मध्य प्रदेश की कुल आबादी में 6.6% मुस्लिम और 15.6% अनुसूचित जाति की आबादी शामिल है। इसे ही ओवैसी टारगेट कर रहे हैं। 
  • ओवैसी ने खुद पहली बार मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनावों में सक्रियता दिखाई और खंडवा, भोपाल, इंदौर और जबलपुर में सभाओं को संबोधित किया। उन्हें सुनने बड़ी भीड़ भी उमड़ी थी। लगा था कि वे इंदौर-भोपाल जैसे बड़े शहरों के मुस्लिम इलाकों में करिश्मा दिखा सकते हैं। वहां भले ही रैलियां नतीजों में तब्दील न हो सकी हो, मौजूदगी का असर तो दिखा ही है।  

कांग्रेस का आरोप- ओवैसी ने भाजपा को फायदा पहुंचाया

  • मध्यप्रदेश कांग्रेस का आरोप है कि ओवैसी ने भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए ही राज्य में नगरीय निकाय चुनाव लड़ा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बुरहानपुर और खंडवा में कांग्रेस कैंडिडेट्स हारे तो इसकी बड़ी वजह AIMIM की मौजूदगी ही थी। बुरहानपुर में तो अगर AIMIM नहीं होती तो भाजपा कैंडिडेट का जीतना नामुमकिन था। लोग ओवैसी और उनके हथकंडों को समझ गई हैं। वे भाजपा की बी टीम से बढ़कर नहीं है। हालांकि, भाजपा और उसके नेता इससे इत्तेफाक नहीं रखते।
  • मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। नियमित ब्रीफिंग में मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस अनर्गल प्रलाप करती है। भाजपा की जीत हुई है तो वह हमारे कुशल संगठन, बड़े नेताओं की मेहनत और नीतियों की वजह से। 

अब आगे क्या रहेगी ओवैसी की रणनीति?

  • AIMIM के मध्यप्रदेश चुनाव पर्यवेक्षक रहे सैयद मिनहाजुद्दीन का कहना है कि पार्टी ने अंतिम क्षणों में चुनाव लड़ने का फैसला किया। तैयारियां भी नहीं थी। इसे देखते हुए हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। हमारे नेता असदुद्दीन ओवैसी की इंदौर और अन्य जगहों पर सभाओं को अंतिम समय पर रद्द करना पड़ा। इसके बाद भी लोगों ने हम पर भरोसा जताया। पार्टी जल्द ही विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाएगी और एक विकल्प के रूप में उभरने की कोशिश करेगी। 
  • कांग्रेस के आरोपों पर ओवैसी ने खुद ही सभाओं में जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई और उसके नेता अपनी ही पार्टी को मैनेज नहीं कर सके। तब भाजपा सत्ता में आ गई। वे अब पार्टी में होने वाली किसी भी गड़बड़ी के लिए हमें कैसे दोषी ठहरा सकते हैं? 



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