पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब… बचपन में माता-पिता और शिक्षकों से यह बात हम सबने सुनी है। लेकिन अगर असल जिंदगी में ऐसा ही होता तो टीम इंडिया को अब तक का सबसे सफल कप्तान, दुनिया के सर्वकालिक महान बल्लेबाज कभी नहीं मिल पाते। बात चाहे क्रिकेट की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की हो या फिर कैप्टन कूल कहलाने वाले क्रिकेटर एवं विकेट कीपर महेंद्र सिंह धोनी की।
जहां सचिन तेंदुलकर 10वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाए थे, लेकिन आज दुनियाभर में क्रिकेटर बनने का ख्वाब देखने वाला हर युवा उन्हें अपना आदर्श मानता है। वहीं, देश के सर्वकालिक कप्तानों में से सबसे सफल कप्तान माने-जाने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज एमएस धोनी भी 10वीं-12वीं में एक औसत विद्यार्थी रहे थे। कैप्टन कूल क्रिकेट स्ट्रेटजी बनाने में माहिर थे, लेकिन पढ़ाई की पिच पर माही कभी नंबर वन नहीं रहे। आइए जानते हैं कि एमएस धोनी को 10वीं-12वीं के बोर्ड परीक्षा परिणाम में कितने अंक मिले थे?
पढ़ाई न सही, खेल के मैदान पर नंबर बने रहने की चाहत
खिलाड़ियों के मौजूदा दौर में भी कमोबेश प्राथमिकता क्रिकेट ही रही। कुछ साल पहले एमएस धोनी, टीम इंडिया के पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के दिल्ली एनसीआर में स्थित स्कूल की विजिट पर गए थे। उस दौरान छात्रों ने बातचीत करते हुए उन्होंने अपनी स्कूल लाइफ का जिक्र किया। इस दौरान धोनी ने खुद बताया कि पढ़ाई की पिच पर वह कभी नंबर वन छात्र नहीं रहे। लेकिन खेल के मैदान पर हमेशा नंबर बने रहना उनका ख्वाब रहा। छात्रों से संवाद के दौरान कैप्टन कूल धोनी ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के स्कोर के बारे में भी बताया।
10वीं में 66 तो 12वीं में 56 फीसदी मार्क्स मिले
झारखंड के रांची में जन्मे माही ने डीएवी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। धोनी के लिए क्रिकेट खेलना प्राथमिकता थी। वे पढ़ाई के मामले में बहुत अच्छे नहीं थे और उन्होंने 10वीं में 66 फीसदी और 12वीं में 56 फीसदी अंक हासिल किए थे। जब वह 11वीं-12वीं कक्षा में थे, तब क्लास बंक करके अक्सर मैच खेलने के लिए रांची से बाहर जाते थे। हालांकि, इसके लिए वे अपने पिता से अनुमति लेते थे। पिता पान सिंह तब उनसे कहते थे कि अगर आपने पूरे साल तैयारी की है तो एक दिन आपकी पढ़ाई को प्रभावित नहीं करेगा।