इससे जुड़ा पेपर नेचर जियोसाइंस में पब्लिश हुआ है। इसमें मंगल ग्रह के जिस क्षेत्र की बात हुई है, उसे एलीसियम प्लैनिटिया कहा जाता है। जो चार अंतरिक्ष चट्टानें मंगल ग्रह से टकराईं थीं, वो उल्कापिंड थे। इनमें से एक उल्कापिंड 5 सितंबर 2021 को मंगल ग्रह के वायुमंडल में दाखिल हुआ था। मंगल के वायुमंडल में आते ही यह कम से कम तीन टुकड़ों में फट गया। जिनमें से हरेक ने एक गड्ढा बना दिया।
उल्कापिंड कहां गिरा था, उस लोकेशन को कन्फर्म करने के लिए नासा के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) ने उड़ान भरी। लोकेशन का पता लगने के बाद ऑर्बिटर की टीम ने गड्ढों की क्लोज-अप कलर इमेज हासिल करने के लिए हाई-रेजॉलूशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट कैमरा (HiRISE) को इस्तेमाल किया।
पेपर के सह-लेखक और ब्राउन यूनिवर्सिटी के इंग्रिड डबर ने कहा कि सभी गड्ढे सुंदर लग रहे थे। पूर्व के आंकड़ों को खंगालने के बाद वैज्ञानिकों ने कन्फर्म किया कि 27 मई 2020, 18 फरवरी 2021 और 31 अगस्त 2021 को भी तीन और ऐसे प्रभाव हुए थे।
इनसाइट के सीस्मोमीटर ने अबतक मंगल ग्रह पर 1,300 से ज्यादा मार्सक्वेक (कंपन) का पता लगाया है। फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी का यह उपकरण इतना संवेदनशील है कि यह हजारों मील दूर से भूकंपीय तरंगों का पता लगा सकता है। हालांकि 5 सितंबर 2021 की घटना पहला मामला है, जिसमें भूकंपीय और ध्वनिक तरंगों का पता चला है।
मंगल ग्रह से टकराने वाले उल्कापिंड की आवाज को नासा के इनसाइट लैंडर द्वारा दर्ज किए गए डेटा से तैयार किया गया है और मंगल के अजीबोगरीब वायुमंडलीय प्रभाव के कारण यह ‘ब्लूप’ की तरह सुनाई देती है। जिन 4 उल्कापिंडों की पुष्टि अबतक की गई है, उनकी वजह से मंगल ग्रह पर 2.0 से अधिक की तीव्रता वाले छोटे भूकंप आए। इन इम्पैक्ट्स साउंड का इस्तेमाल मंगल ग्रह को समझने में किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह की सतह की उम्र का पता लगाने के लिए इम्पैक्ट रेट को जानना काफी जरूरी है।