न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: दिनेश शर्मा
Updated Fri, 18 Feb 2022 08:21 PM IST
सार
मध्य प्रदेश में नई शराब पॉलिसी का शराब ठेकेदार खुलकर विरोध करने लगे हैं। शराब व्यापारी और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। प्रदेश के कई शहरों में शराब दुकानें विरोध के चलते शुक्रवार शाम तक बंद रखी गईं। शराब कारोबारियों ने सरकार पर घाटे की दुकानें बेचने दबाव बनाने का आरोप लगाया है। वहीं, आबकारी विभाग ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
मध्य प्रदेश आबकारी संघ के बैनर तले शराब कारोबारियों ने प्रेसवार्ता की।
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भोपाल में मध्य प्रदेश आबकारी संघ के बैनर तले शराब कारोबारियों ने शुक्रवार को नई आबकारी नीति को प्रेसवार्ता की। इसमें शिवहरे लिकर ग्रुप के जीएम केपी सिंह ने आरोप लगाया कि नई आबकारी नीति के तहत हमारे ऊपर सरकार यह दबाव बना रही है कि वे वो दुकानें भी ठेके पर लें, जिनका विक्रय कम है और जहां से राजस्व कम मिलता है, ऐसी दुकानों को भी अधिक दाम पर लेने के लिए आबकारी अधिकारियों का दबाव है। संघ के प्रेसिडेंट ऋषिकांत शर्मा, केपी सिंह, अजय शिवहरे आदि ने नई आबकारी नीति और दुकानों पर हो रही कार्रवाई को गलत बताया। उन्होंने कहा कि नई आबकारी नीति में देशी-अंग्रेजी शराब एक ही दुकान से बेची जाएगी। इससे बिक्री पर असर पड़ेगा। मार्जिन कम होने से डायरेक्ट-इंडायरेक्ट होने वाले खर्च को वहन नहीं कर सकेंगे। माल उठाने की पाबंदियां की गई हैं। इससे मुश्किलें खड़ी होंगी।
8 करोड़ का नुकसान
गुरुवार से शुक्रवार शाम तक तक शराब बिक्री नहीं होने से करीब 8 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि चेकिंग के नाम पर दुकानें बंद करा दी गई। इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत 17 जिलों में भी विरोध है। उनका कहना है कि पॉलिसी में 3 ऐसे बिंदू हैं, जो ठेकेदारों की कमर तोड़ रहे हैं। देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें एक ही जगह खोलने, मार्जिन कम होने और माल उठाने की पाबंदियां तय करना प्रमुख हैं। वहीं, रूटीन चेकअप के बहाने अफसर दुकानें सील भी कर रहे हैं।
गुरुवार रात से जारी है चेकिंग
आबकारी विभाग के अफसर गुरुवार रात राजधानी की शराब दुकानों की चेकिंग करने भी पहुंचे थे। इस दौरान कुछ दुकानों को सील भी कर दिया गया। इसके बाद शुक्रवार को शराब ठेकेदार सड़क पर उतर आए। उनका कहना है कि अफसरों ने रूटीन चेकिंग के बहाने छापा मारकर कई दुकानें सील कर दीं। इस दौरान शराब बिक्री भी नहीं कर पाए। इसके विरोध में दुकानें बंद की गई हैं। इंदौर में भी ऐसी ही स्थिति है।
मंत्री के बंगले पर पहुंचे, कलेक्टर से भी मिले
मध्य प्रदेश आबकारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में ठेकेदार आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचकर गुहार लगाई, नई शराब नीति और दुकानों पर हो रही कार्रवाई को गलत बताया। साथ ही कलेक्टर अविनाश लवानिया से भी मिले। कलेक्टर के आश्वासन के बाद शाम 6 बजे दुकानें खोल दी गई।
आबकारी आयुक्त बोले- 700 दुकानों के ठेके हो गए
आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने कहा कि सरकार ने एक पॉलिसी बनाई है। इसके अनुसार ठेके के टेंडर जारी किए गए हैं। इसमें शामिल होने के लिए किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जा रहा है। सभी स्वतंत्र है। अब तक 17 जिलों में 700 दुकानों पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक रेट पर आवंटित हो गई है। जहां तक जांच का सवाल है तो यदि सबकुछ ठीक है तो किस बात का डर है। यह स्थानीय प्रशासन का इश्यू हैं।