ODI Controversy: वनडे के भविष्य को लेकर आमने-सामने दिग्गज, क्या खत्म हो जाएगा यह फॉर्मेट? जानें पूरा मामला


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इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स के वनडे फॉर्मेट से संन्यास लेने की खबर ने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि 31 साल के मौजूदा समय के बेस्ट ऑलराउंडर में से एक माने जाने वाले स्टोक्स इतनी जल्दी किसी एक फॉर्मेट को अलविदा कह देंगे।
कई क्रिकेटर्स ने उन्हें इस फैसले को वापस लेने के लिए कहा। वहीं, कई ने उनके इस फैसले की आलोचना भी की। पर स्टोक्स ने संन्यास लेने की जो वजह बताई थी, उसने क्रिकेट जगत को हिला कर रखा दिया। हाल ही में भारतीय टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने हार्दिक पांड्या को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि 2023 वनडे विश्व कप के बाद हार्दिक वनडे फॉर्मेट से संन्यास ले लेंगे। 
स्टोक्स ने वनडे फॉर्मेट से संन्यास लेते वक्त कहा था कि मौजूदा समय में जितने अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जा रहे हैं, उस स्थिति में उनके लिए तीनों फॉर्मेट खेलना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने वनडे से संन्यास लेने का एलान किया। ऐसे में कई पूर्व क्रिकेटर्स की ओर से बयान आया कि वनडे क्रिकेट को समाप्त करना चाहिए या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) को कुछ ऐसा बदलाव लाना चाहिए जिससे यह फॉर्मेट फिर से जीवित हो उठे।
क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि टी-20 के रोमांच और टेस्ट क्रिकेट में हुए बदलाव (बैजबॉल इफेक्ट) के आगे वनडे फीका पड़ता दिख रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई ऐसा है? क्या वाकई वनडे क्रिकेट खत्म हो जाएगा? हम आपको बताते हैं…
1. वसीम अकरम (पूर्व पाकिस्तानी कप्तान): वसीम अकरम ने कहा था कि अब यह फॉर्मेट एक बोझ की तरह लगता है। खिलाड़ियों के लिए 50 ओवर का मैच खेलना काफी थकाऊ होता है। कमेंटेटर के रूप में भी उन्हें यह फॉर्मेट मजेदार नहीं लगता। ऐसा महसूस हो रहा है कि अब इसे जबरन खींचा जा रहा है। टी20 क्रिकेट इसकी तुलना में ज्यादा बेहतर है। वनडे क्रिकेट धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। 
2. रविचंद्रन अश्विन (भारतीय स्पिनर): भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने कहा था कि वह वनडे मैच देखते-देखते एक समय बोर हो जाते हैं और बीच में टीवी ऑफ कर देते हैं। 
3. उस्मान ख्वाजा (ऑस्ट्रेलियाई ओपनर): ऑस्ट्रेलिया के ओपनर उस्मान ख्वाजा ने भी वनडे को खत्म करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि यह फॉर्मेट धीरे-धीरे मर रहा है। अभी वर्ल्ड कप होने वाला है, जो कि मजेदार होगा, लेकिन मुझे वनडे खेलना बहुत पसंद नहीं है। कभी-कभी टी-20 वर्ल्ड कप से तुलना करने पर मुझे वनडे वर्ल्ड कप भी कुछ खास नहीं लगता। मौजूदा समय में आप तीनों फॉर्मेट साथ नहीं खेल सकते। आपको किसी एक फॉर्मेट को छोड़ना ही होगा।
4. क्विंटन डिकॉक (दक्षिण अफ्रीकी विकेटकीपर बल्लेबाज): दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक ने पिछले साल टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। उन्होंने हाल ही में कहा है कि खिलाड़ियों के लिए तीन फॉर्मेट खेलना कठिन होता जा रहा है। एक क्रिकेट कैलेंडर में काफी मैच हो रहे हैं। खिलाड़ियों को व्यक्तिगत रूप से निर्णय लेने की जरूरत है और उन्हें सोचना है कि क्या वह वाकई तीनों फॉर्मेट खेल सकते हैं। मेरे लिए मैं जहां हूं खुश हूं।
5. सलमान बट (पाकिस्तान के पूर्व कप्तान): पाकिस्तान के पूर्व कप्तान सलमान बट ने हाल ही में वनडे फॉर्मेट का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि वनडे क्रिकेट के स्तंभों में से एक है। मैं कभी नहीं चाहूंगा कि यह खत्म हो। इस फॉर्मेट में कई खिलाड़ियों के नाम बड़े रिकॉर्ड हैं। एक समय था जब विश्व चैंपियन की पहचान केवल वनडे मैचों से ही होती थी।

