OIL Cyber Attack: ऑयल इंडिया पर हुए साइबर हमले के पीछे रूसी मालवेयर, नाइजीरिया से किया गया था प्लांट


सार

10 अप्रैल को हुए इस साइबर हमले की अब तक हुई जांच में यह संकेत मिला है कि इस हमले को हमारे देश की सीमा के बाहर से अंजाम दिया गया था।

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असम के दार्जीलिंग में ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के सिस्टम पर हाल ही में हुए साइबर हमले के लिए नाइजीरिया में एक सर्वर से प्लांट किए गए रूसी मालवेयर का इस्तेमाल किया गया था। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस साइबर हमले से प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) का नेटवर्क ठप हो गया था। 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमले के 10 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक ओआईएल का सिस्टम पूरी तरह बहाल नहीं हो पाया है। समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि जांच में यह संकेत मिला है कि इस साइबर हमले को हमारे देश की सीमा के बाहर से अंजाम दिया गया था।

नाइजीरिया से प्लांट हुआ था रूसी मालवेयर
उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि इस हमले में रूसी मालवेयर का इस्तेमाल किया गया था। किसी व्यक्ति या समूह ने इसे नाइजीरिया से प्लांट किया था। उन्होंने आगे कहा कि हम इस जानकारी पर काम कर रहे हैं और यह निश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह एक पूर्व नियोजित हमला था या फिर अचानक किया गया था। 

यह साइबर हमला 10 अप्रैल को ओआईएल के जियोलॉजिकल व रिजर्वायर विभाग के वर्कस्टेशन में से एक पर हुआ था। लेकिन, आईटी (सूचना एवं प्रौद्योगिकी) विभाग ने इसकी जानकारी 12 अप्रैल को दी थी। इस हमले के परिणामस्वरूप ओआईएल के सर्वर, नेटवर्क और अन्य संबंधित सेवाओं पर असर पड़ा था। 

हैकरों ने मांगी थी 75 लाख डॉलर की फिरौती
इसके साथ ही इस हमले को अंजाम देने वाले साइबर अपराधियों ने ओआईएल के सिस्टम के ही एक हैक किए गए कंप्यूटर पर एक नोट पोस्ट किया था और 75 लाख डॉलर (लगभग 57 करोड़ रुपये) की राशि फिरौती के रूप में मांगी थी। इसे लेकर ओआईएल के प्रवक्ता त्रिदिव हजारिका ने बताया कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां इस साइबर हमले की जांच कर रही हैं। 

विस्तार

असम के दार्जीलिंग में ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के सिस्टम पर हाल ही में हुए साइबर हमले के लिए नाइजीरिया में एक सर्वर से प्लांट किए गए रूसी मालवेयर का इस्तेमाल किया गया था। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस साइबर हमले से प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) का नेटवर्क ठप हो गया था। 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमले के 10 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक ओआईएल का सिस्टम पूरी तरह बहाल नहीं हो पाया है। समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि जांच में यह संकेत मिला है कि इस साइबर हमले को हमारे देश की सीमा के बाहर से अंजाम दिया गया था।

नाइजीरिया से प्लांट हुआ था रूसी मालवेयर

उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि इस हमले में रूसी मालवेयर का इस्तेमाल किया गया था। किसी व्यक्ति या समूह ने इसे नाइजीरिया से प्लांट किया था। उन्होंने आगे कहा कि हम इस जानकारी पर काम कर रहे हैं और यह निश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह एक पूर्व नियोजित हमला था या फिर अचानक किया गया था। 

यह साइबर हमला 10 अप्रैल को ओआईएल के जियोलॉजिकल व रिजर्वायर विभाग के वर्कस्टेशन में से एक पर हुआ था। लेकिन, आईटी (सूचना एवं प्रौद्योगिकी) विभाग ने इसकी जानकारी 12 अप्रैल को दी थी। इस हमले के परिणामस्वरूप ओआईएल के सर्वर, नेटवर्क और अन्य संबंधित सेवाओं पर असर पड़ा था। 

हैकरों ने मांगी थी 75 लाख डॉलर की फिरौती

इसके साथ ही इस हमले को अंजाम देने वाले साइबर अपराधियों ने ओआईएल के सिस्टम के ही एक हैक किए गए कंप्यूटर पर एक नोट पोस्ट किया था और 75 लाख डॉलर (लगभग 57 करोड़ रुपये) की राशि फिरौती के रूप में मांगी थी। इसे लेकर ओआईएल के प्रवक्ता त्रिदिव हजारिका ने बताया कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां इस साइबर हमले की जांच कर रही हैं। 



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