Mutual Fund : 500 रुपए के नियमित निवेश से बना सकते हैं लाखों रुपए का फंड, समझिए निवेश का पूरा गणित


Mutual Fund SIP : म्यूचुअल फंड में निवेश का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. आंकड़े भी बता रहे हैं कि महीने दर महीने म्यूचुअल फंड और एसआईपी में निवेश लगातार बढ़ रहा है. एफडी पर घटते रिटर्न की वजह से इस तरफ लोगों का आकर्षण बढ़ा है. आम तौर पर म्यूचुअल फंड स्कीम 12-13 फीसदी सालाना रिटर्न दे देती हैं. अगर आपके हाथ कोई अच्छी स्कीम लग गई तो यह रिटर्न 15 से 24 फीसदी तक भी पहुंच जाता है. आइए अब यहां चर्चा करते हैं कि कैसे 500 रुपए की एसआईपी से आप एक करोड़ का फंड बना सकते हैं.

मान लीजिए एसआईपी के तहत आप हर रोज 200 रुपए यानी महीने का 6000 रुपए निवेश करते हैं. अगर आपके फंड पर 12 फीसदी का रिटर्न माना जाए तो आप 21 साल में 68.3 लाख रुपए का फंड तैयार कर सकते हैं. तमाम इंवेस्टमेंट वेबसाइटों पर म्यूचु्अल फंड एसआईपी कैल्कुलेटर का विकल्प होता है जिससे आप ये देख सकते हैं कि कितना पैसा जमा करने पर कितने साल में कितना फंड तैयार होता है.

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15 फीसदी रिटर्न  पर
एसआईपी कैल्कुलेटर के अनुसार यदि आप किसी स्कीम में 21 साल तक हर महीने 6000 रु (रोज के 200 रु) जमा करते हैं.  इस निवेश पर आपको 15 फीसदी रिटर्न मिलता है. इस हिसाब से 21 साल बाद आपके पास 1.06 करोड़ रु का फंड तैयार हो जाएगा .

कम्पाउंडिंग का फायदा
एसआईपी में कम्पाउंडिंग का फायदा सबसे जबरदस्त होता है. इसको ऐसे समझ सकते हैं कि आप 21 साल में 200 रु रोज से केवल 15.12 लाख रु का निवेश करते है. इस निवेश पर आपको 15 फीसदी का रिटर्न मिलता है तो आपको 91.24 लाख रु का फायदा मिलेगा. यानी निवेश से 6 गुना से अधिक आपको लाभ ही होगा.

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कैल्कुलेटर के अनुसार यदि आप किसी स्कीम में 21 साल के बजाय 25 साल तक हर महीने 6000 रु (रोज के 200 रु) जमा करते हैं. इस निवेश पर आपको 15 फीसदी का रिटर्न मिलता है. तो आप 25 साल बाद 1.97 करोड़ रु का फंड तैयार कर सकते हैं.

गलतियों से बचें
किसी अच्छी स्कीम में निवेश करने के साथ साथ गलतियों से बचना भी जरूरी है. अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले वित्तीय लक्ष्य यानी फाइनेंशियल टार्गेट तय करें. इसका मतलब कि आप म्यूचुअल फंड में एसआईपी की शुरुआत क्यों करने कर रहे हैं. अगर आपने ऐसा न किया तो आप जल्दबाजी में कोई गलत फंड चुन सकते हैं. जबकि आपको फंड ऐसा चुनना है जो आपके टार्गेट को पूरा करने में मददगार हो.

जब बाजार गिरता है तो निवेशक घबरा जाते हैं और या तो एसआईपी रोक देते हैं या बाहर निकल जाते हैं. मगर ये सबसे बड़ी गलती है. बाजार गिरने पर तो मौका होता है महंगी चीज को सस्ते दामों पर खरीदने का. बस आपको बाजार की चाल पर ध्यान देनी. गिरने पर खरीदारी बढ़ा दें. न तो किसी दूसरे को देख कर फंड में बदलाव करें और न ही खरीदारी करें. बल्कि रिसर्च बेस पर फंड चुनें. एक बार पोर्टफोलियो बन जाए तो उस पर नजर रखें मगर जल्दी जल्दी बदलाव न करें. इससे आपको फायदा नहीं होगा.

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