नई दिल्ली: वर्तमान रबी विपणन सत्र में अब तक 44 प्रतिशत घटी गेहूं की खरीद, केंद्र ने 444 लाख टन खरीद का रखा है लक्ष्य


सार

पंजाब में सरकार की गेहूं खरीद चालू विपणन सत्र में 1 मई तक घटकर 89 लाख टन रह गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 112 लाख टन थी। इसी अवधि में 80 लाख टन की तुलना में हरियाणा में 37 लाख टन गेहूं खरीदा गया।

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पंजाब और हरियाणा की मंडियों में अधिक निर्यात और कम आवक के कारण मौजूदा रबी बिक्री वर्ष में एक मई तक केंद्र की गेहूं खरीद 44 प्रतिशत घट गई है। अब गेहूं खरीद 162 लाख टन रह गई है। नए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा 2022-23 रबी विपणन सत्र (आरएमएस) में 1 मई तक सरकारी एजेंसियों द्वारा लगभग 162 लाख टन गेहूं खरीदा गया है। पिछले रबी विपणन सत्र में यह खरीद 288 लाख टन थी। इन आंकड़ों से पता चलता है कि 32,633.71 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद से लगभग 14.70 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। गौरतलब है कि रबी विपणन सीजन अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन थोक खरीद जून तक समाप्त हो जाती है।

विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य 
 केंद्र ने विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह लक्ष्य  433.44 लाख टन था। 

सूत्रों ने बताया  कि इस साल 21 अप्रैल तक निजी कंपनियों द्वारा लगभग 9.63 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 1.3 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था। आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में सरकार की गेहूं खरीद चालू विपणन सत्र में 1 मई तक घटकर 89 लाख टन रह गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 112 लाख टन थी। इसी अवधि में 80 लाख टन की तुलना में हरियाणा में 37 लाख टन गेहूं खरीदा गया।

मध्य प्रदेश में भी सरकारी एजेंसियों ने 34 लाख टन गेहूं की खरीद की है। राज्य में एक साल पहले की अवधि में गेहूं की खरीद 73 लाख टन थी।

यूपी और एमपी में सरकार टीम भेजकर किसानों से सीधे कर रही गेहूं खरीद
 रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनातनी के चलते वैश्विक बाजार में अनाज की उपलब्धता में तेज गिरावट के बीच भारतीय गेहूं की भारी मांग है। दोनों देश गेहूं के प्रमुख उत्पादक और निर्यातक हैं। अनुमान है कि देश ने वित्त वर्ष 2021-22 में 7 मिलियन टन से अधिक का निर्यात किया है। आधिकारिक सूत्रों ने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों ने किसानों से सीधे गेहूं की खरीद के लिए टीमें भेजी हैं।

इस बीच, केंद्र ने थोक उपभोक्ताओं को खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री पर रोक लगा दी है और थोक उपभोक्ताओं से अनाज खरीदने के लिए योजना के शुरू होने का इंतजार नहीं करने को कहा है।

बीच निजी व्यापारी एमएसपी से ज्यादा पर गेहूं खरीद रहे 
निर्यात के लिए अनाज की बढ़ती मांग के बीच निजी व्यापारी एमएसपी से ज्यादा पर गेहूं खरीद रहे हैं। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए राज्य के स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करती हैं।

सरकारी गेहूं खरीद में गिरावट का ये है मुख्य कारण
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकारी गेहूं खरीद में गिरावट का मुख्य कारण निर्यात के लिए निजी खरीद में वृद्धि और कम फसल पैदावार है। इस साल खासकर पंजाब और हरियाणा में तापमान में अचानक वृद्धि के कारण कम फसल पैदावार हुई है।

विस्तार

पंजाब और हरियाणा की मंडियों में अधिक निर्यात और कम आवक के कारण मौजूदा रबी बिक्री वर्ष में एक मई तक केंद्र की गेहूं खरीद 44 प्रतिशत घट गई है। अब गेहूं खरीद 162 लाख टन रह गई है। नए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा 2022-23 रबी विपणन सत्र (आरएमएस) में 1 मई तक सरकारी एजेंसियों द्वारा लगभग 162 लाख टन गेहूं खरीदा गया है। पिछले रबी विपणन सत्र में यह खरीद 288 लाख टन थी। इन आंकड़ों से पता चलता है कि 32,633.71 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद से लगभग 14.70 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। गौरतलब है कि रबी विपणन सीजन अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन थोक खरीद जून तक समाप्त हो जाती है।

विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य 

 केंद्र ने विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह लक्ष्य  433.44 लाख टन था। 

सूत्रों ने बताया  कि इस साल 21 अप्रैल तक निजी कंपनियों द्वारा लगभग 9.63 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 1.3 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था। आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में सरकार की गेहूं खरीद चालू विपणन सत्र में 1 मई तक घटकर 89 लाख टन रह गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 112 लाख टन थी। इसी अवधि में 80 लाख टन की तुलना में हरियाणा में 37 लाख टन गेहूं खरीदा गया।

मध्य प्रदेश में भी सरकारी एजेंसियों ने 34 लाख टन गेहूं की खरीद की है। राज्य में एक साल पहले की अवधि में गेहूं की खरीद 73 लाख टन थी।

यूपी और एमपी में सरकार टीम भेजकर किसानों से सीधे कर रही गेहूं खरीद

 रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनातनी के चलते वैश्विक बाजार में अनाज की उपलब्धता में तेज गिरावट के बीच भारतीय गेहूं की भारी मांग है। दोनों देश गेहूं के प्रमुख उत्पादक और निर्यातक हैं। अनुमान है कि देश ने वित्त वर्ष 2021-22 में 7 मिलियन टन से अधिक का निर्यात किया है। आधिकारिक सूत्रों ने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों ने किसानों से सीधे गेहूं की खरीद के लिए टीमें भेजी हैं।

इस बीच, केंद्र ने थोक उपभोक्ताओं को खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री पर रोक लगा दी है और थोक उपभोक्ताओं से अनाज खरीदने के लिए योजना के शुरू होने का इंतजार नहीं करने को कहा है।

बीच निजी व्यापारी एमएसपी से ज्यादा पर गेहूं खरीद रहे 

निर्यात के लिए अनाज की बढ़ती मांग के बीच निजी व्यापारी एमएसपी से ज्यादा पर गेहूं खरीद रहे हैं। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए राज्य के स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करती हैं।

सरकारी गेहूं खरीद में गिरावट का ये है मुख्य कारण

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकारी गेहूं खरीद में गिरावट का मुख्य कारण निर्यात के लिए निजी खरीद में वृद्धि और कम फसल पैदावार है। इस साल खासकर पंजाब और हरियाणा में तापमान में अचानक वृद्धि के कारण कम फसल पैदावार हुई है।



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