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आरएसएस से जुड़े ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मंगलवार को कतर में प्रवासी श्रमिकों के मानवाधिकारों के ‘घोर उल्लंघन’ पर गहरी चिंता व्यक्त की और रिपोर्टों का हवाला देते हुए बताया कि वहां उनकी ‘गुलामों जैसी स्थिति’ है।
बीएमएस का यह बयान तब आया है जब हाल ही में पैगंबर मोहम्मद पर सत्ताधारी भाजपा के दो नेताओं की ओर से टिप्पणी के बाद खाड़ी देशों में हलचल पैदा हो गई थी। कई इस्लामिक देशों ने भारतीय दूतों को तलब किया था।
भाजपा ने पैगंबर मोहम्मद पर की गई इस टिप्पणी को लेकर नुपुर शर्मा को निलंबित कर दिया था जबकि नवीन जिंदल को पार्टी से ही निष्कासित कर दिया था।
बीएमएस ने एक बयान में कहा, “फीफा विश्व कप की मेजबानी के बाद से कई मानवाधिकार समूहों ने हाल ही में कतर में काम करने वालों की गुलामों जैसी स्थिति होने की सूचना दी।” बीएमएस ने कहा कि 2014 के बाद से उस देश में 1,611 भारतीय प्रवासियों की मौत हो गई है और मृतकों के परिजनों को नश्वर अवशेष प्राप्त करने के लिए क्रूर समय का इंतजार करना पड़ा।
ट्रेड यूनियन ने कहा कि उसने हाल ही में संपन्न अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के दौरान सरकार और कतर के उनके समकक्ष प्रतिनिधियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है। बीएमएस ने भारत के साथ-साथ कतर में अन्य दक्षिण एशियाई देशों के श्रमिकों के लिए ‘गंभीर स्थिति’ पैदा करने के लिए कफला प्रणाली की भी आलोचना की है।
बीएमएस ने कहा, “पासपोर्ट की जब्ती, ओवरटाइम काम, तंग आवास, यौन शोषण, विशेषज्ञता के क्षेत्र से बाहर जबरन काम कराना श्रमिकों के लिए बड़ी मानसिक पीड़ा के स्रोत हैं।” कफला प्रणाली का उपयोग खाड़ी सहयोग परिषद द्वारा प्रवासी श्रमिकों की निगरानी के लिए किया जाता है। इसके तहत सभी प्रवासी कामगारों के लिए देश में स्पॉन्सर होना आवश्यक है जो उनके वीजा और कानूनी स्थिति के लिए जिम्मेदार होता है।