कमेटी का हुआ गठन
सरकारी सूत्रों ने बताया कि जब ये साफ हुआ है कि अभी भारत में प्रीडेटर ड्रोन का स्वदेशी विकास नहीं किया जा सकता है। इसके बाद इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय के लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक के अधिकारी के तहत एक कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी खरीदे जाने वाले प्रीडेटर ड्रोन की संख्या तय करेगी। यह कमेटी आकलन करेगी कि तीन सेनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कितने प्रीडेटर ड्रोन खरीदने चाहिए।
तीनों सेनाओं को है जरूरत
सूत्रों ने बताया कि तीनों सेनाओं के लिए इन ड्रोनों की आवश्यकताएं हैं। प्रीडेटर ड्रोन का उपयोग निगरानी के साथ-साथ गतिरोध दूर से दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने के लिए किया जा सकता है।
भारत के पास इस समय दो प्रीडेटर ड्रोन हैं, जिन्हें एक अमेरिकी फर्म से पट्टे पर लिया गया था। ये दोनों ड्रोन हिंद महासागर क्षेत्र में गतिविधियों पर नजर रखने में नौसेना की मदद कर रहे हैं। अमेरिकियों से लीज पर हासिल किए गए दो ड्रोन से चीनी शोध पोत और एंटी पायरेसी एस्कॉर्ट फोर्स की आवाजाही पर भी लगातार नजर रखी जा रही है।
सरकार के निर्देश पर रोक दिए गए थे सभी आयात रक्षा सौदे
भारत ने हिंद महासागर परिधि पर नजर रखने के लिए 12 अमेरिकी P-8I पनडुब्बी रोधी युद्ध और निगरानी विमानों का अधिग्रहण किया है। इनमें से छह और विमानों को प्राप्त करने पर काम कर रहा था।
हाल ही में फरवरी माह में स्वदेशी हथियार प्रणाली को विकसित करने के पक्ष में प्रधान मंत्री कार्यालय के निर्देश पर रक्षा मंत्रालय आयात करने को लेकर किए गए सभी रक्षा सौदों को या तो रद्द कर दिया गया था, या रोक दिया गया था। हालांकि, आयात कार्यक्रमों पर सरकार के निर्देशों के बाद, रक्षा मंत्रालय जल्द ही परियोजना पर फैसला करेगी।
‘मेक इन इंडिया’ पर पीएम मोदी दे रहे हैं जोर
प्रधान मंत्री के निर्देशों के अनुरूप, भारतीय नौसेना अब हथियार प्रणालियों और उपकरणों की अपनी सभी आवश्यकताओं के लिए एक स्वदेशी रोडमैप तैयार कर रही है। पीएम मोदी स्वदेशीकरण पर बहुत जोर दे रहे हैं। उन्होंने हाल ही में सशस्त्र बलों और अन्य हितधारकों से भी कहा है कि केवल भारत में बने उपकरण और शस्त्र ही उन्हें अद्वितीय समाधान प्रदान कर सकते हैं।
प्रीडेटर ड्रोन की खासियत
प्रीडेटर ड्रोन हवा से सतह पर हमला करने में सक्षम हैं और ये कई तरह के हथियारों और बम को गिराकर दुश्मन को धूल चटा सकते हैं। खास बात यह है कि यह ड्रोन तीस घंटे से भी अधिक समय तक आसमान में टिके रहने में सक्षम है।