वनडे क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट और सबसे छोटे फॉर्मेट का मिश्रण है। इसमें स्किल की असली परीक्षा होती है। इसलिए मेरा मानना है कि वनडे फॉर्मेट रहना चाहिए। मैं अन्य सभी विचारों का सम्मान करता हूं।

वसीम अकरम पर निशाना साधते हुए बट ने कहा था कि मैं उनकी राय का सम्मान करता हूं, लेकिन उनके नाम वनडे में भी 500 से ज्यादा विकेट हैं। विश्व कप में उन्होंने जो शानदार गेंदें फेंकी थीं, वे सभी को याद हैं। आप उन गेंदों को टी20 में नहीं देखेंगे। टी-20 फॉर्मेट में पर्याप्त समय नहीं है। 
दरअसल बेन स्टोक्स ने वनडे फॉर्मेट से हाल ही में संन्यास लिया था। संन्यास का एलान करते हुए स्टोक्स ने कहा था- तीनों प्रारूप खेलना अब मेरे लिए संभव नहीं है। खासकर जो शेड्यूल रहता है और हमसे जिस तरह के प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है, वह काफी थकाने वाला है। मेरा शरीर मुझे निराश कर रहा है, मुझे यह भी लगता है कि मैं एक और खिलाड़ी की जगह ले रहा हूं।
स्टोक्स ने कहा- यह किसी और क्रिकेटर के लिए क्रिकेट में आगे बढ़ने और कुछ बेहतरीन यादें बनाने का समय है, जैसे मैंने पिछले 11 वर्षों में बनाई है। अब मैं अपना सारा ध्यान टेस्ट क्रिकेट में लगाऊंगा। मुझे लगता है कि इस फैसले के साथ मैं टी20 फॉर्मेट में भी पूरी निष्ठा के साथ खेल पाऊंगा।
उनके इस बयान ने वनडे क्रिकेट पर सवाल खड़े कर दिए थे। इतना ही मौजूदा समय में खिलाड़ी टी-20 ज्यादा खेलना पसंद कर रहे हैं। बिजी शेड्यूल की वजह से खिलाड़ी वनडे और टेस्ट क्रिकेट से आराम लेना चाहते हैं। इसके अलावा दुनियाभर में चल रहीं टी-20 लीग में भी खिलाड़ी पैसे कमाने के लिए खेलते हैं।

ऐसे में वह वनडे पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे। वेस्टइंडीज दौरे पर गई भारतीय टीम में कोई सीनियर खिलाड़ी मौजूद नहीं है। वहीं, टी-20 सीरीज में सब वापसी करेंगे। दुनिया भर की टीमों का यही हाल है। 
सच्चाई यह है कि वनडे लगभग दो दशकों से दबाव में है। साल 2009 में सचिन तेंदुलकर ने महसूस किया था कि वनडे फॉर्मेट जिसने कई सालों से क्रिकेट की आमदनी और फैन्स की संख्या में वृद्धि कराई, वह अपनी महत्वता खोता जा रहा है। तब तेंदुलकर ने तर्क दिया था कि वनडे प्रेडिक्टेबल हो गया है।

पावर-प्ले के पहले 10 ओवर और आखिरी 10 ओवरों में बड़ी हिटिंग ने इस फॉर्मेट को बनाए रहा है, लेकिन बीच के ओवरों में न ही फैन्स और न ही खिलाड़ी इसमें कुछ खास दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यह एक दिलचस्प तर्क था, क्योंकि यह बयान क्रिकेट जगत से ही आया था, वह भी उस क्रिकेटर से जिसने इस प्रारूप में काफी रन बनाए हैं और दुनियाभर में अपनी महानता साबित की है।
तब तेंदुलकर ने वनडे फॉर्मेट को बनाए रखने या यूं कहें जीवित रखने के लिए एक सुझाव भी दिया था। उन्होंने कहा था कि 50 ओवरों के एक साइड गेम को दोनों टीमों के लिए 25 ओवर की दो पारियों में विभाजित किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने फील्ड सेटिंग, बॉल चेंज को लेकर भी कई सुझाव दिए थे। इतना ही प्रसिद्ध खेल विश्लेषक अयाज मेमन ने एक बार इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और कमेंटेटर टोनी ग्रेग के एक बयान का जिक्र किया था। 
अयाज ने बताया- टोनी ग्रेग ने भी 2012 में सचिन तेंदुलकर की तरह वनडे को चार पारियों में बांटे जाने की वकालत की थी। ग्रेग ने बताया था कि वनडे फॉर्मेट फीका पड़ता जा रहा है। 2011 वर्ल्ड कप भारत में खेला गया था और यह निश्चित तौर पर क्रिकेट के सबसे सफल टूर्नामेंट में से एक था, लेकिन इसके बावजूद टोनी को नहीं लगता था कि यह फॉर्मेट ज्यादा समय तक जीवित रह पाएगा।

