न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sat, 21 May 2022 07:57 AM IST
सार
विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं। प्रथम दृष्टया सबूतों में सामने आया है कि नवाब मलिक जानबूझकर इस मामले में शामिल थे। ईडी की ओर से इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
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विस्तार
डी-कंपनी से मिलीभगत और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे राकांपा नेता नवाब मलिक को बड़ा झटका लगा है। विशेष न्यायालय ने नवाब मलिक के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए ईडी की ओर से पेश आरोप पत्र का संज्ञान लिया। कोर्ट ने माना कि नवाब मलिक जानबूझकर और सीधे तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध में संलिप्त थे।
विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं। प्रथम दृष्टया सबूतों में सामने आया है कि नवाब मलिक जानबूझकर इस मामले में शामिल थे। दरअसल, 21 अप्रैल को मलिक के खिलाफ ईडी ने आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें कहा गया है कि कुर्ला में गोवावाला कंपाउंड पर कब्जा करने के लिए नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और उसके बॉडीगार्ड सलीम पटेल के बीच कई बैठकें हुई थीं।
चार्टशीट में 17 लोगों के बयान दर्ज
ईडी ने अपनी चार्टशीट में 17 लोगों को गवाह बनाया है। इसमें दाऊद के भाई इकबाल कासकर और हसीना पारकर के बेटे अलीशाह पारकर समेत सरदार शाहवली खान का बयान भी शामिल है। शाहवली खान ने अपने बयान में बताया कि हसीना पारकर दाऊद इब्राहिम की करीबी थीं और सलीम पटेल पारकर का अंगरक्षक था। संपत्ति पर हर फैसला पटेल ने हसीना पारकर के निर्देश पर लिया था।
मामला आगे बढ़ाने के निर्देश
विशेष अदालत ने आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए नवाब मलिक और 1993 बम धमाकों के दोषी और सजायाफ्ता सरदार शाहवली खान के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। मालूम हो कि ईडी ने अपनी अपनी चार्टशीट में नवाब मलिक और सरदार शाहवली खान को आरोपी बनाया है। संपत्ति की सारी कार्रवाई सरदार खान के माध्यम से ही हुई थी।