बचपन के किसी सदमे से भी जुड़ा हो सकता है मोटापे का रिस्क – स्टडी


Risk Of Obesity From Childhood Trauma : ओबेसिटी (Obesity) यानी मोटापा दुनियाभर में पब्लिक हेल्थ के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. इसे डायबिटीज से लेकर हार्ट डिजीज और कई अन्य बीमारियों का कारण माना जाता रहा है. इसीलिए मोटापे के कारण और उसके निदान की खोज समय की जरूरत है. अब एक नई स्टडी में सामने आया है कि जेनेटिक्स (आनुवंशिकी) और बचपन में किसी भी प्रकार का सदमा (ट्रॉमा) वयस्क होने पर मोटापे से संबंधित है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘फ्रंटीयर्स इन जेनेटिक्स’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इसमें बताया गया है कि विशिष्ट आनुवांशिक गुणों (specific genetic traits) वाले लोग यदि बचपन में ट्रॉमा से गुजरते हैं, तो उन्हें वयस्क होने पर मोटापे का शिकार होने का ज्यादा रिस्क होता है. अमेरिका में 2016 में एक विशेष प्रोजेक्ट के तहत की गई स्टडी में एडवर्स चाइल्डहुड एक्सीपीरियेंसेस (एसीई) पर फोकस किया गया है, ये 18 साल की उम्र तक सदमें वाला या असुरक्षित घटनाओं से जुड़े मामले से संबंद्ध था.

हेल्दी नेवादा (Healthy Nevada Project) नाम के इस प्रोजेक्ट में 16 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों ने एक मेंटल हेल्थ सर्वे में सवालों के जवाब दिए और उनमें से 65% से ज्यादा लोगों ने कम से कम एक एसीई की रिपोर्ट की. ये 16 हजार लोगों में जेनेटिक मेकअप और क्लिनिकल बॉडी मास इंडेक्स के बीच क्रॉस-रेफरेंस था. रिसर्चर्स के मुताबिक, जिन प्रतिभागियों ने एक या इससे ज्यादा एसीई का सामना किया, उनमें वयस्क होने पर मोटापे का जोखिम 1.5 गुना ज्यादा था. जबकि जो प्रतिभागी चार या इससे अधिक एसीई से गुजरे उनमें गंभीर मोटापे का जोखिम दोगुना अधिक था.

क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी से जुड़े रिनाउन हेल्थ के सीईओ टोनी स्लोनिम (Tony Slonim) ने बताया कि बचपन में गाली-गलौज, गरीबी, खाद्य असुरक्षा और प्राथमिक देखभाल करने वालों के साथ खराब संबंध जैसी स्थितियां मोटापे के जोखिम बढ़ाती है. लेकिन इस संदर्भ में आनुवांशिकी को भी समझना जरूरी है कि किस तरह से इस मामले में जल्दी हस्तक्षेप किया जा सके ताकि हेल्थ संबंधी विसंगतियों को कम किया जा सके.

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स्टडी के प्रमुख लेखक करेन श्लाउच (Karen Schlauch) ने बताया कि हमारे विश्लेषण में पाया गया है कि प्रत्येक एसीई से बीएमआई में वृद्धि होती है. इससे ये जाहिर होता है कि बचपन में बुरे अनुभवों की संख्या का वयस्क होने पर मोटापे से गहरा संबंध है. उल्लेखनीय ये कि कई जीनों में जब खास म्यूटेशन हुआ तो एसीई के बीएमआई की प्रतिक्रिया ज्यादा जोरदार रही, इनमें से एक सिजोफ्रेनिया से भी जुड़ा है.

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हेल्दी नेवादा प्रोजेक्ट के मुख्य रिसर्चर्स जोसेफ ग्रिजिम्स्की (Joseph Grzymski) का कहना है, ‘हमारी स्टडी से पता चलता है कि जीन और एसीई जैसे पर्यावरणीय कारकों और हेल्थ के कई अन्य मानक मिलकर एक साथ गंभीर असर डालते हैं.’

Tags: Health, Health News, Lifestyle

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