हालांकि, इस मामले में टोनी ग्रेग गलत साबित हुए क्योंकि 2011 के बाद ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में 2015 में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप ने भी सफलता की ऊंचाइयों को छुआ था। इसके बाद 2019 में इंग्लैंड में खेला गया वनडे वर्ल्ड कप भी सुपर हिट रहा था। 2019 वर्ल्ड कप के फाइनल को कौन भुला सकता है। 

इसके बाद भी इस फॉर्मेट पर दबाव लगातार बढ़ता रहा, लेकिन कोई समाधान किसी ने नहीं सोचा। न ही आईसीसी इस फॉर्मेट में कोई बदलाव को लेकर सामने आया है। इस बीच स्टोक्स के अचानक संन्यास लेने से क्रिकेट जगत में हड़कंप मच गया। क्या इससे बड़े खिलाड़ियों के बीच समय से पहले संन्यास की लहर दौड़ जाएगी? खैर, ये तो देखने वाली बात होगी।
इसका सबसे बड़ा कारण टी20 क्रिकेट का पॉपुलर होना रहा है। टी20 की फैन फॉलोइंग बहुत ज्यादा है और यह कहीं अधिक आकर्षक भी माना जाता है। खिलाड़ियों के लिए अगर व्हाइट बॉल के दो फॉर्मेट में से किसी एक को चुनना हो, तो वह बिना सोच-समझे टी-20 को ही चुनेंगे।

टी-20 में खिलाड़ी लीग खेल सकते हैं। इसमें अधिक पैसा है। कोई क्रिकेटर इसे छोड़ना नहीं चाहता। वहीं, लंबे फॉर्मेट में फिर वह टेस्ट खेल ही लेंगे। ऐसे में क्रिकेटर्स के लिए वनडे छोड़ना आसान विकल्प बनता जा रहा है। 
मौजूदा समय में वनडे क्रिकेट को जीवित रखने का सबसे बेहतरीन उपाय यह है कि खिलाड़ियों का वर्कलोड मैनेजमेंट कम किया जाए। आईसीसी ने आने वाले समय में शेड्यूल को और टाइट कर दिया है। द्विपक्षीय सीरीज बढ़ा दी गई हैं और बीच में मिल रहे गैप में टी-20 लीगें खेली जाएंगी।

ऐसे में खिलाड़ी पैसे की वजह से निश्चित तौर पर टी-20 लीग खेलेंगे, लेकिन उनके लिए अंतरराष्ट्रीय मैच खेलना मुश्किल हो जाएगा। भारत और इंग्लैंड की टीमों ने तो अलग-अलग फॉर्मेट के लिए दो तीन टीमें बना रखी हैं। 
खिलाड़ियों का वर्कलोड कम करने से वह तीनों फॉर्मेट में बराबरी से हिस्सा ले पाएंगे। वनडे फॉर्मेट की लोकप्रियता कम होने की वजह बड़े खिलाड़ियों का नहीं खेलना भी है। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे बड़े खिलाड़ी कोई मैच खेलते हैं तो निश्चित तौर पर फैन्स मैच देखने के लिए पहुंचते हैं।
दिलचस्प बात यह भी है कि जब विराट या रोहित या मैक्सवेल जैसे खिलाड़ी अपनी लय में होते हैं तो बीच के ओवरों में वह काफी रन बनाते हैं। ऐसे में दर्शकों के लिए बीच के ओवरों में समय निकालना मुश्किल नहीं होता।

याद करिए श्रीलंका के खिलाफ रोहित की 264 रन की पारी या वेस्टइंडीज के खिलाफ वीरेंद्र सहवाग की 219 रन की पारी जब ये खिलाड़ी खेलते हैं तो वनडे देखने का अलग ही मजा होता है। इन खिलाड़ियों के नहीं खेलने से दर्शक भी मैच का लुत्फ नहीं उठाते। 
ऐसे में आईसीसी को किसी दो सीरीज के बीच अच्छा खासा गैप रखना चाहिए ताकि बड़े-बड़े खिलाड़ियों को आराम करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। वह जब भी खेलेंगे तो वनडे की लोकप्रियता खुद ही बढ़ जाएगी।

इसके अलावा आईसीसी तेंदुलकर द्वारा वनडे को चार पारियों में बांटने के सुझाव पर भी विचार कर सकता है। आने वाले सालों में खिलाड़ियों को जितना समय मिलने वाला है, अगर आईसीसी ने उस पर विचार नहीं किया तो वाकई खिलाड़ी टी20 की ओर अपना रुख करने से नहीं चूकेंगे।

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इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स के वनडे फॉर्मेट से संन्यास लेने की खबर ने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि 31 साल के मौजूदा समय के बेस्ट ऑलराउंडर में से एक माने जाने वाले स्टोक्स इतनी जल्दी किसी एक फॉर्मेट को अलविदा कह देंगे।



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